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मोगा: सड़क हादसे में मारे गए अध्यापक दंपती को न्याय दिलाने के लिए कैंडल मार्च
चुनावी ड्यूटी के दौरान सड़क हादसे में जान गंवाने वाले अध्यापक दंपती जसकरण सिंह और कमलजीत कौर को न्याय दिलाने की मांग को लेकर मोगा जिले के गांव धुरकोट रणसिंह कलां में विशाल कैंडल मार्च निकाला गया। इस मार्च में बड़ी संख्या में अध्यापक, गांव के बच्चे, महिलाएं तथा विभिन्न किसान यूनियनों के प्रतिनिधि शामिल हुए। गौरतलब है कि 14 दिसंबर को चुनावी ड्यूटी पर जाते समय हुए एक दर्दनाक सड़क हादसे में अध्यापक दंपती जसकरण सिंह और कमलजीत कौर की मौत हो गई थी। इस हादसे के बाद परिवार और अध्यापक यूनियन ने सरकार से मृतक दंपति के दोनों बच्चों की पूरी शिक्षा की जिम्मेदारी लेने, 2-2 करोड़ रुपये मुआवजा देने तथा पढ़ाई पूरी होने के बाद दोनों बच्चों को सरकारी नौकरी देने की मांग की थी। इन मांगों को लेकर 16 दिसंबर को मोगा डीसी कार्यालय के बाहर धरना भी दिया गया था,जहां मोगा प्रशासन ने परिवार और अध्यापक यूनियन को आश्वासन दिया था कि उनकी मांगें सरकार तक पहुंचाई जाएंगी। लेकिन बाद में सरकार की ओर से केवल 10-10 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की गई, जिससे परिवार और अध्यापक वर्ग में भारी रोष है।कैंडल मार्च के दौरान सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई।
मृतक अध्यापक के भाई ने कहा कि सरकार ने उनके परिवार के दर्द को समझने के बजाय मजाक किया है। उन्होंने कहा कि हमारे परिवार ने बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी, 2-2 करोड़ रुपये मुआवजा और पढ़ाई के बाद सरकारी नौकरी की मांग की थी, लेकिन सरकार ने इन मांगों को नजरअंदाज कर दिया। उन्होंने बताया कि विधायक और पंजाब विधानसभा स्पीकर कुलतार सिंह संधवां भी परिवार से मिलने आए थे और आश्वासन देकर गए थे। आगे जो भी फैसला जत्थेबंदियों ने लेंगे परिवार उनके साथ चलेंगे ।
इस मौके पर डीटीएफ (डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट) के सूबा प्रधान दिगविजय पाल शर्मा ने कहा कि चुनावी ड्यूटी के दौरान हमारे दो अध्यापक साथियों की मौत बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने आरोप लगाया कि महिला अध्यापकों को भी दूर-दराज के इलाकों में चुनावी ड्यूटी पर भेजा जाता है, जिससे ऐसे हादसे होते हैं। सरकार द्वारा सिर्फ 10-10 लाख रुपये देने की घोषणा बेहद शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि एक ओर मुख्यमंत्री खुद को मास्टर का बेटा बताते हैं, लेकिन दूसरी ओर मास्टरों के परिवारों के दर्द को नहीं समझते। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने मांगें नहीं मानीं तो संघर्ष और तेज किया जाएगा।
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