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Kapil Sibal Clarifies PIL against bihar voter list revision in supreme court
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SC on Bihar Voter List Revision: EC से जज ने पूछे सवाल, तभी सिब्बल की टीम ने दिया ये जवाब
वीडियो डेस्क/ अमर उजाला डॉट कॉम Published by: पल्लवी कश्यप Updated Thu, 10 Jul 2025 06:18 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के फैसले को बरकरार रखा है। जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाला बागची की पीठ ने बुधवार को सामाजिक कार्यकर्ताओं अरशद अजमल और रूपेश कुमार की ओर से दाखिल याचिकाओं को भी अनुमति दे दी थी। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने दलील दी कि ब्लॉक स्तर के अधिकारी को ये अधिकार नहीं दिया जा सकता कि वह लोगों की नागरिकता निर्धारित करें. सिर्फ भारत सरकार ही किसी नागरिक की नागरिकता पर सवाल उठा सकती है. इस तरह के छोटे अधिकारियों को ऐसा करने का अधिकार नहीं है. यह साबित करने का काम चुनाव आयोग का है कि जिस व्यक्ति का नाम वोटर लिस्ट में नहीं है, वो देश का नागरिक नहीं है. कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि चुनाव आयोग ने स्पेशल रिवीजन के लिए जो दस्तावेज निर्धारित किए हैं, वो बिहार में बहुत कम संख्या में लोगों के पास हैं. पासपोर्ट सिर्फ 2.5 पर्सेंट और मैट्रिक सर्टिफिकेट 14.71 प्रतिशत लोगों के ही पास हैं. इसके अलावा फॉरेस्ट राइट सर्टिफिकेट, रेजिडेंसी सर्टिफिकेट, ओबीसी सर्टिफिकेट रखने वालों की संख्या भी नाममात्र की है. आयोग ने बर्थ सर्टिफिकेट, आधार और मनरेगा कार्ड को लिस्ट से बाहर कर रखा है. दरअसल जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने चुनाव आयोग से तीन मुद्दों पर जवाब मांगते हुए पूछा कि क्या उसके पास मतदाता सूची में इस तरह स्पेशल रिवीजन करने का अधिकार है? इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने स्पेशल रिवीजन के लिए अपनाई जा रही प्रक्रिया और ऐसा रिवीजन कब किया जा सकता है, इसे लेकर भी आयोग से जवाब दाखिल करने को कहा है. अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी.
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