उज्जैन का श्री महाकालेश्वर मंदिर, जो कि आस्था का सबसे पवित्र केन्द्र माना जाता है, एक बार फिर वीआईपी संस्कृति को लेकर विवादों में है। इस बार मामला इंदौर की तीन नंबर विधानसभा के विधायक गोलू शुक्ला के पुत्र रुद्राक्ष शुक्ला का है, जो नियमों को ताक पर रखकर जबरन मंदिर के गर्भगृह में घुस गया। इस घटना का वीडियो और जानकारी सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। श्रद्धालुओं ने जहां इस हरकत की तीखी निंदा की है, वहीं मंदिर प्रशासन और जिला प्रशासन पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
‘गर्भगृह में प्रवेश पर वीआईपी के लिए छूट क्यों?’
श्री महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में आम नागरिकों के प्रवेश पर सख्त प्रतिबंध है। यह प्रोटोकॉल सुरक्षा, परंपरा और भीड़ नियंत्रण को ध्यान में रखकर बनाया गया है। लेकिन जब रुद्राक्ष शुक्ला ने नियमों को नजरअंदाज कर गर्भगृह में जबरन प्रवेश किया और दर्शन किए, तब श्रद्धालुओं ने इसे ‘धार्मिक मर्यादा का उल्लंघन’ करार दिया।
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आम लोगों के लिए सोशल मीडिया बना विरोध का मंच
घटना के वायरल होते ही फेसबुक और इंस्टाग्राम पर श्रद्धालुओं का गुस्सा फूट पड़ा। लोग लिख रहे हैं कि मंदिर अब आम जनता के लिए नहीं, केवल वीआईपी लोगों की सुविधा का केंद्र बन चुका है।
नागदा निवासी आशीष शर्मा ने लिखा कि एक मंदिर में दो चेहरे देखने को मिलते हैं कि आम आदमी सिर्फ धक्के खाए और बाकी पैसे वाले कलेक्टर के राज में सीधे गर्भगृह में। बाबा महाकाल इनको सद्बुद्धि दें।
उज्जैन के सुरेन्द्र यादव का कहना है कि महाकाल मंदिर अब राजा-महाराजाओं और जमींदारों का प्रतीक बन गया है। जैसे पहले सिर्फ उच्च वर्ग को पूजा की इजाजत होती थी, अब वही स्थिति है।
फ्रीगंज की कल्पना गुजराती ने तीखी टिप्पणी की कि भगवान के दरबार में सब समान हैं तो फिर वीआईपी दर्शन क्यों? मंदिरों में वीआईपी संस्कृति पर रोक लगनी चाहिए।
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‘आम भक्तों को गर्भगृह से दूर, वीआईपी को विशेषाधिकार क्यों?’
अरविंद नगर की मोना जैन ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार खुद नियम बनाती है, लेकिन पालन खुद नहीं करती। आम लोगों को भी गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति मिलनी चाहिए।
देव भाटिया ने कहा कि या तो सबको गर्भगृह में दर्शन करने दो, या फिर किसी को नहीं। समान व्यवस्था होनी चाहिए।
प्रशासन की कार्रवाई पर उठे सवाल
भरत पोरवाल ने प्रशासन की दोहरी नीति पर कटाक्ष कर लिखा कि कोई गरीब अगर लाइन से एक कदम भी हट जाए तो उसे पीट-पीट कर केस दर्ज कर देते हैं। लेकिन जब रसूखदार नियम तोड़ते हैं, तो जांच का बहाना बनाया जाता है। इसमें क्या जांच होनी है? पकड़कर जेल भेजो।