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Ujjain Mahakal: Baba Mahakal gave darshan in the form of Shri Krishna wearing a peacock feather
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Ujjain Mahakal: वैष्णव तिलक, मोर पंख और गले में तुलसी की माला पहनकर सजे बाबा, दिए श्रीकृष्ण स्वरूप में दर्शन
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, उज्जैन Published by: उज्जैन ब्यूरो Updated Tue, 04 Nov 2025 07:36 AM IST
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कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर आज मंगलवार सुबह भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल के दरबार मे हजारों श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा। इस दौरान भक्तों ने देर रात से ही लाइन में लगकर अपने ईष्ट देव बाबा महाकाल के दर्शन किए। आज बाबा महाकाल भी भक्तों को दर्शन देने के लिए सुबह 4 बजे जागे। जिन्होंने मस्तक पर वैष्णव तिलक लगाकर भक्तों को श्री कृष्ण स्वरूप में दर्शन दिए। जिससे पूरा मंदिर परिसर जय श्री महाकाल की गूंज से भी गुंजायमान हो गया।
श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर मे कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर आज मंगलवार सुबह 4 बजे भस्म आरती हुई। इस दौरान वीरभद्र जी से आज्ञा लेकर मंदिर के पट खुलते ही पण्डे पुजारियों ने गर्भगृह में स्थापित सभी भगवान की प्रतिमाओं का पूजन किया। जिसके बाद भगवान महाकाल का जलाभिषेक दूध, दही, घी, शक्कर पंचामृत और फलों के रस से किया गया। पूजन के दौरान प्रथम घंटाल बजाकर हरि ओम का जल अर्पित किया गया। पुजारियों और पुरोहितों ने इस दौरान बाबा महाकाल का श्रीकृष्ण स्वरूप में शृंगार कर कपूर आरती के बाद बाबा महाकाल को नवीन मुकुट के धारण कराया गया। जिसके बाद महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से भगवान महाकाल के शिवलिंग पर भस्म अर्पित की गई। आज के शृंगार की विशेषता यह थी कि आज बाबा महाकाल का भांग से शृंगार कर मस्तक पर वैष्णव तिलक, सिर पर मोर पंख और गले में तुलसी बेलपत्र की माला पहनाकर भस्म आरती में श्री कृष्ण स्वरूप में शृंगार किया गया था। इन दिव्य दर्शनों का लाभ हजारों भक्तों ने लिया और जय श्री महाकाल का जयघोष भी किया। मान्यता है की भस्म अर्पित करने के बाद भगवान निराकार से साकार स्वरूप मे दर्शन देते हैं।
आज के दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा का है विशेष महत्व
वैकुंठ चतुर्दशी हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों की पूजा का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन श्रद्धा से पूजा करता है, उसे वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है और जीवन-मृत्यु के बंधन से मुक्ति यानी मोक्ष मिलता है। पंचांग के अनुसार, साल 2025 में कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 3 नवंबर, सोमवार की रात 2 बजकर 5 मिनट से शुरू हो चुकी है जो कि 4 नवंबर, मंगलवार की रात 10 बजकर 36 मिनट तक रहेगी।
वैकुंठ चतुर्दशी 2025 का शुभ मुहूर्त
• वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल देव दिवाली 5 नवंबर 2025 (बुधवार) को मनाई जाएगी।
• कार्तिक पूर्णिमा की शुरुआत: 4 नवंबर रात 10:36 बजे।
• समापन: 5 नवंबर शाम 6:48 बजे।
• ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:52 से 05:44 बजे तक।
• विजय मुहूर्त: दोपहर 01:54 से 02:38 बजे तक।
• गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:33 से 05:59 बजे तक।
• प्रदोषकाल दीपदान मुहूर्त: शाम 05:15 से 07:50 बजे तक।
• इन मुहूर्तों में पूजा और दीपदान करना विशेष फलदायी माना गया है।
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