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Jammu Kashmir: प्रदूषण ने वुलर झील के मछुआरों की धूप-सूखी मछली की परंपरा पर लगाया ग्रहण
उत्तरी कश्मीर के बांदीपोरा जिले के लहरवालपोरा गांव में मछुआरे दशकों से धूप में सुखाई गई मछली बनाते थे जो सर्दियों में पूरे इलाके में खाई जाती थी। वे इसे स्थानीय बाजारों में बेचते थे। यह परंपरा तेजी से खत्म हो रही है क्योंकि वुलर झील में प्रदूषण और पर्यावरण की गिरावट के कारण मछलियों की उपलब्धता कम होती जा रही है।
स्थानीय रूप से हॉगार्ड के नाम से जानी जाने वाली इन मछलियों को स्थानीय बाजारों में बेचने से पहले सुखाया जाता है। खासकर सर्दियों में इसकी मांग बढ़ जाती है। स्थानीय मछुआरे मोहम्मद सुभान मल्ला ने कहा कि बिना ट्रीट किया हुआ घरेलू कचरा, प्लास्टिक प्रदूषण और पानी का घटता स्तर एशिया की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील में मछली प्रजनन पर बहुत बुरा असर डाल रहा है।
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