सागर जिले की मालथौन तहसील के ग्राम रजवांस में एक युवा किसान द्वारा झरबेरी के पौधों में ग्राफ्टिंग कर एप्पल बेर के नए पौधे तैयार किए गए हैं। कृषि तथा उद्यानिकी क्षेत्र में नवाचार करने वाले किसान ने छोटे से गांव में नया मॉडल पेश किया है। यह परंपरागत खेती से हटकर है और खरपतवार समझे जाने वाले झरबेरियों के झाड़ अब एप्पल बेरों से लदे हैं, जो किसान को मुनाफे का सौदा बन रहे हैं।
बुंदेलखंड अंचल में किसानों के खेतों की मेड पर झरबेरी या देशी बेर के झाड़ बहुतायत उग जाते हैं, जिन्हें किसान प्रतिवर्ष काट-छांट देते हैं। इन झाड़ों से बेर के फल तो पैदा होते हैं। लेकिन यह छोटे और गुणवत्ता विहीन रहते हैं। अमूनन किसान झरबेरी के इन झाड़ों को खरपतवार मानते हैं। लेकिन इस युवा किसान द्वारा खेतों के किनारे उगने वाली झरबेरी में बडिंग कर एप्पल बेर का पौधा बना दिया, जिनसे अब बंपर उत्पादन हो रहा है।
एप्पल बेर का वजन 100 से 120 ग्राम तक आ रहा है। किसान अंकित जैन ने बताया कि उन्होंने चार साल पहले भी ऐसा प्रयोग किया था। लेकिन वो असफल हो गए थे। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अब खेतों के किनारे मेड पर उगने वाली झाड़ी जिसे झरबेरी कहते हैं, उनमें ग्राफ्टिंग कर एप्पल बेर की नई फसल तैयार कर ली है। जो कि छह महीने में पककर तैयार हो जाती है और उससे फल मिलने शुरू हो जाते हैं, जो कि बहुत ही लाभ का धंधा है।
वहीं, इस युवा किसान द्वारा किए इस नवाचार की सराहना कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह बड़ी सरल प्रक्रिया है और अगर ऐसा जिले के सभी किसान करने लगे तो सागर एप्पल बेर निर्यात का केंद्र बन सकता है। वहीं, इस युवा किसान द्वारा किए गए कार्यों से अन्य किसान भी प्रभावित है तथा वह भी ऐसा नवाचार करना चाहते हैं।
...सागर से कृष्णकांत नगाइच की रिपोर्ट
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