श्रावण मास में विश्वप्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में रविवार को तड़के भस्म आरती के साथ बाबा महाकाल का विशेष श्रृंगार और पूजन किया गया। सुबह 3 बजे मंदिर के पट वीरभद्र जी की आज्ञा के बाद खोले गए और इसके पश्चात भस्म आरती संपन्न हुई। बाबा महाकाल का पंचामृत से जलाभिषेक किया गया, जिसमें दूध, दही, घी, शक्कर और फलों के रस का प्रयोग किया गया। पुजारियों द्वारा बाबा का श्रृंगार भांग, सूर्य-मस्तक और रुद्राक्ष माला से किया गया। इस अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं ने दर्शन लाभ लिया और मंदिर परिसर “जय श्री महाकाल” के उद्घोष से गूंज उठा। पूजन उपरांत महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से शिवलिंग पर भस्म अर्पित की गई। इसके बाद बाबा महाकाल को नवीन मुकुट और रुद्राक्ष की माला पहनाई गई। आरती के समापन पर राष्ट्र की सुख-समृद्धि के लिए विशेष प्रार्थना भी की गई।
श्रावण महोत्सव में शास्त्रीय संगीत, कथक और बांसुरी वादन की शानदार प्रस्तुतियां
श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा आयोजित 20वें अखिल भारतीय श्रावण महोत्सव “शिव सम्भवम 2025” की प्रथम और द्वितीय संध्या में शास्त्रीय गायन, समूह कथक नृत्य और बांसुरी वादन की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रथम संध्या में दीप प्रज्ज्वलन के बाद गौतम काले ने शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति दी, जिसके बाद ग्वालियर की शिखा डांस अकादमी की निर्देशिका शिखा सोनी के निर्देशन में कथक नृत्य हुआ। समापन मुंबई के ऋषिकेश मजुमदार की बांसुरी वादन प्रस्तुति से हुआ।
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द्वितीय संध्या में गौतम काले ने राग देश और मियामल्हार में विविध रचनाएं प्रस्तुत कीं। तबले पर हितेंद्र दीक्षित, हारमोनियम पर दीपक खसरावल और तानपुरे पर पर्व जैन व अमृत कोटकखाने ने संगत की। इसके बाद शिखा सोनी व उनकी टीम ने आदि शंकराचार्य की शिव स्तुति पर भावपूर्ण कथक प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में भाव पक्ष को दर्शाते हुए “माखन चोरी” और “सावरा गिरिधर मोरे मन भाए” जैसी रचनाएं प्रस्तुत की गईं। रात की अंतिम प्रस्तुति में ऋषिकेश मजुमदार ने राग पुरिया और राग खमाज में बांसुरी की मोहक धुनें प्रस्तुत कीं। तबले पर पं. अजीत पाठक ने संगत दी।
महाकाल को श्रद्धालु ने भेंट किया डेढ़ किलो का रजत मुकुट
उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद से पधारे श्रद्धालु पीयूष दुबे ने महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन के पश्चात भगवान महाकाल को डेढ़ किलोग्राम वजनी रजत मुकुट भेंट किया। यह सुंदर नक्काशीदार मुकुट मंदिर की आवश्यकताओं के अनुरूप पंडित गौरव शर्मा की प्रेरणा से अर्पित किया गया। भेंट के पश्चात श्रद्धालु ने महाकाल महालोक का भी भ्रमण किया। मंदिर के अधिकारी आर.के. तिवारी ने पीयूष दुबे का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर सहायक निरीक्षक वीरेंद्र शर्मा भी उपस्थित रहे।