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Jaguar Plane Crash: Rohtak's martyred pilot immersed in five elements, elder brother performed the last rites
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Jaguar Plane Crash: रोहतक के शहीद पायलट पंचतत्व में विलीन, बड़े भाई ने दी नम आंखो से मुखाग्नि
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: भास्कर तिवारी Updated Fri, 11 Jul 2025 12:32 AM IST
रोहतक के शहीद पायलट लोकेंद्र सिंह सिंधु गुरुवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। लोकेंद्र सिंधु का रोहतक में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। उनके बड़े भाई ज्ञानेंद्र सिंधु ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस दौरान जन सैलाब उमड़ पड़ा। अंतिम विदाई के दौरान लोगों ने जयहिंद के नारे लगाए। बता दें कि बुधवार को राजस्थान के चुरू में जगुआर फाइटर जैट क्रैश में को-पायलट समेत पायलट लोकेंद्र सिंह सिंधु शहीद हो गए थे। आज शाम लगभग 6:15 बजे लोकेंद्र सिंधु का पार्थिव शरीर लेकर एयरफोर्स के जवान देव कॉलोनी पहुंचे। जहां उनके आते ही भारत माता की जय के नारों से मौजूद लोगों ने जय घोष किया। हालांकि जब पार्थिव शरीर पहुंचा तो परिवार में काफी गमगीन माहौल था।
सबसे पहले पार्थिव शरीर को उनके घर पर रखा गया। जहां पर परिवार के लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और जिस समय लोकेंद्र सिंधु का महज एक महीने का बेटा अपने पिता के ताबूत के पास पहुंचा तो सबकी आंखों से आंसू छलक पड़े। पायलट लोकेंद्र सिंधु की अंतिम यात्रा में शहर और आसपास के गांव के लोग शामिल हुए और भारत माता की जय के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी। इस दौरान अपने साथी को अंतिम विदाई देने पहुंचे एयरफोर्स के जवानों ने लोकेंद्र सिंधु को सलामी देते हुए भारत माता की जय के नारे लगाए। जिला प्रशासन की ओर से श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे। वहीं, भाई ज्ञानेंद्र सिंह सिंधु ने बताया कि लोकेंद्र पढ़ाई में तेज था.
12वीं पास करते ही एनडीए की परीक्षा पहले ही प्रयास में उर्तीण कर ली थी. 2015 में उसे कमीशन मिला था. दो दिन पहले भतीजी के जन्मदिन पर परिवार से वाट्सअप ग्रुप में खूब बात की थी. उन्होंने बताया कि बुधवार को हादसे से तीन घंटे पहले फोन पर बेटे के बारे में बात की थी. बड़े भाई ज्ञानेंद्र ने कहा, “उन्होंने देश के लिए वो सर्वोच्च बलिदान दिया है जो कोई सैनिक कर सकता है. वे अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए शहीद हुए. उन्होंने आम नागरिकों की जान बचाते हुए अपनी जान गंवाई. मेरे परिवार और मुझे उन पर गर्व है.” उन्होंने बताया कि लोकेन्द्र अपने पीछे डॉक्टर पत्नी, एक माह के बेटे, बहन, माता-पिता और दादा-दादी को छोड़ गए हैं. भाई ने बताया कि लोकेंद्र 10 दिन पहले 30 जून को घर पर थे. उस दिन परिवार में उनके बेटे के जन्म की खुशी में एक समारोह रखा गया था. वे 1 जुलाई को ड्यूटी पर वापस लौटे थे.
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