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राहुल गांधी ने चुनाव आयोग को दी कैसी नसीहत?
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Wed, 09 Jul 2025 08:26 PM IST
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बिहार की राजनीति एक बार फिर गर्म है। इस बार मुद्दा है वोटर लिस्ट का विशेष गहन पुनरीक्षण यानी SIR (Special Intensive Revision), जिसे लेकर विपक्ष ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर “लोकतंत्र की हत्या की साजिश” का आरोप लगाया है।
बुधवार को पटना की सड़कों पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी, राजद नेता तेजस्वी यादव, CPI महासचिव डी राजा, CPIML नेता दीपांकर भट्टाचार्य, और बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम एकजुट होकर चुनाव आयोग के खिलाफ प्रदर्शन करते नज़र आए।
इनकम टैक्स गोलंबर से निर्वाचन कार्यालय तक हुए इस विरोध मार्च में हजारों की भीड़ जुटी और पूरे राज्य में चक्का जाम कर दिया गया। जगह-जगह ट्रेनें रोकी गईं और सड़कें ठप हो गईं।
राहुल गांधी का तीखा प्रहार: “बिहार मॉडल लाया गया है चुनाव चोरी के लिए” अपने भाषण में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने चुनाव आयोग को सीधे चेतावनी देते हुए कहा— “मैं चुनाव आयोग से साफ कहता हूं, महाराष्ट्र का चुनाव चोरी हुआ था, अब बिहार में भी वैसा ही किया जा रहा है। ये गरीबों का वोट छीनने का तरीका है। हमने महाराष्ट्र मॉडल समझ लिया है, अब ये बिहार मॉडल लाए हैं।”
राहुल गांधी ने यह भी कहा कि “आप कितने भी ऊंचे पद पर बैठे हों, कानून आप पर लागू होगा। संविधान की रक्षा करना आपका कर्तव्य है, लेकिन आप भाजपा का काम कर रहे हैं। यह जनता और लोकतंत्र के साथ धोखा है।”
चुनाव आयोग ने 24 जून को बिहार में Special Intensive Revision (SIR) का ऐलान किया। इसमें कहा गया कि 2003 की वोटर लिस्ट में जिन लोगों का नाम नहीं है, उन्हें कम से कम एक सरकारी दस्तावेज देना होगा ताकि उनका नाम वोटर लिस्ट में जुड़ सके।
रिपोर्ट्स के अनुसार, ऐसे लोगों की संख्या करीब 2.93 करोड़ है। आयोग का दावा है कि यह प्रक्रिया पारदर्शिता और शुद्धता के लिए जरूरी है, लेकिन विपक्ष का आरोप है कि इससे गरीब, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्ग के मतदाता प्रभावित होंगे।
महागठबंधन के आह्वान पर बिहार बंद के तहत पूरे राज्य में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हुए। पटना में इनकम टैक्स गोलंबर से लेकर सचिवालय तक मार्च निकाला गया।
तेजस्वी यादव ने कहा, “यह बंद सिर्फ चुनाव आयोग की कार्रवाई के खिलाफ नहीं, बल्कि गरीबों और हाशिए के लोगों के हक की लड़ाई है।” उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार चुनाव जीतने के लिए लोकतांत्रिक संस्थाओं को हथियार बना रही है।
पटना, जहानाबाद, दरभंगा, सासाराम और मुजफ्फरपुर सहित कई जिलों में ट्रेन सेवाएं बाधित रहीं।
• पटना में ट्रेन रोककर कार्यकर्ताओं ने चुनाव आयोग के खिलाफ नारेबाजी की।
• जहानाबाद में कोर्ट रेलवे स्टेशन पर ट्रेन रोकी गई और पटरियों पर धरना दिया गया।
• दरभंगा में ‘संपर्क क्रांति एक्सप्रेस’ को रोका गया।
• सासाराम में आरपीएफ और CRPF की तैनाती के बावजूद प्रदर्शनकारियों ने रेलवे परिसर में घुसने की कोशिश की।
प्रशासन ने कई जगहों पर पुलिस बल तैनात कर दिया और स्टेशन क्षेत्रों को ‘हाई अलर्ट’ पर रखा गया।
CPI और CPIML नेताओं ने चुनाव आयोग पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि “EC अब एक स्वतंत्र संस्था नहीं रही। वह भाजपा के इशारे पर काम कर रही है। पहले सभी दलों की सहमति से चुनाव आयुक्त चुने जाते थे, अब सिर्फ भाजपा ही नाम तय करती है।”
उन्होंने SIR को “राजनीतिक हथियार” बताया और मांग की कि इस अभियान को तत्काल रोका जाए।
वहीं दूसरी ओर जेडीयू और भाजपा ने विपक्ष के आरोपों को निराधार बताया।
जेडीयू नेता राजीव रंजन ने कहा,
“वोटर लिस्ट की सफाई एक नियमित प्रक्रिया है। अब तक 4 करोड़ लोगों ने दस्तावेज जमा किए हैं। विपक्ष इसलिए हंगामा कर रहा है क्योंकि उन्हें जमीन खिसकती दिख रही है।”
उन्होंने यह भी कहा कि यह आंदोलन सिर्फ “राजनीतिक स्टंट” है और इससे जनता भ्रमित नहीं होगी।
विपक्ष ने साफ कहा है कि अगर SIR अभियान को नहीं रोका गया, तो आंदोलन को राज्यभर में फैलाया जाएगा और आने वाले विधानसभा चुनाव में इसे मुद्दा बनाया जाएगा।
राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, डी राजा और दीपांकर भट्टाचार्य जैसे राष्ट्रीय नेताओं की भागीदारी ने इस आंदोलन को बड़ा राजनीतिक वजन दिया है। अब यह देखना होगा कि चुनाव आयोग इस दबाव के बीच क्या रुख अपनाता है।
बिहार का यह बंद केवल वोटर लिस्ट तक सीमित नहीं है—यह संवैधानिक संस्थाओं की निष्पक्षता, मतदाता अधिकारों और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल है।
राहुल गांधी के बयानों ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय मंच पर पहुंचा दिया है और अगर चुनाव आयोग कोई संतोषजनक जवाब नहीं देता, तो बिहार की सियासत और भी उथल-पुथल से भर सकती है।
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