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मोगा में श्रद्धापूर्वक मनाया गया परमवीर चक्र विजेता सूबेदार जोगिंदर सिंह का 63वां शहादत दिवस
देश के सर्वोच्च वीरता सम्मान परमवीर चक्र विजेता सूबेदार जोगिंदर सिंह को जिला प्रशासनिक कॉम्प्लेक्स, मोगा स्थित उनके स्मारक पर सिविल प्रशासन और पूर्व सैनिकों द्वारा फूल मालाएं अर्पित कर बड़े ही श्रद्धा और सम्मान के साथ 63वां शहादत दिवस मनाया गया। इस अवसर पर परमवीर चक्र विजेता सूबेदार जोगिंदर सिंह की बेटी कुलवंत कौर पहुंचे।
कुलवंत कौर ,डिप्टी कमिश्नर सागर सेतिया , एस पी एच संदीप सिंह मंड ने विशेष रूप से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस के इलावा भारतीय सेना के अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी शामिल थे। इसके अलावा अन्य पूर्व सैनिक भी इस मौके पर उपस्थित रहे और सूबेदार जोगिंदर सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की
सूबेदार जोगिंदर सिंह, परमवीर चक्र विजेता, एक महान योद्धा थे जिन्होंने 1962 की भारत-चीन युद्ध में वीरतापूर्वक लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। सूबेदार जोगिंदर सिंह गांव माहला कलां, तहसील बाघापुराना, जिला मोगा के निवासी थे और पहली सिख रेजीमेंट में भर्ती हुए थे। अक्टूबर 1962 में जब चीन ने भारत पर हमला किया, तब सूबेदार जोगिंदर सिंह की पलटन को नेफा के तवांग सेक्टर में तोंगपेंग ला चौकी की रक्षा की जिम्मेदारी दी गई थी। 23 अक्तूबर 1962 की सुबह साढ़े पांच बजे करीब 200 चीनी सैनिकों ने उनकी चौकी पर हमला कर दिया। सूबेदार जोगिंदर सिंह और उनके साथियों ने बहादुरी से लड़ते हुए दुश्मन के दो हमलों को नाकाम कर दिया। इन दो हमलों के बाद उनकी पलटन के कई जवान शहीद हो गए और खुद सूबेदार जोगिंदर सिंह भी गोली लगने से गंभीर रूप से घायल हो गए। फिर भी उन्होंने तीसरे हमले के समय अपने बचे हुए साथियों को उत्साहित करते हुए "बोले सो निहाल" के जयकारे लगाकर दुश्मन पर बयोनट से हमला बोल दिया। जब उनकी पलटन का लाइट मशीन गन चलाने वाला जवान शहीद हो गया, तो उन्होंने स्वयं मशीन गन संभाली और दुश्मन को भारी नुकसान पहुँचाया। आखिरकार, दुश्मन के घेरे में फंसकर उन्होंने आखिरी सांस तक वीरतापूर्वक लड़ते हुए शहादत प्राप्त की। उनकी अद्भुत नेतृत्व क्षमता, अतुलनीय वीरता और कर्तव्यनिष्ठा के लिए भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत देश का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार – परमवीर चक्र प्रदान किया।
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