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Trump Statement on PM Modi: अमेरिकी राष्ट्रपति के भारत को लेकर क्यों बदल गए सुर,खत्म होगा टैरिफ?
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Trump Statement on PM Modi: अमेरिकी राष्ट्रपति के भारत को लेकर क्यों बदल गए सुर,खत्म होगा टैरिफ?
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: अभिलाषा पाठक Updated Sun, 07 Sep 2025 10:41 AM IST
50 फीसदी टैरिफ के बाद जिस तरह का तनाव बन गया था, अब ट्रंप के बदलते सुर को देखते हुए कहा जा सकता है कि भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों पर तनाव की बर्फ पिघल रही है. हालांकि टैरिफ पर अभी कोई आधिकारिक बात नहीं हुई है, लेकिन तनाव कम होता दिख रहा है.दरअसल, भारत को लेकर राष्ट्रपति ट्रंप का रुख बदल रहा है. ट्रंप के टैरिफ वाले फैसले के बाद भारत ने जिस तरह नए रास्ते तलाशे. नए समीकरण बनाने शुरू किए. अमेरिका पर कूटनीतिक दबाव बनाया. इसके बाद हर किसी को ट्रंप को लेकर यही लग रहा था कि ये तो होना ही था.ट्रंप का रुख नॉर्मल क्यों होने लगा?
अब सवाल यही है ट्रंप की आंखों पर बंधी पट्टी अब कैसे हट रही है. ट्रंप का रुख भारत को लेकर अब क्यों नॉर्मल हो रहा है. इसे भारत और अमेरिका की स्ट्रैटेजी को एक तराजू पर रखकर तौलकर देखते हैं और इसे समझते हैं. ट्रंप के विचार परिवर्तन की असली वजह क्या है. टैरिफ दर्शी वाले ट्रंप अब कैसे दूरदर्शी हो रहे हैं. एक तरफ है ट्रंप की बड़बोली नीति है जो पिछले कुछ दिनों से पूरी दुनिया देख रही है. दूसरी तरफ है भारत की संयमित कूटनीति, जिसका अभी पलड़ा भारी है. भारत के कूटनीतिक वजन से ट्रंप को अब टेंशन होने लगा है.
द ग्रेट पाकिस्तान की रट लगाने वाले ट्रंप अब भारत के प्रधानमंत्री को महान कह रहे हैं और भारत के साथ रिश्ते सुधारने पर जोर दे रहे हैं. राष्ट्रपति ट्रंप कहते हैं, “मैं हमेशा पीएम मोदी का दोस्त रहूंगा. मोदी एक महान प्रधानमंत्री हैं, वो महान हैं. मैं हमेशा उनका दोस्त रहूंगा लेकिन इस समय जो वो कर रहे हैं मुझे पसंद नहीं है, लेकिन भारत और अमेरिका का एक खास रिश्ता है. चिंता करने की कोई बात नहीं है. बस कभी-कभी हमारे बीच ऐसी घटना वाले पल आ जाते हैं.”अमेरिका और भारत के बीच बीते कई वर्षों से कूटनीतिक रिश्ते जबरदस्त स्तर पर रहे। दोनों ही देशों ने 2002 के बाद से न सिर्फ व्यापार में बढ़ोतरी दर्ज की, बल्कि रक्षा समझौतों से लेकर आर्थिक समझौतों पर भी मुहर लगाई। हालांकि, यह पूरी स्थिति इस साल जुलाई के बाद कुछ हद तक बदली नजर आई है। पहले ट्रंप की तरफ से भारतीय उत्पादों के खिलाफ 25 फीसदी टैरिफ और फिर रूस से तेल खरीदने के लिए अतिरिक्त जुर्माना लगाए जाने के बाद रिश्ते निचले स्तर पर हैं। इस बीच खुद राष्ट्रपति ट्रंप, उनके व्यापार सलाहकार पीटर नवारो, वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट और वाणिज्य मंत्री हावर्ड लुटनिक की तरफ से दिए बयानों ने संबंधों को और बिगाड़ने का काम किया है। भारत की तरफ से ट्रंप प्रशासन की इस कार्रवाई और नेताओं के बयानों पर आपत्ति जताई गई है। हालांकि, इस विषय में कोई कदम नहीं उठाया गया। इसके उलट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में हिस्सा लेकर संकेत दिया कि भारत की गुटनिरपेक्ष रहने वाली नीति अभी भी बरकरार है। मोदी के इस दौरे के बाद से ही राष्ट्रपति ट्रंप के रवैये में नरमी देखी गई है।
उनके एक के बाद एक पोस्ट और मीडिया में दिए बयानों से यह साफ झलकता है। ऐसे में जब शुक्रवार को उन्होंने कहा कि मैं हमेशा मोदी का दोस्त रहूंगा और भारत-अमेरिका के विशेष रिश्ते हैं तो यह साफ हो गया कि अमेरिकी राष्ट्रपति अब भारत से समझौता करने की कोशिश में हैं।पश्चिम एशिया के विशेषज्ञ रणनीतिकार वाएल अव्वाद ने शनिवार को कहा कि ट्रंप की टिप्पणी स्पष्ट करती है कि भारत कोई छोटा-मोटा देश नहीं, बल्कि एक उभरती शक्ति है। अमेरिका ऐसी ताकत को खोने जोखिम नहीं उठा सकता। आखिरकार पिछले तीन दशकों से अमेरिका भी इन संबंधों को सुधारने और सामान्य बनाने की कोशिश कर रहा है। वहीं, पूर्व राजनयिक केपी फैबियन ने कहा कि ट्रंप की टिप्पणियों को विरोधाभासी बताया और उन्हें बहुत ज्यादा तवज्जो ने देने का आग्रह किया। हालांकि, ट्रंप के बयान पर प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिक्रिया को फैबियन ने एकदम सटीक बताया। फैबियन ने कहा कि पीएम मोदी ने बेहतरीन कूटनीतिक अंदाज में जवाब दिया है। उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप की शैली मुझे अरस्तू की याद दिलाती है, जिन्होंने कहा था कि अगर आप खुद का खंडन करते हैं तो मुझे आपका खंडन करने की जरूरत नहीं है।
ट्रंप बार-बार बयान बदलते रहते हैं इसलिए उनकी बातों को नीतिगत बदलाव जैसे गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए। फ्रांस और मोनाको में भारत के राजदूत रह चुके जावेद अशरफ का मानना है कि ट्रंप ने जिस तरह भारत के साथ रिश्ते को बेहद खास बताया और कहा है कि इस बारे में चिंता करने की जरूरत हैं, वो स्वागत योग्य है। यह अमेरिकी पक्ष की तनाव घटाने की कोशिशों को दर्शाता है।पूर्व राजनयिक टीपी श्रीनिवासन ने ताजा घटनाक्रम को एक अच्छी खबर बताया। उन्होंने कहा, राष्ट्रपति ट्रंप के मन में बदलाव दिख रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी पर कुछ बहुत ही सकारात्मक बयान दिए हैं, जो दर्शाता है कि इन मुद्दों पर एक समझ बन सकती है। हालांकि, वह इस मामले में बहुत विश्वसनीय नहीं हैं क्योंकि उनके बयान बार-बार बदलते भी रहते हैं। जब वह नरम रुख अपनाते हैं, तब भी उनके सलाहकार सख्त रुख अपनाते हैं। यह देखकर खुशी हो रही है कि हम अमेरिका को छोड़कर चीन और रूस की ओर नहीं बढ़ रहे हैं।भले ही ट्रंप के सहयोगियों ने भारत के खिलाफ लगातार आक्रामक और अपमानजनक अभियान चलाया, मगर ट्रंप ने कभी पीएम मोदी पर व्यक्तिगत हमला नहीं बोला। यह सच है कि अमेरिकी राष्ट्रपति के रुख में दिख रही नरमी का कारण चीन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पीएम मोदी के बीच दिखी केमिस्ट्री था। अब अगर दोनों देश सकारात्मक भाव से आगे भी बढ़े, तब भी संबंध सामान्य होने में लंबा समय लग जाएगा। अमेरिका ने जिस आधार पर टैरिफ लगाकर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की है, उस मामले में भारत पहले की तरह अपने रुख पर डटा है। मसलन रूस से तेल की खरीदारी बंद नहीं हुई। अमेरिका के बयानों पर पलटवार भी जारी है।
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