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UN Report: स्कूलों में बढ़ते दबाव, पारिवारिक समर्थन में गिरावट से जूझ रहे हैं किशोर
यूएन हिंदी समाचार
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Fri, 15 Nov 2024 02:29 PM IST
सार
यूरोप में WHO के क्षेत्रीय निदेशक डॉक्टर हैंस क्लूगे ने कहा, "आज के किशोर अपने सामाजिक परिवेश में अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। इसका उनके स्वास्थ्य और भविष्य की सम्भावनाओं पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है।"
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स्कूल में किशोर।
- फोटो : UN/Unsplash
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विस्तार
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के नए अध्ययन के अनुसार, यूरोपीय व मध्य एशिया क्षेत्र में स्थित देशों और कनाडा में किशोर आयु के बच्चों के लिए स्कूलों में दबाव बढ़ रहा है, जबकि उनके लिए परिवार व मित्रों के समर्थन में कमी आ रही है। 'स्कूली आयु के बच्चों में स्वास्थ्य व्यवहार' नामक यह सर्वेक्षण लगभग 44 देशों में 11, 13, और 15 वर्ष की आयु के करीब दो लाख 80 हजार युवाओं से प्राप्त आंकड़ों पर आधारित है।
यह रिपोर्ट, किशोरों के स्वास्थ्य-कल्याण पर बढ़ते संकट को उजागर करती है, जिससे लड़कियां और आर्थिक रूप से वंचित किशोर सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। यूरोप में WHO के क्षेत्रीय निदेशक डॉक्टर हैंस क्लूगे ने कहा, "आज के किशोर अपने सामाजिक परिवेश में अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। इसका उनके स्वास्थ्य और भविष्य की सम्भावनाओं पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है।"
उन्होंने जोर देकर कहा, "इस रिपोर्ट के निष्कर्ष, हमारे लिए एक चेतावनी की तरह हैं कि हमारे युवजन जिन हालात में बड़े हो रहे हैं, उन्हें सुधारने के लिए हमें तुरंत कार्रवाई करनी होगी।"
परिवार के समर्थन में गिरावट
किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य और समग्र विकास के लिए परिवार और साथियों का समर्थन महत्वपूर्ण है, फिर भी रिपोर्ट में दोनों में चिंताजनक गिरावट देखने को मिली है। 2021 से 2022 के बीच, केवल 68 प्रतिशत किशोरों को अपने परिवारों से समर्थन महसूस हुआ, जबकि 2018 में यह आंकड़ा 73 प्रतिशत पर था। लड़कियों के लिए यह गिरावट और भी तेज़ थी. केवल 64 प्रतिशत ने मज़बूत पारिवारिक समर्थन महसूस किया, जबकि 2018 में यह संख्या 72 प्रतिशत थी।
सहपाठियों से समर्थन में भी तीन प्रतिशत की गिरावट आई है। यह गिरावट, खासतौर पर बड़े किशोर वर्ग के बीच अधिक स्पष्ट थी, जो पहले से ही मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों के प्रति अधिक सम्वेदनशील हैं। रिपोर्ट दर्शाती है कि सामाजिक-आर्थिक स्थिति किशोरों के अनुभवों को आकार देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिसमें कम आय वाले किशोरों और संपन्न परिवारों के किशोरों के बीच 9 प्रतिशत का अंतर है।
यह अंतर, सहपाठियों के साथ संबंधों में भी देखने को मिला, जिसमें वंचित पृष्ठभूमि वाले किशोरों को, अपने दोस्तों या सहपाठियों से समर्थन मिलने की संभावना कम ही रहती है।
कक्षा में बढ़ता तनाव
शैक्षणिक दबाव बढ़ रहा है, जिसके किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ रहा है। अध्ययन के दौरान, 15 साल की दो-तिहाई लड़कियों ने स्कूल के काम से अत्यधिक दबाव महसूस होने की बात कही।
यह 2018 में 54 प्रतिशत के मुकाबले काफी अधिक है। लड़कों ने भी बढ़ते दबाव की बात कही है, हालांकि लड़कों में इसकी दर अपेक्षाकृत कम थी। डॉक्टर इरीन गार्सिया-मोया ने कहा, "किशोरों पर बढ़ता दबाव एक बहुआयामी मुद्दा है। लड़कियां अक्सर अकादमिक उत्कृष्टता और पारम्परिक सामाजिक की भूमिकाओं की अपेक्षाओं के बीच फंस जाती हैं। जबकि लड़कों पर अक्सर मजबूत और आत्मनिर्भर दिखने का दबाव होता है, जिससे वो आवश्यक समर्थन मांगने से हिचकिचाते हैं।" रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि लड़कियों को अपने शिक्षकों से समर्थन मिलने की संभावना कम होती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन में यूरोप के राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीतियों एवं प्रणाली निदेशक, डॉक्टर नताशा अजोपार्डी-मस्कट ने चेतावनी देते हुए कहा, "यह रिपोर्ट, किशोर लड़कियों के लिए समर्थन प्रणालियों में एक गंभीर और बढ़ती खाई की ओर इशारा करती है, जो न केवल स्कूल से बढ़ते दबावों का सामना करती हैं, बल्कि परिवार एवं शिक्षकों से भी उन्हें कम ही समर्थन हासिल होता है।"
कार्रवाई के लिए सिफारिशें
WHO क्षेत्रीय निदेशक, डॉक्टर हैंस क्लूगे ने कहा, "हमारी रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि इन चुनौतियों का सामना कोई भी क्षेत्र या उद्योग अकेले नहीं कर सकता।" उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में तुरंत, समन्वित रूप से प्रयास किए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। उन्होंने कहा, "सुरक्षित और अधिक समावेशी स्कूली माहौल बनाना, आवश्यकतानुसार आर्थिक समर्थन प्रदान करना और लैंगिक रूप से संवेदनशील उपाय लागू करना, इन सभी उपायों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सार्वजनिक नीति के विभिन्न क्षेत्रों की भागेदारी जरूरी है।"
मुख्य सिफारिशों में परिवार का समर्थन मजबूत करने के लिए, परिवारों पर लक्षित नीतिगत उपाय पेश किए गए है, जैसे कि अभिभावकों के लिए विशेष कार्यक्रम और कम आय वाले परिवारों के लिए वित्तीय सहायता। इसके अलावा स्कूलों में दबाव घटाना भी ज़रूरी है. लेखकों ने स्कूलों के लिए अधिक सन्तुलित होमवर्क नीतियाँ, कक्षाओं का आकार घटाने तथा पाठ्यक्रम में मानसिक स्वास्थ्य समर्थन एकीकृत करने की सिफ़ारिश की है। इसके अलावा, सामाजिक नीतियों और कार्यक्रमों के माध्यम से असमानताओं को दूर करना, जो हाशिए पर रहने वाले समुदायों को प्राथमिकता देते हैं, महत्वपूर्ण है।
(नोट: यह लेख संयुक्त राष्ट्र हिंदी समाचार सेवा से लिया गया है।)
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यह रिपोर्ट, किशोरों के स्वास्थ्य-कल्याण पर बढ़ते संकट को उजागर करती है, जिससे लड़कियां और आर्थिक रूप से वंचित किशोर सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। यूरोप में WHO के क्षेत्रीय निदेशक डॉक्टर हैंस क्लूगे ने कहा, "आज के किशोर अपने सामाजिक परिवेश में अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। इसका उनके स्वास्थ्य और भविष्य की सम्भावनाओं पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है।"
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उन्होंने जोर देकर कहा, "इस रिपोर्ट के निष्कर्ष, हमारे लिए एक चेतावनी की तरह हैं कि हमारे युवजन जिन हालात में बड़े हो रहे हैं, उन्हें सुधारने के लिए हमें तुरंत कार्रवाई करनी होगी।"
परिवार के समर्थन में गिरावट
किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य और समग्र विकास के लिए परिवार और साथियों का समर्थन महत्वपूर्ण है, फिर भी रिपोर्ट में दोनों में चिंताजनक गिरावट देखने को मिली है। 2021 से 2022 के बीच, केवल 68 प्रतिशत किशोरों को अपने परिवारों से समर्थन महसूस हुआ, जबकि 2018 में यह आंकड़ा 73 प्रतिशत पर था। लड़कियों के लिए यह गिरावट और भी तेज़ थी. केवल 64 प्रतिशत ने मज़बूत पारिवारिक समर्थन महसूस किया, जबकि 2018 में यह संख्या 72 प्रतिशत थी।
सहपाठियों से समर्थन में भी तीन प्रतिशत की गिरावट आई है। यह गिरावट, खासतौर पर बड़े किशोर वर्ग के बीच अधिक स्पष्ट थी, जो पहले से ही मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों के प्रति अधिक सम्वेदनशील हैं। रिपोर्ट दर्शाती है कि सामाजिक-आर्थिक स्थिति किशोरों के अनुभवों को आकार देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिसमें कम आय वाले किशोरों और संपन्न परिवारों के किशोरों के बीच 9 प्रतिशत का अंतर है।
यह अंतर, सहपाठियों के साथ संबंधों में भी देखने को मिला, जिसमें वंचित पृष्ठभूमि वाले किशोरों को, अपने दोस्तों या सहपाठियों से समर्थन मिलने की संभावना कम ही रहती है।
कक्षा में बढ़ता तनाव
शैक्षणिक दबाव बढ़ रहा है, जिसके किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ रहा है। अध्ययन के दौरान, 15 साल की दो-तिहाई लड़कियों ने स्कूल के काम से अत्यधिक दबाव महसूस होने की बात कही।
यह 2018 में 54 प्रतिशत के मुकाबले काफी अधिक है। लड़कों ने भी बढ़ते दबाव की बात कही है, हालांकि लड़कों में इसकी दर अपेक्षाकृत कम थी। डॉक्टर इरीन गार्सिया-मोया ने कहा, "किशोरों पर बढ़ता दबाव एक बहुआयामी मुद्दा है। लड़कियां अक्सर अकादमिक उत्कृष्टता और पारम्परिक सामाजिक की भूमिकाओं की अपेक्षाओं के बीच फंस जाती हैं। जबकि लड़कों पर अक्सर मजबूत और आत्मनिर्भर दिखने का दबाव होता है, जिससे वो आवश्यक समर्थन मांगने से हिचकिचाते हैं।" रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि लड़कियों को अपने शिक्षकों से समर्थन मिलने की संभावना कम होती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन में यूरोप के राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीतियों एवं प्रणाली निदेशक, डॉक्टर नताशा अजोपार्डी-मस्कट ने चेतावनी देते हुए कहा, "यह रिपोर्ट, किशोर लड़कियों के लिए समर्थन प्रणालियों में एक गंभीर और बढ़ती खाई की ओर इशारा करती है, जो न केवल स्कूल से बढ़ते दबावों का सामना करती हैं, बल्कि परिवार एवं शिक्षकों से भी उन्हें कम ही समर्थन हासिल होता है।"
कार्रवाई के लिए सिफारिशें
WHO क्षेत्रीय निदेशक, डॉक्टर हैंस क्लूगे ने कहा, "हमारी रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि इन चुनौतियों का सामना कोई भी क्षेत्र या उद्योग अकेले नहीं कर सकता।" उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में तुरंत, समन्वित रूप से प्रयास किए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। उन्होंने कहा, "सुरक्षित और अधिक समावेशी स्कूली माहौल बनाना, आवश्यकतानुसार आर्थिक समर्थन प्रदान करना और लैंगिक रूप से संवेदनशील उपाय लागू करना, इन सभी उपायों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सार्वजनिक नीति के विभिन्न क्षेत्रों की भागेदारी जरूरी है।"
मुख्य सिफारिशों में परिवार का समर्थन मजबूत करने के लिए, परिवारों पर लक्षित नीतिगत उपाय पेश किए गए है, जैसे कि अभिभावकों के लिए विशेष कार्यक्रम और कम आय वाले परिवारों के लिए वित्तीय सहायता। इसके अलावा स्कूलों में दबाव घटाना भी ज़रूरी है. लेखकों ने स्कूलों के लिए अधिक सन्तुलित होमवर्क नीतियाँ, कक्षाओं का आकार घटाने तथा पाठ्यक्रम में मानसिक स्वास्थ्य समर्थन एकीकृत करने की सिफ़ारिश की है। इसके अलावा, सामाजिक नीतियों और कार्यक्रमों के माध्यम से असमानताओं को दूर करना, जो हाशिए पर रहने वाले समुदायों को प्राथमिकता देते हैं, महत्वपूर्ण है।
(नोट: यह लेख संयुक्त राष्ट्र हिंदी समाचार सेवा से लिया गया है।)