आगर जिला मुख्यालय स्थित एक निजी अस्पताल में दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल भर्ती मरीज की मौत के बाद परिजनों ने जमकर हंगामा किया। हंगामे के दौरान परिजनों ने डॉक्टरों और स्टाफ के साथ झूमाझटकी भी की।
दरअसल, सोमवार को उज्जैन-कोटा मार्ग पर राधास्वामी सत्संग पॉइंट के समीप एक कार और पिकअप वाहन में आमने-सामने की जोरदार भिड़ंत हो गई। हादसे में दो सगे भाइयों की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि अन्य चार लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इन्हीं घायलों में से एक नरसिंह पिता कनिराम का नवजीवन अस्पताल में उपचार चल रहा था। इलाज के दौरान मंगलवार को उनकी मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि घायल व्यक्ति की मृत्यु सोमवार सुबह 10 बजे ही हो गई थी, लेकिन इलाज के नाम पर अस्पताल प्रबंधन द्वारा जबरदस्ती उन्हें भर्ती रखा गया और वेंटिलेटर पर कृत्रिम सांस देने की कोशिश की गई।
इस मामले में अस्पताल के चिकित्सक डॉ. सचिन रावल का कहना है कि घायल को गंभीर अवस्था में प्राइवेट एम्बुलेंस से लाया गया था। उसकी स्थिति नाजुक थी और सिर में खून के थक्के जम चुके थे। हमने मरीज के परिजनों को सलाह दी थी कि वे उसे वेंटिलेटर वाली एम्बुलेंस से उज्जैन या इंदौर किसी बड़े अस्पताल में ले जाएं, लेकिन परिजनों ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और कहा कि आप इन्हें डिस्चार्ज कर दीजिए, हम इन्हें घर ले जाएंगे। अस्पताल प्रबंधन द्वारा मरीज को एम्बुलेंस में शिफ्ट कर दिया गया था, मरीज की मौत अस्पताल में नहीं, बल्कि एम्बुलेंस में हुई है।
हंगामे के बाद सीएसपी मोतीलाल कुशवाह, कोतवाली थाना प्रभारी अनिल मालवीय, तहसीलदार आलोक वर्मा, पुलिस बल और प्रशासन के अन्य अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे। बता दें कि सोमवार को ही दुर्घटना में मृत दो व्यक्तियों के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दो-दो लाख रुपए की आर्थिक सहायता और घायलों के लिए 50-50 हजार रुपए की आर्थिक सहायता की घोषणा की थी। अब घायल की मृत्यु के बाद प्रकरण को संशोधित करने की प्रक्रिया प्रशासन ने शुरू कर दी है, मृतक को 2 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दिलाई जाएगी।