जिले में शनिवार शाम करीब पांच बजे मौसम ने अचानक करवट ली और तेज आंधी के साथ जमकर बारिश और ओलावृष्टि हुई। इस अचानक बदले मौसम के चलते जिले के कई इलाकों में भारी नुकसान हुआ। ओलावृष्टि इतनी तेज थी कि जमीन पर सफेद चादर सी बिछ गई, जिससे रेगिस्तान की धरती कुछ पल के लिए 'कश्मीर' की तस्वीर पेश करने लगी।
तूफानी बारिश और ओलावृष्टि के कारण नागौर जिला मुख्यालय समेत आसपास के ग्रामीण इलाकों में जनजीवन प्रभावित हो गया। भदवासी और ढूंडिया क्षेत्र में तेज हवाओं और ओलावृष्टि के चलते विद्युत के कई पोल गिर गए, जिससे बिजली आपूर्ति बाधित हो गई। वहीं, कंवलीसर, डेह, खींवसर और मूंडवा क्षेत्र में भी जमकर ओलावृष्टि हुई।
मौसम विभाग के अनुसार, शनिवार को हुई बारिश के बाद जिले के तापमान में तीन डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट दर्ज की गई। शुक्रवार को जहां हल्की बारिश के बाद मौसम में हल्की ठंडक बनी रही, वहीं शनिवार को दोपहर बाद आसमान में घने बादल छा गए और शाम पांच बजे के करीब बारिश का दौर शुरू हुआ, जो देर रात तक रुक-रुक कर चलता रहा। शनिवार को अधिकतम तापमान 34.5 डिग्री और न्यूनतम तापमान 22 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। इस दौरान ओलों का आकार भी चौंकाने वाला था। कई स्थानों पर ओले क्रिकेट की गेंद के बराबर आकार के गिरे, जिससे खेतों में खड़ी फसलों को भारी नुकसान हुआ।
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किसान महावीर सिंह कलड़वा ने बताया कि शनिवार की बारिश और ओलावृष्टि ने उनकी पूरी फसल तबाह कर दी। उन्होंने बताया कि 30 बीघा से अधिक खेतों में इसबगोल, जीरा, सरसों और गेहूं की फसल बो रखी थी। सरसों की कटाई पहले ही कर ली गई थी, लेकिन गेहूं और इसबगोल की कटाई का काम चल रहा था, जिसे इस ओलावृष्टि ने पूरी तरह चौपट कर दिया। किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया और उन्हें भारी नुकसान झेलना पड़ा। इस ओलावृष्टि ने न केवल तापमान में गिरावट ला दी, बल्कि किसानों की आशाओं पर भी गहरी चोट पहुंचाई है। प्रशासन की ओर से अभी नुकसान का आंकलन किया जा रहा है।