यहां कलम के साथ जेब में रिवाल्वर भी रखते हैं टीचर
पेशावर हमले के बाद अब पाकिस्तान में शिक्षा बंदूक के साए में है। कई स्कूली शिक्षक अब अपनी जेब में कलम के साथ साथ रिवाल्वर भी रखने लगे हैं। कुछ स्पोर्ट्स टीचरों को बच्चों को खेल कूद सिखाने के साथ साथ स्कूल की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी दी गई है।
पेशावर के आर्मी स्कूल पर हुए चरमपंथी हमले के बाद वहां की जिंदगी मानो बदल सी गई है। उस स्कूल के शिक्षक मुहम्मद इकबाल 9 एमएम बोर की बेरेटा पिस्तौल दिखाते हुए कहते हैं, "'यह मेरी निजी बंदूक है, अब इसे लेकर स्कूल आने लगा हूं।"
स्कूल ने बड़े पैमाने पर हथियार खरीदे हैं और स्पोर्टस टीचरों को सुरक्षा अधिकारी का अतिरिक्त काम दे दिया है। स्कूल का मानना है कि सभी जगह सभी बच्चों को सुरक्षा देना पुलिस के वश की बात नहीं है। लिहाजा, खुद इंतजाम करना बेहतर है।
यह हाल सिर्फ पेशावर नहीं, पाकिस्तान के दूसरे इलाकों के स्कूलों का भी है। पर कई स्कूलों के शिक्षकों और स्टाफ के दूसरे लोगों ने इससे मना भी कर दिया है, उनका कहना है कि वे पढ़ाने आए हैं, सुरक्षा दस्ता का हिस्सा बनने नहीं।
'पश्तून परंपरा का हिस्सा है हथियार'
पाकिस्तान के टीचर यह भी कहते हैं कि चरमपंथी हमले की सूरत में मोर्चा संभालने लिए वे नहीं बने हैं।
बड़े पैमाने पर विरोध के बाद प्रांतीय सरकार ने अपने रुख को थोड़ा नरम बनाया। अब सरकार कह रही है कि शिक्षक चाहें तो अपने लाइसेंसी हथियार लेकर स्कूल आ सकते हैं, वरना कोई जबरदस्ती नहीं है।
प्रशासन का कहना है कि पश्तून के कबायलियों में हथियार रखना और कहीं जाने पर उन्हें लेकर चलना तो उनकी परंपरा का हिस्सा है। वे बंदूक वगैरह लेकर तो वैसे भी चलते हैं। सरकार तो बस इस पूरे मामले को औपचारिक बना रही है।