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ASEAN-India Summit: वियतनाम के PM बोले- आसियान-भारत साझेदारी मजबूत करने की जरूरत, बढ़ाया जाए समुद्री सहयोग
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, कुआला लंपुर।
Published by: निर्मल कांत
Updated Mon, 27 Oct 2025 08:01 AM IST
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सार
ASEAN-India Summit: वियतनाम के प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चिन्ह ने आसियान-भारत साझेदारी को मजबूत करने के लिए तीन प्रमुख क्षेत्रों का प्रस्ताव रखा। उन्होंने आर्थिक संबंधों, शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कृति और पर्यटन में सहयोग बढ़ाने तथा समुद्री सहयोग और टिकाऊ नीली अर्थव्यवस्था विकसित करने पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि विकासशील देशों की आवाज को सशक्त बनाने में भारत ने अहम भूमिका निभाई है।
वियनाम के प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चिन्ह
- फोटो : एक्स/फाम मिन्ह चिन्ह
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विस्तार
वियतनाम के प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चिन्ह ने रविवार मलयेशिया में आयोजित 22वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि आसियान-भारत के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने पर जोर दिया। इसके लिए उन्होंने तीन प्रमुख क्षेत्रों का प्रस्ताव रखा। वियतनाम न्यूज ने यह जानकारी दी।
मिन्ह चिन्ह ने कहा कि आर्थिक संबंधों को मजबूत करने की जरूरत है और स्थायी और समावेशी विकास के लिए आपसी लाभों का पूरा उपयोग किया जाना चाहिए। दूसरा, उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कृति और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में लोगों के बीच संपर्क और सहयोग बढ़ाने का प्रस्ताव रखा। तीसरा, उन्होंने समुद्री सहयोग को बढ़ावा देने और एक टिकाऊ 'ब्लू इकॉनमी' यानी नीली अर्थव्यवस्था विकसित करने के महत्व पर जोर दिया।
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वियतनामी प्रधानमंत्री ने कहा कि व्यवसायों, खासकर छोटे और मझोले उद्योगों (एमएसएमई) की भूमिका को बढ़ावा देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आसियान-भारत व्यापार परिषद का पुनर्गठन करने, उच्च प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय उर्जा, बुनियादी ढांचा, लॉजिस्टिक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) में निवेश की जरूरत है। साथ ही मेकांग-गंगा उपक्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि समुद्री सहयोग बढ़ाने के लिए समुद्री परिवहन, विज्ञान और उद्योग में सहयोग को मजबूत करने की जरूरत है। उन्होंने आसियान के पूर्वी सागर (दक्षिण चीन सागर) पर रुख का समर्थन जारी रखने, नौहवन सुरक्षा, स्वतंत्रता और शांति सुनिश्चित करने व अंतरराष्ट्रीय कानून, खासतौर पर 1982 के संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन (यूएनसीएलओएस) के अनुसार विवादों का शांतिपूर्ण समाधान करने की आवश्यकता है।
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उन्होंने आगे कहा कि भारत ने क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने और वैश्विक एजेंडा में विकासशील देशों की आवाज को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने वियतनाम की ओर से भारत की एक्ट ईस्ट नीति और आसियान के साथ व्यापक व ठोस सहयोग को मजबूत करने के प्रयासों के लिए समर्थन दोहराया। उन्होंने जोर देकर कहा कि तेजी से बदलते और बदलते वैश्विक परिदृश्य में आसियान और भारत के पास संयुक्त रूप से दो अरब से अधिक की आबादी और करीब आठ ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की कुल जीडीपी है।
मिन्ह चिन्ह ने कहा कि आर्थिक संबंधों को मजबूत करने की जरूरत है और स्थायी और समावेशी विकास के लिए आपसी लाभों का पूरा उपयोग किया जाना चाहिए। दूसरा, उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कृति और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में लोगों के बीच संपर्क और सहयोग बढ़ाने का प्रस्ताव रखा। तीसरा, उन्होंने समुद्री सहयोग को बढ़ावा देने और एक टिकाऊ 'ब्लू इकॉनमी' यानी नीली अर्थव्यवस्था विकसित करने के महत्व पर जोर दिया।
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वियतनामी प्रधानमंत्री ने कहा कि व्यवसायों, खासकर छोटे और मझोले उद्योगों (एमएसएमई) की भूमिका को बढ़ावा देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आसियान-भारत व्यापार परिषद का पुनर्गठन करने, उच्च प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय उर्जा, बुनियादी ढांचा, लॉजिस्टिक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) में निवेश की जरूरत है। साथ ही मेकांग-गंगा उपक्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि समुद्री सहयोग बढ़ाने के लिए समुद्री परिवहन, विज्ञान और उद्योग में सहयोग को मजबूत करने की जरूरत है। उन्होंने आसियान के पूर्वी सागर (दक्षिण चीन सागर) पर रुख का समर्थन जारी रखने, नौहवन सुरक्षा, स्वतंत्रता और शांति सुनिश्चित करने व अंतरराष्ट्रीय कानून, खासतौर पर 1982 के संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन (यूएनसीएलओएस) के अनुसार विवादों का शांतिपूर्ण समाधान करने की आवश्यकता है।
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उन्होंने आगे कहा कि भारत ने क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने और वैश्विक एजेंडा में विकासशील देशों की आवाज को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने वियतनाम की ओर से भारत की एक्ट ईस्ट नीति और आसियान के साथ व्यापक व ठोस सहयोग को मजबूत करने के प्रयासों के लिए समर्थन दोहराया। उन्होंने जोर देकर कहा कि तेजी से बदलते और बदलते वैश्विक परिदृश्य में आसियान और भारत के पास संयुक्त रूप से दो अरब से अधिक की आबादी और करीब आठ ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की कुल जीडीपी है।