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Perplexity: 'इंटरनेट को केवल गूगल के हाथ में न छोड़ें...', परप्लेक्सिटी के सीईओ अरविंद श्रीनिवास का बयान
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वॉशिंगटन।
Published by: निर्मल कांत
Updated Mon, 27 Oct 2025 09:58 AM IST
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सार
Perplexity: परप्लेक्सिटी के सीईओ अरविंद श्रीनिवास ने कंपनी के नए कॉमेट एआई ब्राउजर को बढ़ावा देते हुए कहा कि इंटरनेट को केवल गूगल के हाथों में ही नहीं छोड़ा जाना चाहिए। कंपनी ने पहले गूगल के क्रोम ब्राउजर को 34.5 अरब डॉलर में खरीदने की पेशकश की थी। कॉमेट ब्राउजर क्रोमियम फ्रेमवर्क पर आधारित है, इसमें एआई-असिस्टेंट, टैब और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट, कंटेंट जनरेशन जैसी सुविधाएं हैं और फिलहाल यह भारत में विंडोज, मैकओएस और एंड्रॉइड यूजर्स के लिए उपलब्ध है।
अरविंद श्रीनिवास
- फोटो : एएनआई (फाइल)
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विस्तार
परप्लेक्सिटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अरविंद श्रीनिवास ने फिर से अपनी कंपनी के नए कॉमेट एआई (Comet AI) ब्राउजर को बढ़ावा दिया है। इसका मकसद इंटरनेट पर गूगल के दबदबे को कम करना है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर उन्होंने कॉमेट ब्राउजर का एक छोटा वीडियो साझा करते हुए लिखा, 'इंटरनेट बहुत अहम है, इसे गूगल के हाथ में नहीं छोड़ा जाना चाहिए।'
श्रीनिवास की कंपनी ने गूगल के लोकप्रिय क्रोम ब्राउजर को 34.5 अरब डॉलर में खरीदने की पेशकश की थी। इसके बाद परप्लेक्सिटी ने अपना खुद का एआई-संचालित ब्राउजर कॉमेट लॉन्च किया, जो गूगल क्रोम का प्रतिद्वंद्वी है। यह ब्राउजर क्रोमियम ओपन-सोर्स फ्रेमवर्क पर बनाया गया है और उपयोगकर्ताओं (यूजर्स) को वही अनुभव देने का दावा करता है, जिससे वह पहले से परिचित है।
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क्रोम को क्यों खरीदना चाहता था परप्लेक्सिटी?
अगस्त में परप्लेक्सिटी ने गूगल के क्रोम ब्राउजर को खरीदने के लिए 34.5 अरब डॉलर की नकद पेशकश की। तीन साल पुराने इस स्टार्टअप ने औपचारिक रूप से गूगल को यह पेशकश भेजी, जबकि खुद की संपत्ति कुल 18 अरब डॉलर थी। क्रोम के दुनियाभर में तीन अरब से अधिक यूजर्स हैं। इसलिए अगर परप्लेक्सिटी इसे खरीद लेती, तो उसे एआई आधारित खोज (सर्च) में गूगल जैसी बड़ी कंपनी के साथ प्रतिस्पर्धा करने में बहुत फायदा मिलता।
परप्लेक्सिटी ने अपनी 34.5 अरब डॉलर की पेशकश में नियामक और यूजर्स चिंताओं का समाधान करने की प्रतिबद्धता भी शामिल की थी। कंपनी ने योजना बनाई थी कि दो वर्षों में क्रोम के विकास और बुनियादी ढांचे में तीन अरब डॉलर का निवेश किया जाएगा। क्रोमियम को ओपन सोर्स रखा जाएगा और क्रोम की डिफॉल्ट सर्च सेटिंग में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
यह पेशकश उस समय की गई, जब अमेरिकी न्याय विभाग ने गूगल को क्रोम को बेचने के लिए मजबूर करने का प्रयास किया। एक जज ने तब फैसला दिया कि गूगल इंटरनेट सर्च में गैरकानूनी एकाधिकार रखता है। न्याय विभाग की दलील थी कि क्रोम को अलग करने से गूगल के सर्च नियंत्रण को रोका जा सकेगा और प्रतिद्वंद्वी सर्च इंजन के लिए अवसर खोले जाएंगे।
ये भी पढ़ें: वियतनाम के PM बोले- आसियान-भारत साझेदारी मजबूत करने की जरूरत, बढ़ाया जाए समुद्री सहयोग
परप्लेक्सिटी का नया कॉमेट ब्राउजर में क्या है?
पिछले महीने परप्लेक्सिटी ने कॉमेट ब्राउजर लॉन्च किया। यह क्रोमियम फ्रेमवर्क पर बनाया गया है और क्रोम एक्सटेंशन व बुकमार्क को सपोर्ट करता है। इसमें उत्पादकता, शोध और कार्य प्रबंधन के लिए एआई-संचालित टूल भी है। कॉमेट में एआई साइडबार असिस्टेंट है, जो लेखों का सारांश तैयार कर सकता है। ईमेल ड्राफ्ट कर सकता है। शेड्यूल मैनेज कर सकता है और ब्राउजर में सीधे कार्यों को ऑटोमेट कर सकता है। इसमें टैब और प्रोजेक्ट को व्यवस्थित करने के लिए वर्कप्लेस, ईमेल प्राथमिकता, कंटेंट जनरेशन और रियल-टाइम फैक्ट-चेक जैसी सुविधाएं में भी शामिल हैं।
कॉमेट फिलहाल भारत में परप्लेक्सिटी प्रो यूजर्स के लिए विंडोज और मेकओएस पर उपलब्ध है। एंड्रॉइड पर प्री-ऑर्डर शुरू हो गया है, लेकिन आईओएस पर अभी पूरी तरह उपलब्ध नहीं है। लोग परप्लेक्सिटी को अपनाएं, इसके लिए उसने भारती एयरटेल के साथ साझेदारी की है और एक साल का मुफ्त प्रो सब्सक्रिप्शन ऑफर किया है।
श्रीनिवास की कंपनी ने गूगल के लोकप्रिय क्रोम ब्राउजर को 34.5 अरब डॉलर में खरीदने की पेशकश की थी। इसके बाद परप्लेक्सिटी ने अपना खुद का एआई-संचालित ब्राउजर कॉमेट लॉन्च किया, जो गूगल क्रोम का प्रतिद्वंद्वी है। यह ब्राउजर क्रोमियम ओपन-सोर्स फ्रेमवर्क पर बनाया गया है और उपयोगकर्ताओं (यूजर्स) को वही अनुभव देने का दावा करता है, जिससे वह पहले से परिचित है।
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क्रोम को क्यों खरीदना चाहता था परप्लेक्सिटी?
अगस्त में परप्लेक्सिटी ने गूगल के क्रोम ब्राउजर को खरीदने के लिए 34.5 अरब डॉलर की नकद पेशकश की। तीन साल पुराने इस स्टार्टअप ने औपचारिक रूप से गूगल को यह पेशकश भेजी, जबकि खुद की संपत्ति कुल 18 अरब डॉलर थी। क्रोम के दुनियाभर में तीन अरब से अधिक यूजर्स हैं। इसलिए अगर परप्लेक्सिटी इसे खरीद लेती, तो उसे एआई आधारित खोज (सर्च) में गूगल जैसी बड़ी कंपनी के साथ प्रतिस्पर्धा करने में बहुत फायदा मिलता।
परप्लेक्सिटी ने अपनी 34.5 अरब डॉलर की पेशकश में नियामक और यूजर्स चिंताओं का समाधान करने की प्रतिबद्धता भी शामिल की थी। कंपनी ने योजना बनाई थी कि दो वर्षों में क्रोम के विकास और बुनियादी ढांचे में तीन अरब डॉलर का निवेश किया जाएगा। क्रोमियम को ओपन सोर्स रखा जाएगा और क्रोम की डिफॉल्ट सर्च सेटिंग में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
यह पेशकश उस समय की गई, जब अमेरिकी न्याय विभाग ने गूगल को क्रोम को बेचने के लिए मजबूर करने का प्रयास किया। एक जज ने तब फैसला दिया कि गूगल इंटरनेट सर्च में गैरकानूनी एकाधिकार रखता है। न्याय विभाग की दलील थी कि क्रोम को अलग करने से गूगल के सर्च नियंत्रण को रोका जा सकेगा और प्रतिद्वंद्वी सर्च इंजन के लिए अवसर खोले जाएंगे।
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परप्लेक्सिटी का नया कॉमेट ब्राउजर में क्या है?
पिछले महीने परप्लेक्सिटी ने कॉमेट ब्राउजर लॉन्च किया। यह क्रोमियम फ्रेमवर्क पर बनाया गया है और क्रोम एक्सटेंशन व बुकमार्क को सपोर्ट करता है। इसमें उत्पादकता, शोध और कार्य प्रबंधन के लिए एआई-संचालित टूल भी है। कॉमेट में एआई साइडबार असिस्टेंट है, जो लेखों का सारांश तैयार कर सकता है। ईमेल ड्राफ्ट कर सकता है। शेड्यूल मैनेज कर सकता है और ब्राउजर में सीधे कार्यों को ऑटोमेट कर सकता है। इसमें टैब और प्रोजेक्ट को व्यवस्थित करने के लिए वर्कप्लेस, ईमेल प्राथमिकता, कंटेंट जनरेशन और रियल-टाइम फैक्ट-चेक जैसी सुविधाएं में भी शामिल हैं।
कॉमेट फिलहाल भारत में परप्लेक्सिटी प्रो यूजर्स के लिए विंडोज और मेकओएस पर उपलब्ध है। एंड्रॉइड पर प्री-ऑर्डर शुरू हो गया है, लेकिन आईओएस पर अभी पूरी तरह उपलब्ध नहीं है। लोग परप्लेक्सिटी को अपनाएं, इसके लिए उसने भारती एयरटेल के साथ साझेदारी की है और एक साल का मुफ्त प्रो सब्सक्रिप्शन ऑफर किया है।