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Trump's confession on the deteriorating relationship with India, but this sorrow still haunts him!
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भारत के साथ बिखरते रिश्ते पर ट्रंप का कबूलनामा, लेकिन सता रहा ये गम!
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Sat, 13 Sep 2025 03:09 PM IST
अमेरिकी राजनीति में हमेशा सुर्खियों में रहने वाले डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत को लेकर बड़ा बयान दिया है। फॉक्स न्यूज को दिए अपने ताज़ा साक्षात्कार में ट्रंप ने स्वीकार किया कि भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ लगाने से दोनों देशों के रिश्तों में दरार आई है। उन्होंने दावा किया कि भारत रूस का सबसे बड़ा ग्राहक रहा है और इसी वजह से उन्होंने रूस से तेल खरीदने पर भारत पर 50 प्रतिशत (25% + 25%) टैरिफ लगाया।
ट्रंप ने कहा, “यह एक बड़ी बात है और इससे भारत के साथ दरार पैदा होती है। याद रखिए, यह समस्या हमारी तुलना में यूरोप के लिए ज्यादा गंभीर है।”
इस इंटरव्यू में ट्रंप ने पहली बार यह भी माना कि वह रूस-यूक्रेन विवाद को सुलझाने में नाकाम रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें यह संघर्ष सबसे आसान लगता था, लेकिन हालात उम्मीद से कहीं ज्यादा पेचीदा निकले।
ट्रंप बोले, “मुझे लगा था कि यूक्रेन और रूस का विवाद सबसे आसान होगा। समझौते के लिए दो लोगों की जरूरत होती है। जब पुतिन तैयार होते हैं तो जेलेंस्की नहीं होते, और जब जेलेंस्की तैयार होते हैं तो पुतिन पीछे हट जाते हैं। अब जेलेंस्की तैयार हैं, लेकिन पुतिन पर सवालिया निशान है। यही वह युद्ध है, जिसे मैं सुलझा नहीं पाया।”
यह बयान अपने आप में बड़ा है, क्योंकि ट्रंप अक्सर अपने कार्यकाल में कई अंतरराष्ट्रीय संकट सुलझाने का दावा करते रहे हैं।
ट्रंप ने साफ कहा कि भारत रूस से तेल का सबसे बड़ा खरीदार था और इसी वजह से उन्हें भारत पर सख्त कदम उठाने पड़े। उन्होंने बताया कि उन्होंने भारत पर तेल आयात को लेकर अतिरिक्त टैरिफ लगाया, जिससे सीधा असर दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों पर पड़ा।
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि अमेरिका लंबे समय से चाहता है कि भारत रूस से तेल खरीद कम करे, लेकिन भारत अपने ऊर्जा हितों को ध्यान में रखते हुए रूस से तेल आयात जारी रखता रहा है।
ट्रंप ने अपने बयान में अपने ‘अमेरिका फर्स्ट’ एजेंडे का बचाव भी किया। उन्होंने कहा कि टैरिफ ने अमेरिका को मजबूत बनाया है और इससे देश को अरबों डॉलर का फायदा हुआ।
व्हाइट हाउस के बयान के हवाले से उन्होंने कहा, “हम टैरिफ की वजह से सफल रहे हैं। इसने हमें उन देशों से बातचीत करने की ताकत दी है, जिन्होंने हमारा फायदा उठाया। साथ ही इसने हमें एक अमीर देश बनाया। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है और इसे जीतना बेहद जरूरी है।”
साक्षात्कार में ट्रंप ने अपने कार्यकाल की उपलब्धियों को भी गिनाया। उन्होंने कहा कि उन्होंने सात युद्ध रोके, जिनमें पाकिस्तान-भारत जैसे देशों के बीच तनाव भी शामिल था। इसके अलावा उन्होंने अफ्रीकी देशों कांगो और रवांडा का उदाहरण दिया, जहां लाखों लोग मारे गए थे और उन्होंने वहां शांति बहाल करने में भूमिका निभाई।
ट्रंप के इस बयान ने भारतीय कूटनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। भारत और अमेरिका पिछले एक दशक से रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने में जुटे हैं। रक्षा, ऊर्जा, प्रौद्योगिकी और व्यापार के मोर्चे पर दोनों देशों के रिश्ते काफी गहरे हुए हैं। लेकिन टैरिफ को लेकर ट्रंप का आक्रामक रवैया रिश्तों पर तनाव ला सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप अगर दोबारा सत्ता में आते हैं तो भारत के सामने बड़ी चुनौती होगी। एक तरफ उसे रूस से तेल खरीद जारी रखनी है, तो दूसरी तरफ अमेरिका से साझेदारी भी बनाए रखनी है।
भारत रूस-यूक्रेन युद्ध पर अब तक संतुलित रुख अपनाता रहा है। एक तरफ वह रूस से ऊर्जा आयात जारी रखता है, तो दूसरी तरफ संयुक्त राष्ट्र में शांति और कूटनीतिक समाधान का आह्वान करता रहा है। ट्रंप के बयान के बाद यह सवाल और गहराता है कि अगर वे सत्ता में लौटते हैं, तो भारत को किस तरह की दबाव राजनीति का सामना करना पड़ेगा।
डोनाल्ड ट्रंप का यह साक्षात्कार कई मायनों में महत्वपूर्ण है। एक ओर उन्होंने रूस-यूक्रेन विवाद को सुलझाने में अपनी नाकामी स्वीकार की, वहीं दूसरी ओर भारत पर टैरिफ लगाने का खुला ऐलान किया। उनकी बातें यह संकेत देती हैं कि आने वाले समय में अमेरिका की विदेश नीति और व्यापारिक रणनीति और ज्यादा आक्रामक हो सकती है।
भारत के लिए यह वक्त सावधानी से कदम बढ़ाने का है क्योंकि एक ओर ऊर्जा सुरक्षा का सवाल है, तो दूसरी ओर अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी को बनाए रखना भी जरूरी है।
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