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चौखुटिया में गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग को लेकर जनाक्रोश
उत्तराखंड की स्थायी राजधानी गैरसैंण बनाए जाने की मांग को लेकर चौखुटिया में जनभावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा। आरती घाट चौखुटिया में आयोजित व्यापक विचार- मंथन, धरना-प्रदर्शन और जनसभा में एक स्वर में कहा गया कि गैरसैंण केवल एक स्थान नहीं, बल्कि उत्तराखंड राज्य आंदोलन की आत्मा है, और अब इस मुद्दे पर और विलंब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
आंदोलन का नेतृत्व पूर्व आईएएस विनोद प्रसाद रतूड़ी के मार्गदर्शन में किया गया। कार्यक्रम में महिलाएं, युवा, वरिष्ठ नागरिक, पूर्व सैनिक, सामाजिक कार्यकर्ता, पंचायत प्रतिनिधि और राज्य आंदोलनकारी बड़ी संख्या में शामिल हुए। सुबह से ही धरना स्थल पर लोगों का जुटना शुरू हो गया था और पूरे क्षेत्र में गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाए जाने की मांग गूंजती रही। कार्यक्रम के दौरान विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री एवं सत्ताधारी दल के अध्यक्ष के नाम ज्ञापन उप जिलाधिकारी सुनील राज के माध्यम से सौंपा गया। साथ ही उत्तराखंड राज्य आंदोलन में शहीद हुए 42 आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए दो मिनट का मौन रखा गया। सभा को संबोधित करते हुए विनोद प्रसाद रतूड़ी (सेवानिवृत्त आईएएस) ने कहा कि राज्य गठन के 25 वर्ष बीत जाने के बाद भी गैरसैंण को स्थायी राजधानी न बनाना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यदि सरकार शीघ्र निर्णय नहीं लेती तो इस मुद्दे को लेकर हाईकोर्ट नैनीताल में याचिका दायर की जाएगी। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन किसी दल विशेष का नहीं, बल्कि पूरे उत्तराखंड की अस्मिता से जुड़ा है। उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी ने कहा कि गैरसैंण केवल नाम नहीं, बल्कि एक विचारधारा है। राजधानी के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च हो चुके हैं, लेकिन गैरसैंण को आज भी उसका अधिकार नहीं मिला। उन्होंने पूरे खर्च की निष्पक्ष जांच की मांग की। ब्रह्मचारी हरिकिशन किरमोला ने कहा कि गैरसैंण को राजधानी बनाए जाने से पलायन रुकेगा, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर होंगी तथा जंगली जानवरों के बढ़ते आतंक जैसी समस्याओं का समाधान संभव होगा। पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष कांता रावत ने कहा कि राज्य आंदोलन में महिलाओं की भूमिका ऐतिहासिक रही है और अब महिलाओं को गैरसैंण स्थायी राजधानी के लिए एकजुट होना होगा।
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