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सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच क्या बात हुई?
अमर उजाला डिजिटल डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Sat, 29 Nov 2025 12:44 PM IST
कर्नाटक में पिछले कई दिनों से मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही सियासी खींचतान शनिवार को अचानक शांत होती दिखी, जब डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार सुबह-सुबह मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के कावेरी रेजिडेंस पहुंचे। दोनों नेताओं ने साथ में नाश्ता किया और करीब एक घंटे तक बंद कमरे में बातचीत चली। इस मुलाकात के बाद जो संकेत बाहर आए, उन्होंने कर्नाटक की राजनीति में मची हलचल को कुछ हद तक शांत कर दिया।
बैठक के बाद दोनों नेता साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में सामने आए। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा, “मेरे और शिवकुमार के बीच किसी भी तरह का मतभेद नहीं है, और भविष्य में भी नहीं होगा। यह भ्रम बीजेपी ने फैलाया था।” सिद्धारमैया ने बताया कि मुलाकात में 2028 विधानसभा चुनाव की रणनीति और सरकार की प्राथमिकताओं पर चर्चा हुई।
डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने भी एक्स पर पोस्ट शेयर कर कहा कि नाश्ते के दौरान “कर्नाटक की प्राथमिकताओं और आगे के रास्ते” पर लंबी चर्चा हुई।
हाईकमान के दबाव के बाद हुई सुलह?
कांग्रेस आलाकमान पिछले कुछ दिनों से सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच बढ़ती तनातनी को लेकर बेहद चिंतित था। सूत्रों के मुताबिक, हाईकमान ने दोनों नेताओं से अलग-अलग बात कर कहा था कि विवाद को तुरंत समाप्त किया जाए, क्योंकि इससे सरकार की छवि खराब हो रही है।
इसी निर्देश के बाद सिद्धारमैया ने शनिवार की सुबह शिवकुमार को नाश्ते पर बुलाया। माना जा रहा है कि दोनों नेताओं ने पावर-शेयरिंग से लेकर मंत्रिमंडल में बदलाव तक कई मुद्दों पर चर्चा की।
कर्नाटक के गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने भी इस विवाद पर बयान दिया। उन्होंने कहा: “कोई शिवकुमार को सीएम बनाना चाहता है, कोई सिद्धारमैया को। लोगों की उम्मीदों को रोका नहीं जा सकता। आखिर फैसला हाईकमान का होता है।” परमेश्वर ने संकेत दिया कि दोनों नेताओं के बीच जो भी मतभेद हैं, हाईकमान समय रहते उन्हें सुलझा लेगा।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और भाजपा विधायक आर. अशोक ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि कर्नाटक की राजनीति “निर्णायक मोड़” पर खड़ी है।
अशोक ने दावा किया:
• सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच लड़ाई सड़क पर आ चुकी है।
• हाईकमान कमजोर है और पावर-शेयरिंग लागू नहीं कर पा रहा।
• पिछले एक साल में राज्य में कोई विकास कार्य नहीं हुआ।
• मंत्री काम नहीं कर रहे, विधानसभा का काम ठप पड़ा है।
उन्होंने कहा कि जनता भ्रमित है कि “वास्तविक मुख्यमंत्री कौन है।”
उन्होंने बताया कि आज भाजपा और जेडीएस की संयुक्त बैठक होगी, जिसमें इस राजनीतिक स्थिति पर रणनीति बनाई जाएगी।
सिद्धारमैया और शिवकुमार की नाश्ता-राजनीति ने फिलहाल स्थिति को शांत किया है, लेकिन अंदरूनी तनाव पूरी तरह खत्म हुआ है या नहीं यह कहना अभी जल्दबाज़ी होगी। कर्नाटक सरकार में नेतृत्व की लड़ाई पिछले छह महीनों से राजनीतिक अस्थिरता पैदा कर रही है। अब नजर इस बात पर है कि हाईकमान इस विवाद का स्थायी समाधान कैसे निकालता है और 2028 चुनाव तक दोनों नेताओं के बीच तालमेल कितनी मजबूती से बना रहता है।
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