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US: डेमोक्रेटिक राज्यों ने ट्रंप प्रशासन पर उठाए सवाल, पूछा- मतदाताओं का डाटा क्यों जुटा रहा न्याय विभाग?

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, पोर्टलैंड। Published by: निर्मल कांत Updated Wed, 19 Nov 2025 09:12 AM IST
सार

US: अमेरिका के दस डेमोक्रेटिक राज्यों ने ट्रंप प्रशासन से सवाल किया कि न्याय विभाग राज्यों से मतदाता डाटा क्यों और कैसे मांग रहा है। उन्हें चिंता है कि संघीय एजेंसियों ने जानकारी को गलत तरीके से साझा किया और इसे नागरिकता की जांच के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। कुछ राज्यों ने जानकारी भेजने से इनकार किया है। कई मतदान अधिकार समूह ट्रंप प्रशासन पर मुकदमे भी दायर कर चुके हैं।

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Democratic state election officials demand answers on Justice Department's requests for voter data
अमेरिकी न्याय विभाग - फोटो : एक्स/अमेरिकी न्याय विभाग
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अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी के नेतृत्व वाले दस राज्यों ने मंगलवार को डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि न्याय विभाग राज्यों से मतदाताओं का पंजीकरण डाटा क्यों और कैसे जुटा रहा है। उन्होंने चिंता जताई कि संघीय एजेंसियों ने उन्हें गुमराह किया है और शायद यह डाटा ऐसे प्रोग्राम में डाल रही है, जिसका इस्तेमाल यह पता करने के लिए होता है कि कोई व्यक्ति अमेरिकी नागरिक है या नहीं।
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इन अधिकारियों ने अटॉर्नी जनरल पैम बॉन्डी और गृह सुरक्षा विभाग की सचिव क्रिस्टी नोएम को एक पत्र लिखा। इसमें कहा गया कि उन्हें चिंता है कि न्याय विभाग ने कई राज्यों का मतदाता डाटा गृह सुरक्षा विभाग के साथ साझा किया है। उन्होंने लिखा कि इतनी बड़ी मात्रा में मतदाता जानकारी पहले कभी नहीं मांगी गई। यह जानना जरूरी है कि इस डाटा का कैसे इस्तेमाल होगा, किसके साथ साझा होगा और इसे कैसे सुरक्षित रखा जाएगा।
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ऐसे समय में जब 2026 के मध्यावधि चुनाव करीब आ रहे हैं, रिपब्लिकन प्रशासन की ओर से मतदाता जानकारी मांगना एक बड़ा विवाद बन गया है। न्याय विभाग 26 राज्यों से मतदाता जानकारी मांग चुका है। इनमें कुछ रिपब्लिकन के नेतृत्व वाले राज्य भी शामिल हैं। आठ राज्यों पर तो उसने कोर्ट में मुकदमे भी दायर किए हैं। 

उधर, कई मतदान अधिकार समूहों ने ट्रंप प्रशासन पर मुकदमे दायर किए हैं। उनका कहना है कि नागरिकता की जांच करने वाली प्रणाली में हाल ही में गलत तरीके से बदलाव हुआ है। उन्हें चिंता है कि गलत तरीके से हजारों वास्तविक मतदाताओं के नाम सूची से हट सकते हैं। 

कई राज्यों ने जानकारी भेजने से किया इनकार
कुछ राज्यों ने सरकार को केवल वही जानकारी भेजी जो सार्वजनिक होती है और जिसमें लोगों की निजी जानकारी नहीं होती। कुछ राज्यों ने तो सीधा इनकार कर दिया। उनका कहना है कि राज्य कानून इसकी इजाजत नहीं देता या फिर न्याय विभाग ने गोपनीयता कानूनों की पालन नहीं किया। लेकिन न्याय विभाग कई बार साफ तौर पर पूरी मतदाता जानकारी मांग चुका है, जिसमें मतदाता का नाम, जन्मतिथि, पता, ड्राइविंग लाइसेंस नंबर या सोशल सिक्योरिटी नंबर का हिस्सा शामिल होता है। साउथ कैरोलाइना जैसे कुछ रिपब्लिकन शासित राज्य भी इस मांग को लेकर परेशान हैं और विचार कर रहे हैं कि सरकार की यह मांग कैसे पूरी करें।

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गृह सुरक्षा विभाग ने कही थी मतदाताओं की जानकारी मिलने की बात
चुनाव अधिकारियों ने अपने पत्र में कहा कि हाल की दो बैठकों में संघीय अधिकारियों ने उन्हें भ्रमित किया। कभी एक बात कही, कभी दूसरी। अगस्त की बैठक में न्याय विभाग ने कहा कि वह केवल यह देखना चाहता है कि राज्य अपनी मतदाता सूची सही तरीके से रख रहे हैं या नहीं। लेकिन फिर अगले महीने गृह सुरक्षा विभाग ने कहा कि उसे मतदाताओं की जानकारी मिल चुकी है और वह इसे नागरिकता की जांच करने वाली प्रणाली में डालने जा रहा है। जबकि उसी विभाग के एक अधिकारी ने सितंबर में कहा था कि उन्होंने न तो डाटा मांगा है और न ही प्राप्त किया है।

मस्क के विभाग ने किया था बदलाव
नागरिका की जांच करने वाली प्रणाली को 'सेव' कहा जाता है। इसे दशकों से लोगों की नागरिकता जांच करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, खासकर उन लोगों के लिए जो सरकारी सुविधाओं के लिए आवेदन करते हैं। गृह सुरक्षा विभाग और अरबपति कारोबारी एलन मस्क के सरकारी दक्षता विभाग ने इस प्रणाली को इस साल अपडेट किया। पहले एक बार में एक व्यक्ति की जांच होती थी, अब हजारों नामों की एक साथ जांच हो सकती और अब नाम, जन्मतिथि और सोशल सिक्योरिटी नंबर से भी खोज की जा सकती है, जो पहले संभव नहीं था।



 
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