आरएसएस के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार आबूरोड स्थित ब्रह्माकुमारीज के शांतिवन में आयोजित वैश्विक शिखर सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे। वहां मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने बांग्लादेशी शरणार्थियों को मुस्लिम देशों में वितरित करने का बयान दिया, जिसे सामाजिक और राजनैतिक चर्चा का विषय बना दिया गया है। उन्होंने कहा कि यदि विस्थापित बांग्लादेशियों को मुस्लिम देशों में ‘डिस्ट्रीब्यूट’ कर दिया जाए तो यह समस्या स्थायी रूप से समाप्त हो जाएगी और इससे यह भी पता चलेगा कि मुस्लिम देश आपस में कितने सहयोगी हैं।
शरणार्थी नीति पर तीखा और वैचारिक बयान
इंद्रेश कुमार ने अपने बयान में कहा कि जितने बांग्लादेशी शरणार्थी विस्थापित हैं, उन्हें ‘दो-तीन लाख’ की तादाद में मुस्लिम देशों में रखा जाना चाहिए ताकि यह स्पष्ट हो सके कि इस्लामिक ब्रदरहुड और सेक्युलर ब्रदरहुड के बीच व्यवहार में क्या फर्क है। उनके इस सुझाव ने शरणार्थी नीति, मानवता और अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों से जुड़े सवाल उठवा दिए हैं। सामाजिक मंचों पर और राजनीतिक गलियारों में उनके बयान की निंदा और समर्थन दोनों स्वर सुनाई देने लगे हैं।
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वैश्विक कूटनीति और बाजारवाद पर भी चर्चा
सम्मेलन के दौरान इंद्रेश कुमार ने वैश्विक बाजारवादी ताकतों और अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों पर भी विचार व्यक्त किए। उन्होंने यह दावा किया कि शांति ही सबसे शक्तिशाली उत्तर है और कुछ देशों द्वारा उठाए गए कदमों जैसे टैरिफ का असर वैश्विक राजनीति पर पड़ा। उन्होंने कहा कि भारत ने क्षेत्रीय रूप से म्यांमार, मालदीव और श्रीलंका के साथ दोस्ताना रिश्ते बनाए हैं और वैश्विक शक्तियां कुछ देशों को अस्थिर करने की कोशिश कर रही हैं, पर भारत चुप्पी के जरिए उन्हें असफल कर रहा है।
घरेलू राजनीति पर की टिप्पणी, कांग्रेस पर कटाक्ष
इंद्रेश कुमार ने कांग्रेस के ‘वोट चोर’ अभियान और विपक्षी राजनीति पर भी तीखे शब्द कहे। उनका कहना था कि विपक्ष नकारात्मकता फैला रहा है और लोकतंत्र के प्रति कटुतापूर्ण भाषा का प्रयोग कर रहा है। उन्होंने विपक्ष पर ऐतिहासिक आरोप लगाते हुए दावा किया कि कुछ दलों ने 1947 के बाद भी लोकतंत्र के साथ समझौता किया है।
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