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CDS Anil Chauhan On US: CDS General Anil Chauhan gave this befitting reply on nuclear blackmailing
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CDS Anil Chauhan On US: परमाणु ब्लैकमेलिंग पर CDS जनरल अनिल चौहान ने दिया ये करारा जवाब
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: भास्कर तिवारी Updated Wed, 09 Jul 2025 03:55 AM IST
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने एक कार्यक्रम में वैश्विक सुरक्षा स्थिति पर बोलते हुए अमेरिका की भूमिका को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि इस वक्त पूरी दुनिया दो वैश्विक व्यवस्थाओं के बीच बदलाव के दौर से गुजर रही है। ऐसे समय में अमेरिका की नीतियां इस अस्थिरता में मुश्किलों की एक और परत जोड़ रही है, जिससे हालात और कठिन हो रहे हैं। जनरल चौहान का यह बयान भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय रणनीतिक समीकरणों की दिशा में एक अहम संदेश के तौर पर देखा जा रहा है। जनरल चौहान ने कहा कि मौजूदा समय में दुनिया एक पुरानी वैश्विक व्यवस्था से नई व्यवस्था की ओर बढ़ रही है। इस संक्रमण काल में अमेरिका की स्थिति और उसकी रणनीतिक नीति विश्व स्तर पर एक अतिरिक्त जटिलता पैदा कर रही है। यह स्थिति भारत जैसे देशों के लिए अधिक सतर्कता और रणनीतिक तैयारी की मांग करती है, ताकि बदलते समीकरणों का प्रभाव हमारी सुरक्षा पर न पड़े।
उन्होंने यह भी कहा कि अब केवल सैन्य ताकत ही नहीं, बल्कि आर्थिक और व्यापारिक सुरक्षा भी किसी देश की कुल सुरक्षा व्यवस्था का अहम हिस्सा बन चुकी है। एक मजबूत और लचीली अर्थव्यवस्था ही राष्ट्रीय शक्ति की बुनियाद होती है, जिससे टिकाऊ विकास और सामाजिक स्थिरता सुनिश्चित होती है। भारत के लिए यह जरूरी है कि वह अपनी आर्थिक संरचना को सुरक्षित और स्वावलंबी बनाए रखे। जनरल चौहान ने कहा कि भारत जैसा देश, जो कई भाषाओं, जातियों और धर्मों का संगम है, उसके लिए आंतरिक और सामाजिक सुरक्षा बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि सामाजिक एकता और आपसी विश्वास को बनाए रखने के लिए ऐसी आंतरिक सुरक्षा नीति की ज़रूरत है, जो सभी समुदायों को एक सूत्र में बांधे। यह सामाजिक स्थायित्व भारत की सुरक्षा की मजबूती का आधार बनेगा। अपने बयान में जनरल चौहान ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत अब परमाणु ब्लैकमेलिंग से नहीं डरता। उन्होंने कहा कि परमाणु हथियार लड़ाई के लिए नहीं, बल्कि डर पैदा करने के लिए होते हैं। लेकिन भारत अब ऐसी रणनीतियों से प्रभावित नहीं होगा। उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को दो परमाणु संपन्न देशों के बीच हुए संघर्ष का इकलौता उदाहरण बताया। जनरल चौहान ने दक्षिण एशिया में बार-बार बदलती सरकारों और उनके साथ आने वाली वैचारिक अस्थिरता को भी सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती बताया। उन्होंने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र में आर्थिक संकट से जूझते देशों में बाहरी ताकतें 'कर्ज कूटनीति' के ज़रिए अपनी पकड़ मजबूत कर रही हैं। इसके साथ ही चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच संभावित रणनीतिक तालमेल क्षेत्रीय स्थिरता के लिए चिंता का विषय बन सकता है।
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