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Saudi Arabia-Pakistan Signs Defence Pact: Like NATO, Shahbaz Sharif and Prince Salman made the deal.
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Saudi Arab-Pakistan Signs Defence Pact : NATO की तरह शहबाज शरीफ और प्रिंस सलमान ने किया डील।
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: अभिलाषा पाठक Updated Thu, 18 Sep 2025 11:14 AM IST
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सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच NATO की तरह एक सैन्य समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यह रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौता इस बात का संकेत है कि सऊदी अरब अब अपने सुरक्षा गठबंधनों में विविधता लाने के लिए तैयार है। यह समझौता ऐसे समय में हुआ है, जब पारंपरिक रूप से अमेरिका की सुरक्षा गारंटी पर निर्भर खाड़ी देश कतर में इजरायल के मिसाइल हमलों के बाद से बेहद डरे हुए हैं। इस समझौते पर सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने रियाद में हस्ताक्षर किए। शहबाज शरीफ इस समय रियाद के दौरे पर हैं। इस समझौते से भारत की टेंशन बढ़ सकती है, क्योंकि इसमें यह कहा गया है कि सऊदी अरब या पाकिस्तान में किसी एक पर हमला दोनों के खिलाफ हमला माना जाएगा। एक वरिष्ठ सऊदी अधिकारी ने फाइनेंशियल टाइम्स को बताया कि हमें उम्मीद है कि इससे हमारी प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होगी। एक के खिलाफ हमला दूसरे के खिलाफ हमला है। यह एक व्यापक रक्षा समझौता है, जो विशिष्ट खतरे के आधार पर जरूरी समझे जाने वाले सभी रक्षात्मक और सैन्य साधनों का उपयोग करेगा।अमेरिका के प्रमुख गैर नाटो सहियोगियों में से एक कतर पर इजरायली हमले के बाद खाड़ी देशों का वॉशिंगटन पर भरोसा डगमगाया हुआ है और उन्हें अपने सुरक्षा की चिंता सता रही है। खाड़ी देशों ने इस बात की आशंका जताई है कि इजरायल पूरे क्षेत्र में अपनी सेना के साथ अनियंत्रित रूप से काम कर रहा है। फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि रियाद ने पाकिस्तान के साथ रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद वॉशिंगटन को इस बारे में जानकारी दी थी।
भारत के लिए क्यों है टेंशन?
यह समझौता पाकिस्तान और भारत के बीच मई में हुए सैन्य संघर्ष के चार महीने बाद हुआ है। इस समझौते से भारत का भी चिंतित होना लाजमी है। समझौते की शर्तों के अनुसार, अगर भारत पाकिस्तान पर हमला करता है, तो सऊदी अरब युद्ध में शामिल हो जाएगा। हालांकि, सऊदी ने इसी किसी देश के खिलाफ नहीं बताया है। एक वरिष्ठ सऊदी अधिकारी ने रॉयटर्स समाचार एजेंसी से बताया कि यह समझौता वर्षों की चर्चाओं का परिणाम है। यह किसी खास देश या घटना विशेष की प्रतिक्रिया नहीं है, बल्कि दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक और गहन सहयोग का संस्थागत रूप है।सऊदी अरब और पाकिस्तान के संबंधों का लंबा इतिहास रहा है। सऊदी ने दूसरे खाड़ी देशों के साथ मिलकर इस्लामाबाद को महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता दी है। रियाद और इस्लामाबाद दशकों से एक मजबूत रक्षा साझेदारी का भी इतिहास रहा है। पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख रियाद में सऊदी नेतृत्व वाले आतंकवाद-रोधी बल की कमान संभालते रहे हैं।यह समझौता 9 सितंबर 2025 को कतर की राजधानी दोहा में इजरायल के हमले के ठीक एक हफ्ते बाद हुआ, जिसमें हमास नेताओं को निशाना बनाया गया. किसी ने सोचा नहीं था कि कतर पर इजरायल हमला कर देगा.
यह हमला अमेरिकी मंजूरी के साथ हुआ था, जिससे खाड़ी देशों (सऊदी, कतर, यूएई) में अमेरिकी विश्वसनीयता पर सवाल उठे. सऊदी राजपरिवार के लिए भी यह झटका है, क्योंकि कतर भी अमेरिकी सैन्य अड्डे वाला सहयोगी है. वह अमेरिका के साथ एक नई सैन्य डील चाहता है, जिसमें उसके सुरक्षा की गारंटी हो. हालांकि अभी इसमें सऊदी कामयाब नहीं हुआ है.वहीं पाकिस्तान भी ऐसा ही कोई सहयोगी चाहता है, क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर के बाद उसने देख लिया कि कोई भी उसे बचाने नहीं आया. यह डील ईरान को भी सीधा संदेश देती है. सऊदी अरब और ईरान के बीच हाल ही में रिश्ते सामान्य करने की कोशिश हुई थी, लेकिन पाकिस्तान के साथ यह समझौता फिर से ईरान-सऊदी प्रतिस्पर्धा को हवा दे सकता है.
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