जयपुर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दौरान कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने राम, राष्ट्र और समाज से जुड़े कई मुद्दों पर अपनी बात रखी। अमर उजाला से बातचीत में उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी जिस राम को याद करते थे, रामधुन करते थे, उसी राम के नाम पर भारत सरकार ने बिल का नाम रखा है। यह महात्मा गांधी के मन की आवाज को सुनने जैसा है और इससे बेहतर कुछ हो ही नहीं सकता। उन्होंने कहा कि यह बिल महात्मा गांधी को समर्पित है और विकसित भारत की सोच को आगे बढ़ाता है।
देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि रामजी सबके हैं और विकसित भारत में सभी को जगह मिलेगी। राम किसी एक वर्ग के नहीं हैं, बल्कि समाज के हर व्यक्ति के आराध्य हैं। उनके अनुसार, राम के आदर्शों पर चलकर ही समरसता और विकास संभव है। उन्होंने कहा कि राम का नाम जोड़ना केवल आस्था का विषय नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और नैतिक मूल्यों का प्रतीक है।
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे कथित अत्याचारों का जिक्र करते हुए देवकीनंदन ठाकुर ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या हिंदुओं को जिंदा जलाया जाना या उन पर हिंसा करना सही है। उन्होंने कहा कि जब वहां हिंदू अल्पसंख्यक हैं तो उन पर अत्याचार होते हैं और जब भारत में हिंदू बहुसंख्यक हैं तो यह कहा जाता है कि हम पर अत्याचार हो रहा है। यही दोहरा मापदंड लगातार चलता आ रहा है।
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कथावाचक ने कहा कि हिंदुओं को अब जागना होगा और एकजुट होना होगा। एकता से ही हिंदू धर्म और संस्कृति का विस्तार होगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हिंदू समाज कभी किसी पर अत्याचार नहीं करता और न ही हिंसा की राह पर चलता है। उन्होंने कहा कि जो लोग हिंदुओं पर हिंसा कर रहे हैं, उनसे पूछा जाना चाहिए कि उन्हें हिंदुओं से नफरत क्यों है?
देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि हिंदुओं को पूरी दुनिया में सम्मानपूर्वक जीने का अधिकार है। उन्होंने आह्वान किया कि अब समय आ गया है जब हिंदू समाज संगठित होकर अपनी बात मजबूती से रखे। उन्होंने कहा कि जो जिस भाषा में समझता है, उसे उसी भाषा में समझाना होगा, तभी समाज में संतुलन और न्याय स्थापित हो सकेगा।