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UNGA: पाकिस्तान-अफगानिस्तान में दरार से भारत पर क्या होगा असर? क्यों शहबाज शरीफ पर भड़के अफगानिस्तानी
रिसर्च डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु मिश्रा
Updated Sun, 25 Sep 2022 02:38 PM IST
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सार
हम आपको बताएंगे कि ऐसी स्थिति क्यों आई? आखिर पूरा मामला क्या है? अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच आई इस दरार का भारत पर क्या असर होगा? शहबाज शरीफ पर क्यों भड़क उठे हैं अफगानिस्तानी नेता? आइए जानते हैं...

पाकिस्तान-अफगानिस्तान में दरार से भारत को कितना फायदा?
- फोटो : अमर उजाला
विस्तार
पाकिस्तान और अफगानिस्तान में दरार बढ़ती जा रही है। ये सब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के यूएनजीए में दिए गए भाषण से हुआ। शहबाज ने अपने भाषण में अफगानिस्तान पर कुछ ऐसे आरोप लगाए कि पूरी तालिबान सरकार भड़क उठी। अब दोनों देशों के नेताओं में बयानबाजी तेज हो गई है। दोनों एक-दूसरे पर तरह-तरह के आरोप लगा रहे हैं।
ऐसे में हम आपको बताएंगे कि ऐसी स्थिति क्यों आई? आखिर पूरा मामला क्या है? अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच आई इस दरार का भारत पर क्या असर होगा? शहबाज शरीफ पर क्यों भड़क उठे हैं अफगानिस्तानी नेता? आइए जानते हैं...
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ऐसे में हम आपको बताएंगे कि ऐसी स्थिति क्यों आई? आखिर पूरा मामला क्या है? अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच आई इस दरार का भारत पर क्या असर होगा? शहबाज शरीफ पर क्यों भड़क उठे हैं अफगानिस्तानी नेता? आइए जानते हैं...
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यूएनजीए में संबोधित करते पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ।
- फोटो : ANI
पहले जानिए मामला क्या है?
दरअसल, 23 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा यानी यूएनजीए में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भाषण दिया। इस दौरान उन्होंने कश्मीर का मुद्दा भी उठाया। इसके बाद आतंकवाद को लेकर सफाई दी। बाद में शहबाज ने आतंकवाद के लिए अफगानिस्तान को दोषी ठहरा दिया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने दुनिया के सामने अफगानिस्तान से संचालित होने वाले आतंकी समूहों को लेकर चिंता जाहिर की। आईएसएल-के, तहरीके तालिबानी पाकिस्तान, अल-कायदा, ईटीआईएम और आईएमयू जैसे आतंकी संगठनों को तुरंत समाप्त करने की जरूरत है। उन्होंने अफगानिस्तान में लैंगिक समानता को लेकर भी तालिबानी सरकार पर तंज भी कसा। अब अफगानिस्तान के कई नेताओं ने शहबाज शरीफ पर पलटवार किया है।
दरअसल, 23 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा यानी यूएनजीए में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भाषण दिया। इस दौरान उन्होंने कश्मीर का मुद्दा भी उठाया। इसके बाद आतंकवाद को लेकर सफाई दी। बाद में शहबाज ने आतंकवाद के लिए अफगानिस्तान को दोषी ठहरा दिया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने दुनिया के सामने अफगानिस्तान से संचालित होने वाले आतंकी समूहों को लेकर चिंता जाहिर की। आईएसएल-के, तहरीके तालिबानी पाकिस्तान, अल-कायदा, ईटीआईएम और आईएमयू जैसे आतंकी संगठनों को तुरंत समाप्त करने की जरूरत है। उन्होंने अफगानिस्तान में लैंगिक समानता को लेकर भी तालिबानी सरकार पर तंज भी कसा। अब अफगानिस्तान के कई नेताओं ने शहबाज शरीफ पर पलटवार किया है।

तालिबान
- फोटो : अमर उजाला
अफगानिस्तानी नेताओं ने क्या कहा?
शहबाज शरीफ के भाषण पर अब तालिबान और दूसरे अफगान नेताओं ने पलटवार किया है। तालिबान ने कहा है कि शहबाज के आरोप झूठे हैं। अफगानिस्तान में किसी भी सशस्त्र समूह की मौजूदगी नहीं है। तालिबान ने कहा कि दुनिया को निराधार चिंताओं और आरोपों को उठाने के बजाय अपने विचारों और चिंताओं को साझा करने के लिए इस्लामी अमीरात के साथ सकारात्मक रूप से जुड़ना चाहिए।
तालिबान ने कहा कि पाकिस्तान और अमेरिका समेत कुछ देशों ने इस बात की चिंता जताई है कि अफगानिस्तान में आतंकवाद का खतरा अभी मौजूद है। गलत सूचना और स्रोतों के आधार पर इन चिंताओं को उठाया जा रहा है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान को अभी तक उसकी वैध और कानूनी सीट अफगान सरकार को नहीं सौंपी गई है। अगर अफगान सरकार को यूएन में प्रतिनिधित्व दिया जाता है तो यह पूरे क्षेत्र के लिए एक अवसर उपलब्ध कराएगा। उन्होंने कहा कि इस्लामिक अमीरात उन दावों को पूरी तरह से खारिज करता है और अपनी स्थिति दोहराता है कि अफगान जमीन का इस्तेमाल किसी अन्य देश के खिलाफ नहीं किया जाएगा।
अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई का भी बयान सामने आया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अपने पड़ोसी देश अफगानिस्तान के लोगों, संस्कृति और विरासत के खिलाफ आतंकवाद का पोषण और इस्तेमाल कर रहा है।
शहबाज शरीफ के भाषण पर अब तालिबान और दूसरे अफगान नेताओं ने पलटवार किया है। तालिबान ने कहा है कि शहबाज के आरोप झूठे हैं। अफगानिस्तान में किसी भी सशस्त्र समूह की मौजूदगी नहीं है। तालिबान ने कहा कि दुनिया को निराधार चिंताओं और आरोपों को उठाने के बजाय अपने विचारों और चिंताओं को साझा करने के लिए इस्लामी अमीरात के साथ सकारात्मक रूप से जुड़ना चाहिए।
तालिबान ने कहा कि पाकिस्तान और अमेरिका समेत कुछ देशों ने इस बात की चिंता जताई है कि अफगानिस्तान में आतंकवाद का खतरा अभी मौजूद है। गलत सूचना और स्रोतों के आधार पर इन चिंताओं को उठाया जा रहा है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान को अभी तक उसकी वैध और कानूनी सीट अफगान सरकार को नहीं सौंपी गई है। अगर अफगान सरकार को यूएन में प्रतिनिधित्व दिया जाता है तो यह पूरे क्षेत्र के लिए एक अवसर उपलब्ध कराएगा। उन्होंने कहा कि इस्लामिक अमीरात उन दावों को पूरी तरह से खारिज करता है और अपनी स्थिति दोहराता है कि अफगान जमीन का इस्तेमाल किसी अन्य देश के खिलाफ नहीं किया जाएगा।
अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई का भी बयान सामने आया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अपने पड़ोसी देश अफगानिस्तान के लोगों, संस्कृति और विरासत के खिलाफ आतंकवाद का पोषण और इस्तेमाल कर रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
- फोटो : सोशल मीडिया
अफगानिस्तान और पाकिस्तान के दरार से भारत पर क्या असर होगा?
इसे समझने के लिए हमने विदेश मामलों के जानकार डॉ. आदित्य पटेल से बात की। उन्होंने कहा, 'कई मामलों को लेकर अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच विवाद बढ़ा है। अफगानिस्तान की तालिबान सरकार आने के बाद से दुनिया के कई देशों ने दूरी बनाना शुरू कर दिया था। ऐसी स्थिति में अफगानिस्तान में काफी संकट बढ़ गया था। तब भारत ने खाद्य पदार्थ व अन्य सहायता भेजकर अफगानिस्तान के लोगों की मदद की। इसके बाद अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार ने कश्मीर मुद्दे को भारत-पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा बताया। इसके पहले हमेशा तालिबान की तरफ से इस मुद्दे पर पाकिस्तान को ही समर्थन मिलता था।'
आदित्य आगे कहते हैं, 'अफगानिस्तान और पाकिस्तान में आई इन दूरियों का असर है कि अफगानिस्तान का भारत के प्रति भरोसा बढ़ा है। कई मसलों में अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार भारत से मदद मांग चुकी है। जहां पाकिस्तान इस्लामिक देशों को भारत के खिलाफ भड़काने में जुटा रहता था, वहां अफगानिस्तान जैसे देश भी भारत के साथ आ रहे हैं ये अच्छी बात है। लॉन्ग टर्म में इसका सकारात्मक असर होगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान के दुष्प्रचार के खिलाफ अफगानिस्तान भी भारत का साथ देगा।'
इसे समझने के लिए हमने विदेश मामलों के जानकार डॉ. आदित्य पटेल से बात की। उन्होंने कहा, 'कई मामलों को लेकर अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच विवाद बढ़ा है। अफगानिस्तान की तालिबान सरकार आने के बाद से दुनिया के कई देशों ने दूरी बनाना शुरू कर दिया था। ऐसी स्थिति में अफगानिस्तान में काफी संकट बढ़ गया था। तब भारत ने खाद्य पदार्थ व अन्य सहायता भेजकर अफगानिस्तान के लोगों की मदद की। इसके बाद अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार ने कश्मीर मुद्दे को भारत-पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा बताया। इसके पहले हमेशा तालिबान की तरफ से इस मुद्दे पर पाकिस्तान को ही समर्थन मिलता था।'
आदित्य आगे कहते हैं, 'अफगानिस्तान और पाकिस्तान में आई इन दूरियों का असर है कि अफगानिस्तान का भारत के प्रति भरोसा बढ़ा है। कई मसलों में अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार भारत से मदद मांग चुकी है। जहां पाकिस्तान इस्लामिक देशों को भारत के खिलाफ भड़काने में जुटा रहता था, वहां अफगानिस्तान जैसे देश भी भारत के साथ आ रहे हैं ये अच्छी बात है। लॉन्ग टर्म में इसका सकारात्मक असर होगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान के दुष्प्रचार के खिलाफ अफगानिस्तान भी भारत का साथ देगा।'