जहरीले कफ सिरप से मध्य प्रदेश में ऐसा कहर बरपा कि 16 बच्चों की मौत हो गई। मामला सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है। सिरप पीने से छिंदवाड़ा में 14 बच्चों की मौत का मामला थमा भी नहीं कि अब बैतूल जिले के आमला ब्लॉक में दो मासूम बच्चों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत की खबर सामने आ गई। इन बच्चों की मौत की वजह भी प्रारंभिक जांच में किडनी फेल होना बताया जा रहा है। दोनों बच्चों का इलाज छिंदवाड़ा जिले के परासिया में ही डॉ. प्रवीण सोनी के पास हुआ था। परासिया में बच्चों की मौत के मामले में डॉ. सोनी को गिरफ्तार कर लिया गया है।
छिंदवाड़ा में अपने इकलौते बच्चे को खोने वाला चेनवती यदुवंशी ने बताया कि मेरे बच्चे ने कफ सिरप पीने के अगले दिन, उसका बुखार बदतर हो गया। 18 तारीख की रात को उसे उल्टियाँ होने लगीं। उसके पेट में बहुत तकलीफ थी। हमने उसे 19 तारीख को प्रवीण सोनी के क्लिनिक से निकालकर छिंदवाड़ा के एक निजी अस्पताल में ले गए। डॉक्टर ने उसको देखा और कहा कि बच्चे की हालत बहुत खराब है। उन्होंने हमें उसे नागपुर ले जाने के लिए कहा। बच्चे की 26 तारीख को मृत्यु हो गई। मैं प्रवीण सोनी की दवा को उसकी मौत के लिए जिम्मेदार मानती हूं।
छिंदवाड़ा के ही प्रकाश यदुवंशी ने भी अपने इकलौते बच्चे को खो दिया है। उन्होंने कहा कि मेरे बच्चे को 16 अगस्त को सामान्य बुखार था। इसलिए, 17 तारीख को, मैं उसे परासिया के प्रवीण सोनी क्लिनिक में ले गया। हमने उसे वहां लिखे सिरप और दवाइयां दीं। जब उसे कोई आराम नहीं मिला, तो मैं उसे 20 तारीख को फिर से वहां ले गया। 20 तारीख को, उसे कोल्ड्रिफ और एक टैबलेट दी गई।
प्रकाश यदुवंशी बताया कि उसने दो दिन तक इसे लिया, लेकिन 22 अगस्त से उसे उल्टियां होने लगीं। हम उसे 23 अगस्त को छिंदवाड़ा ले गए और डॉ. जेएम श्रीवास्तव से मिले। उसे रात भर अस्पताल में भर्ती रखा गया। 24 अगस्त को उसने पेशाब करना बंद कर दिया, जिसके बाद उसे नागपुर रेफर कर दिया गया। उसे वहां कलर्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। 24 अगस्त से 1 सितंबर तक उसका इलाज चला। इस दौरान उसका 6-7 बार डायलिसिस हुआ और 1 सितंबर को उसकी मृत्यु हो गई।