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ASEAN: नई चुनौतियों के सामने बड़ा समाधान पेश करते हैं भारत-आसियान, विकास में होंगे सहायक
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सार
भारत पहले से ही इंग्लैंड सहित दुनिया के तमाम देशों के साथ एफटीए व्यापार समझौतों को आगे बढ़ाने का काम कर रहा है। इससे आसियान के 11 देशों के साथ भारत के व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने में सफलता मिलेगी।
पीएम मोदी ने आसियान सम्मेलन को वर्चुअली किया संबोधित
- फोटो : PTI
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विस्तार
मलयेशिया में आयोजित 47वां आसियान शिखर सम्मेलन (26-27 अक्टूबर) भारत की दृष्टि से कई मायनों में सफल रहा है। सम्मेलन में भारत ने 2026 को भारत-आसियान समुद्री सहयोग वर्ष घोषित करने का प्रस्ताव दिया है। इससे भारत के मत्स्य व्यापार को आगे बढ़ाने और समुद्री सीमाओं के द्वारा होने वाले व्यापार को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। कई मायनों में यह प्रस्ताव भारत और आसियान के परस्पर विकास की संभावनाओं को मजबूत करने वाला है। इसके पूर्व 2025 को पर्यटन वर्ष के रूप में मनाने का प्रस्ताव किया गया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल तरीके से आसियान समिट को संबोधित करते हुए भारत और आसियान देशों के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) को बढ़ावा देने की बात कही है। भारत पहले से ही इंग्लैंड सहित दुनिया के तमाम देशों के साथ एफटीए व्यापार समझौतों को आगे बढ़ाने का काम कर रहा है। इससे आसियान के 11 देशों के साथ भारत के व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने में सफलता मिलेगी। मोदी ने 21वीं सदी को भारत और आसियान देशों की सदी बताया है। यदि भारत और आसियान देशों के बीच आपसी व्यापार को बढ़ावा मिलता है तो इससे पूरे क्षेत्र को विकास की नई ऊंचाई प्राप्त होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल तरीके से आसियान समिट को संबोधित करते हुए भारत और आसियान देशों के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) को बढ़ावा देने की बात कही है। भारत पहले से ही इंग्लैंड सहित दुनिया के तमाम देशों के साथ एफटीए व्यापार समझौतों को आगे बढ़ाने का काम कर रहा है। इससे आसियान के 11 देशों के साथ भारत के व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने में सफलता मिलेगी। मोदी ने 21वीं सदी को भारत और आसियान देशों की सदी बताया है। यदि भारत और आसियान देशों के बीच आपसी व्यापार को बढ़ावा मिलता है तो इससे पूरे क्षेत्र को विकास की नई ऊंचाई प्राप्त होगी।
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अमेरिका के साथ हुए टैरिफ विवाद ने भारत के व्यापार के सामने नए तरह की चुनौतियां पेश की हैं। इस विवाद ने भारत को इस बात के लिए सावधान कर दिया है कि वह व्यापार के लिए किसी एक देश पर एक सीमा से अधिक निर्भर नहीं रह सकता है। ऐसे में आसियान देशों के साथ एफटीए समझौतों के अंतर्गत आगे बढ़ने से न केवल वर्तमान में भारत की व्यापारिक चिंताएं कम होंगी, बल्कि यह भविष्य के लिए भी एक असेट साबित होगा।
अंतरराष्ट्रीय शांति स्थापित करने में विशेष भूमिका निभा सकता है आसियान
चीन के साथ वियतनाम के संबंध तनावपूर्ण स्थिति में हैं। दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध रहे हैं। इसके साथ-साथ दोनों देशों के बीच व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध भी परंपरागत रूप से मजबूत रहे हैं। लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में दक्षिण चीन सागर पर आधिपत्य को लेकर दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। यह तनाव कई बार युद्ध की धमकियों तक चला जाता है जिससे रूस-यूक्रेन, इजरायल और गजा के अलावा दुनिया में अशांति का एक और रणक्षेत्र बनता हुआ दिखाई देता है। यदि दोनों देशों में तनाव बढ़ता है तो अमेरिका और रूस की इसमें दखलंदाजी बढ़ सकती है जो दुनिया की शांति और व्यापार की संभावनाओं की दृष्टि से किसी भी तरह उचित नहीं होगी।
अंतरराष्ट्रीय शांति स्थापित करने में विशेष भूमिका निभा सकता है आसियान
चीन के साथ वियतनाम के संबंध तनावपूर्ण स्थिति में हैं। दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध रहे हैं। इसके साथ-साथ दोनों देशों के बीच व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध भी परंपरागत रूप से मजबूत रहे हैं। लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में दक्षिण चीन सागर पर आधिपत्य को लेकर दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। यह तनाव कई बार युद्ध की धमकियों तक चला जाता है जिससे रूस-यूक्रेन, इजरायल और गजा के अलावा दुनिया में अशांति का एक और रणक्षेत्र बनता हुआ दिखाई देता है। यदि दोनों देशों में तनाव बढ़ता है तो अमेरिका और रूस की इसमें दखलंदाजी बढ़ सकती है जो दुनिया की शांति और व्यापार की संभावनाओं की दृष्टि से किसी भी तरह उचित नहीं होगी।
भारत और आसियान देश दुनिया की लगभग 25 प्रतिशत आबादी और एक बड़े व्यापार को प्रभावित करने वाले देश हैं। यदि ये देश अपने प्रभाव का सही इस्तेमाल करें तो भविष्य में चीन-वियतनाम के बीच तनाव को कम कर दुनिया को शांति की ओर बढ़ाया जा सकता है। दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए चीन-वियतनाम के बीच तनाव को सही नहीं माना जा रहा है। ऐसे में आसियान और भारत इस तनाव को कम करने में प्रभावशाली भूमिका निभा सकते हैं। इसमें भारत की भूमिका प्रभावशाली हो सकती है।
विशेष सहयोगी साबित हो सकते हैं ये देश
आसियान देशों में शामिल मेजबान देश मलयेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड और सिंगापुर में भारतीय पर्यटक बड़ी संख्या में जाते हैं। ये इन देशों की अर्थव्यवस्था में भारी योगदान देते हैं। इसके उलट सिंगापुर, थाईलैंड और कंबोडिया से बड़ी संख्या में पर्यटक भारत आते हैं। विशेषकर बौद्ध परंपरा से जुड़े पर्यटक भारत में भगवान बुद्ध से जुड़े स्थलों के पर्यटन के लिए भारत आते हैं। ऐसे में इन देशों के साथ पर्यटन बढ़ाने से इसका सहयोग पूरे क्षेत्र को होगा और आसियान के सिद्धांतों के अनुसार पूरे क्षेत्र के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
आसियान ने कम्युनिटी विजन 2045 को बढ़ावा देने की नीति अपनाई है। प्रधानमंत्री मोदी ने आसियान की इस सोच को अपना समर्थन देते हुए कहा है कि भारत आसियान देशों के हर संकट में पहला सहयोगी बने रहने की भूमिका लगातार निभाएगा। आसियान देशों का भारत के साथ मजबूत होता संबंध उसके लिए अंतरराष्ट्रीय स्थिति भी मजबूत करेगा।
आसियान देशों में शामिल मेजबान देश मलयेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड और सिंगापुर में भारतीय पर्यटक बड़ी संख्या में जाते हैं। ये इन देशों की अर्थव्यवस्था में भारी योगदान देते हैं। इसके उलट सिंगापुर, थाईलैंड और कंबोडिया से बड़ी संख्या में पर्यटक भारत आते हैं। विशेषकर बौद्ध परंपरा से जुड़े पर्यटक भारत में भगवान बुद्ध से जुड़े स्थलों के पर्यटन के लिए भारत आते हैं। ऐसे में इन देशों के साथ पर्यटन बढ़ाने से इसका सहयोग पूरे क्षेत्र को होगा और आसियान के सिद्धांतों के अनुसार पूरे क्षेत्र के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
आसियान ने कम्युनिटी विजन 2045 को बढ़ावा देने की नीति अपनाई है। प्रधानमंत्री मोदी ने आसियान की इस सोच को अपना समर्थन देते हुए कहा है कि भारत आसियान देशों के हर संकट में पहला सहयोगी बने रहने की भूमिका लगातार निभाएगा। आसियान देशों का भारत के साथ मजबूत होता संबंध उसके लिए अंतरराष्ट्रीय स्थिति भी मजबूत करेगा।