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Trump imposed tariffs on 14 countries, when will the India-US trade deal be finalised?
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ट्रंप ने 14 देशों पर लगाया टैरिफ, भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर कब बनेगी बात?
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Tue, 08 Jul 2025 09:26 PM IST
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों को लेकर महत्वपूर्ण संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका, भारत के साथ व्यापार समझौते के काफी करीब है और दोनों देश इस दिशा में सक्रिय प्रयास कर रहे हैं। लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि टैरिफ को लेकर अमेरिका अपनी शर्तों पर अडिग है और जरूरत पड़ी तो 1 अगस्त से यह दरें लागू होंगी।
राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, “हमने यूनाइटेड किंगडम और चीन के साथ सफल व्यापार समझौते किए हैं। भारत के साथ भी हम डील के बेहद करीब हैं। लेकिन अगर अन्य देश तैयार नहीं होंगे, तो हम उन्हें पत्र भेजकर टैरिफ की जानकारी देंगे। यह कोई कठोर कदम नहीं, बल्कि अमेरिका के हितों की रक्षा का प्रयास है।”
भारत पर पहले ही 26% टैरिफ का एलान 2 अप्रैल 2025 को किया गया था, लेकिन ट्रंप प्रशासन ने इसे 90 दिनों के लिए स्थगित कर दिया था। इस समयसीमा की मियाद 9 जुलाई को खत्म हो रही है। भारत चाहता है कि इस टैरिफ से पूरी छूट मिले, ताकि द्विपक्षीय व्यापार सुचारू बना रहे।
इस समय भारत और अमेरिका के बीच 1 अगस्त से पहले एक अंतरिम समझौते की कोशिश हो रही है, ताकि टैरिफ की मार से बचा जा सके और सितंबर-अक्टूबर में प्रस्तावित बड़े व्यापार समझौते की राह आसान हो।
डोनाल्ड ट्रंप का बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका ने जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, थाईलैंड सहित 14 देशों पर 25% से 40% तक के टैरिफ का एलान कर दिया है। ये दरें 1 अगस्त 2025 से प्रभावी होंगी। ट्रंप ने साथ ही यह भी कहा है कि ब्रिक्स देशों पर अतिरिक्त 10% टैरिफ लगाने पर भी विचार किया जा रहा है।
14 देशों पर टैरिफ दरें (प्रतिशत में):
देश का नाम टैरिफ (%)
बांग्लादेश 35%
बोस्निया और हर्जेगोविना 30%
कंबोडिया 36%
इंडोनेशिया 32%
जापान 25%
कजाखिस्तान 25%
लाओस 40%
मलेशिया 25%
म्यांमार 40%
सर्बिया 35%
ट्यूनिशिया 25%
दक्षिण अफ्रीका 30%
दक्षिण कोरिया 25%
थाईलैंड 36%
भारत के लिए यह सूची संकेत है कि अगर अंतरिम समझौता नहीं हुआ, तो 26% टैरिफ लागू कर दिया जाएगा, जिसके गंभीर आर्थिक और निर्यात संबंधी असर हो सकते हैं।
भारत सरकार ने अमेरिका के दबाव का जवाब संतुलित लेकिन स्पष्ट शब्दों में दिया है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत समयसीमा के दबाव में कोई व्यापार समझौता नहीं करेगा।
गोयल ने 4 जुलाई को कहा था: “हम किसी समझौते को तब तक स्वीकार नहीं करेंगे जब तक वह पूरी तरह निष्पक्ष, देशहित में और पारदर्शिता से ना किया गया हो। व्यापार की साझेदारी लाभकारी होनी चाहिए, न कि एकतरफा।”
गोयल का यह बयान भारत की मंशा को दर्शाता है – ट्रंप की समयसीमा के आगे राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी 2025 में अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान इस द्विपक्षीय व्यापार समझौते की रूपरेखा तैयार की थी। दोनों देशों ने सितंबर-अक्टूबर तक समझौता फाइनल करने का लक्ष्य तय किया है। लेकिन ट्रंप प्रशासन की 1 अगस्त की टैरिफ समयसीमा इस प्रक्रिया में बाधा बन सकती है।
संभावना जताई जा रही है कि दोनों नेताओं के बीच सीधा संवाद या वीडियो वार्ता जल्द हो सकती है, ताकि टैरिफ संकट को टालते हुए अंतरिम समाधान खोजा जा सके।
डोनाल्ड ट्रंप अपनी ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत लगातार टैरिफ और ट्रेड बैलेंस के मुद्दे को आक्रामक तरीके से उठा रहे हैं। उनके लिए घरेलू उद्योगों को संरक्षण देना राजनीतिक रूप से भी लाभदायक है। लेकिन भारत जैसे रणनीतिक साझेदार के साथ व्यापार युद्ध छेड़ना दोनों देशों के दीर्घकालिक रिश्तों के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
भारत, एक उभरती वैश्विक अर्थव्यवस्था, ट्रंप की व्यापार नीति का विरोध नहीं कर रहा, लेकिन मूल्य आधारित संतुलन की बात कर रहा है। यह साफ है कि अगर अमेरिका 1 अगस्त से टैरिफ थोपता है, तो भारत भी प्रतिस्पर्धात्मक जवाब देने की स्थिति में है।
भारत और अमेरिका के बीच अगले कुछ दिन बेहद अहम होंगे। 1 अगस्त से पहले यदि कोई अंतरिम व्यापार समझौता हो जाता है, तो यह दोनों देशों के लिए लाभकारी होगा और टैरिफ संकट टल सकता है।
लेकिन अगर अमेरिका टैरिफ लागू करता है और भारत को छूट नहीं देता, तो यह द्विपक्षीय रिश्तों को असहज बना सकता है। ऐसे में देखना होगा कि मोदी सरकार देशहित को बचाते हुए, अमेरिका से कैसे सामंजस्य बनाती है।
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