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कांग्रेस नेता प्रियांक खरगे का चौंकाने वाला बयान
अमर उजाला डिजिटल डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Wed, 26 Nov 2025 02:40 PM IST
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कर्नाटक में इन दिनों नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों को लेकर राजनीतिक गलियारों में सरगर्मी बढ़ गई है। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के साथ राज्य के कई वरिष्ठ नेताओं की अचानक हुई बैठकों ने तापमान और बढ़ा दिया है। ऐसे माहौल में राज्य के मंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियांक खरगे की प्रतिक्रिया ने चर्चा को नई दिशा दे दी है।
जब यह सवाल उनसे पूछा गया कि क्या सिद्धारमैया मुख्यमंत्री बने रहेंगे या ऊपर के स्तर पर कोई बदलाव संभव है, तो प्रियांक खरगे ने जवाब दिया-
“सब कुछ ठीक है। आलाकमान जो भी फैसला लेता है, उसका पालन सभी कर रहे हैं, चाहे वह अभी का हो या भविष्य का।”
इस बयान ने संकेत दिया कि फिलहाल सरकार और संगठन में किसी भी तरह के मतभेद की गुंजाइश नहीं है। हालांकि राजनीतिक हलचल की वजह से अटकलें थमने का नाम नहीं ले रहीं।
कर्नाटक के मंत्री शिवानंद पाटिल की उस कथित टिप्पणी पर भी प्रियांक ने प्रतिक्रिया दी, जिसमें कहा गया था कि राज्य में चुनाव हो या केंद्र में, मल्लिकार्जुन खरगे हमेशा ‘मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री पद के दावेदार’ रहते हैं।
इस पर प्रियांक खरगे ने स्पष्ट कहा, “जब भी राज्य में चुनाव होते हैं, मल्लिकार्जुन खरगे मुख्यमंत्री पद के दावेदार होते हैं। जब भी संसदीय चुनाव होते हैं, वे पीएम पद के दावेदार होते हैं। फर्क केवल संख्या से पड़ता है। जो कहना है, खरगे साहब खुद कहते हैं।”
उनका यह बयान एक तंज भी था और एक संदेश भी नेतृत्व को लेकर कोई उलझन नहीं, पार्टी का आलाकमान ही अंतिम फैसला करेगा।
नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा को लेकर भाजपा ने कांग्रेस पर निशाना साधा था। इस पर प्रियांक खरगे ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “जब हम सब एक ही सुर में बोल रहे हैं, तो उनकी दुविधा कहां है? भाजपा को कोई मुद्दा ही नहीं मिल रहा। जब भी वे कोई मुद्दा उठाते हैं, वे औंधे मुंह गिर पड़ते हैं। समस्या उनमें है, हममें नहीं।”
उनके इस बयान से साफ है कि कांग्रेस इन आरोपों को भाजपा की ‘राजनीतिक निराशा’ के तौर पर देख रही है।
भाजपा नेता आर अशोक के नेतृत्व परिवर्तन को लेकर किए गए बयान पर भी प्रियांक ने पलटवार किया। उन्होंने कहा, “अशोक अब बेरोजगार हैं। ढाई साल से क्रांति-क्रांति चिल्ला रहे हैं। क्रांति उनकी पार्टी में हुई है उन्होंने यतनाल को निकाल दिया। वे विपक्ष के नेता और भाजपा अध्यक्ष बने रहने की भीख मांग रहे हैं। अपनी पार्टी की कमजोरियों को छिपाने के लिए कांग्रेस में क्रांति का भ्रम पैदा कर रहे हैं।” इस बयान ने राजनीतिक तल्खी को और गहरा कर दिया है।
हाल ही में प्रियांक खरगे ने राहुल गांधी से मुलाकात की थी, जिसे लेकर भी राजनीति गर्म हुई। इस पर उन्होंने साफ कहा, “राहुल गांधी बेंगलुरु टेक समिट के लिए आने वाले थे। उन्हें AI पर्सनल कंप्यूटर लॉन्च करना था। मैंने उनसे समय मांगा था। क्या मुझे अपने हाईकमान को विभाग का असाधारण काम नहीं दिखाना चाहिए?” इस बयान से उन्होंने सियासी अटकलों को धता बताते हुए मुलाकात को केवल ‘सरकारी कामकाज’ का हिस्सा बताया।
कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें भले ही लगातार सुर्खियों में हों, लेकिन प्रियांक खरगे के बयानों से साफ संकेत मिलता है कि कांग्रेस फिलहाल किसी आंतरिक संकट को स्वीकार करने को तैयार नहीं। पार्टी नेतृत्व बार-बार यही कह रहा है कि अंतिम निर्णय आलाकमान का होगा, और सभी नेता उसी पर चलेंगे।
भाजपा इसे बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है, लेकिन कांग्रेस के नेता इसे ‘राजनीतिक हताशा’ करार दे रहे हैं। फिलहाल इतना तय है कि कर्नाटक की राजनीति अगले कुछ दिनों तक इसी मुद्दे के इर्द-गिर्द घूमती रहेगी।
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