राजस्थान के नागौर जिले की पुलिस ने साइबर अपराध के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्यवाही को अंजाम देते हुए “ऑपरेशन साइबर शील्ड” के तहत 84 बैंक खातों से जुड़े इंटर-स्टेट साइबर फ्रॉड नेटवर्क को पूरी तरह बेनकाब कर दिया है। मात्र 72 घंटे चले इस ताबड़तोड़ ऑपरेशन में पुलिस ने 24 युवा खाताधारकों को गिरफ्तार किया। उनके पास से 21 एंड्रॉयड मोबाइल फोन जब्त किए, जिनसे UPI, पासवर्ड और फ्रॉड ऐप्स को कंट्रोल किया जा रहा था।
कैसे खुला पूरा नेटवर्क?
13 अक्टूबर 2025 को साइबर थाने में मिली एक शिकायत के बाद यूको बैंक की ओर से उपलब्ध कराई गई 84 संदिग्ध खातों की लिस्ट ने पूरे पैन-इंडिया मनी-रूटिंग नेटवर्क का पर्दाफाश कर दिया। जांच में पता चला कि नागौर जिले के विभिन्न इलाकों के बेरोजगार युवा महज 8 से 15 हजार रुपये के लालच में अपने बैंक खाते साइबर ठगों को बेच रहे थे। ये खाते हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली समेत कई राज्यों में हो रही ऑनलाइन ठगी की राशि को आगे ट्रांसफर करने के लिए इस्तेमाल हो रहे थे। करोड़ों रुपये की ठगी का पैसा इन्हीं खातों से होकर गुजरा।
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गिरफ्तार आरोपियों में कौन-कौन?
पुलिस ने अब तक 24 आरोपियों को पकड़ा है, जिनमें विभिन्न समुदायों के 19 से 38 साल तक के युवा शामिल हैं। नागौर पुलिस ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि छोटी-सी रकम के लालच में अपना बैंक खाता, सिम कार्ड या UPI किसी को भी देना अब भारतीय न्याय संहिता-2023 के तहत गंभीर अपराध है, जिसमें कठोर सजा का प्रावधान है। पुलिस अधीक्षक श्री मृदुल कच्छावा ने कहा कि हमारा लक्ष्य अगले 60 दिन में नागौर को ‘साइबर जिला’ बनाना है। सिर्फ गिरफ्तारी ही नहीं, हम पूरी सप्लाई चेन को खत्म कर रहे हैं।