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Saudi Arabia: सऊदी अरब में रहने वाले लोग भी खरीद सकेंगे शराब, जानें मुस्लिम देश में किसे मिली छूट
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, रियाद
Published by: अमन तिवारी
Updated Sun, 21 Dec 2025 03:31 PM IST
सार
सऊदी अरब ने चुपचाप अपनी शराब नीति में बदलाव करते हुए गौर-मुस्लिम विदेशी निवासियों को शराब खरीदने की अनुमति दे दी है। रियाद के डिप्लोमैटिक क्वार्टर में स्थित एकमात्र अधिकृत स्टोर तक अब प्रीमियम रेजिडेंसी धारकों की पहुंच बढ़ाई गई है।
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सऊदी अरब की शराब नीति में बदलाव
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
सऊदी अरब में शराब बेचने और खरीदने पर पाबंदी थी, लेकिन अब वहां रहने वाले गैर-मुस्लिम विदेशी लोग शराब खरीद सकते हैं। सऊदी अरब ने चुपचाप अपनी एकमात्र शराब की दुकान तक लोगों की पहुंच बढ़ा दी है, जिससे अमीर विदेशी निवासी शराब खरीद सकते हैं। हालांकि इस फैसले की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन यह बात फैल गई है। इसके साथ ही सऊदी राजधानी रियाद के डिप्लोमैटिक क्वार्टर में इस साधारण, बिना निशान वाली दुकान पर कारों और लोगों की लंबी लाइनें देखी जा सकती हैं।
ये भी पढ़ें: Toshakhana Case: क्या 'सिस्टम' से तल्खी पड़ी इमरान खान को भारी? पाकिस्तानी आवाम ने खोल दी PAK सेना की पोल
1950 के दशक में लगा था शराब पर प्रतिबंध
यह दुकान जनवरी 2024 में गैर-मुस्लिम राजनयिकों के लिए खोली गई थी। नए नियमों के तहत, गैर-मुस्लिम विदेशी जिनके पास प्रीमियम रेजिडेंसी है, वे शराब खरीद सकते हैं। यह रेजिडेंसी परमिट विशेष कौशल वाले विदेशियों, निवेशकों और उद्यमियों को दिया जाता है। इस्लाम के सबसे पवित्र स्थलों का घर सऊदी अरब, 1950 के दशक की शुरुआत से ही शराब पर प्रतिबंध लगाए हुए है। इस दुकान को शराब की नियंत्रित बिक्री का सावधानीपूर्वक परीक्षण करने के एक तरीके के रूप में देखा जा रहा है।
सऊदी अरब के वास्तविक शासक, क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, और उनके पिता, किंग सलमान ने साम्राज्य में एक उदारीकरण नीति अपनाई है, जिसका लक्ष्य देश में पर्यटन को आकर्षित करना, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देना और कच्चे तेल पर आर्थिक निर्भरता को कम करना है। इस्लामी शरिया कानून का पालन करने वाले इस देश में सिनेमाघर खोले गए हैं, महिलाओं को वाहन चलाने की अनुमति दी गई है और बड़े संगीत समारोहों की मेजबानी की है। हालांकि राजनीतिक भाषण और असहमति व्यक्त करना अभी भी सख्त अपराध है, जिसके लिए मृत्युदंड भी दिया जा सकता है।
दुकान में ये चीजें वर्जित
यह दुकान आज भी आम जनता के लिए प्रतिबंधित है। बिना किसी नाम या बोर्ड वाली यह दुकान ड्यूटी-फ्री स्टोर जैसी लगती है, जिसका मालिकाना हक आधिकारिक तौर पर गोपनीय रखा गया है। यहां सुरक्षा के बेहद कड़े इंतजाम किए गए हैं। हर आगंतुक की पात्रता की जांच की जाती है और प्रवेश से पहले उनकी गहन तलाशी ली जाती है। स्टोर के भीतर मोबाइल फोन और कैमरे पूरी तरह वर्जित हैं, और सुरक्षाकर्मी स्मार्ट चश्मों तक की जांच कर रहे हैं ताकि अंदर की कोई भी तस्वीर बाहर न जा सके।
लोगों ने क्या कहा?
एसोसिएटेड प्रेस से बात करते हुए कुछ ग्राहकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि स्टोर में कीमतें काफी अधिक हैं। जहां विदेशी राजनयिकों को इन खरीदारी पर टैक्स से छूट दी गई है, वहीं प्रीमियम रेजिडेंसी धारकों को पूरा भुगतान करना पड़ रहा है। ग्राहकों के अनुसार स्टोर में शराब का स्टॉक तो पर्याप्त है, लेकिन बीयर और वाइन के विकल्प फिलहाल सीमित हैं। गौरतलब है कि प्रीमियम रेजिडेंसी परमिट सऊदी अरब की उस योजना का हिस्सा है, जिसके तहत दुनिया भर के विशेषज्ञों और निवेशकों को आकर्षित किया जा रहा है। इसके लिए उच्च आय या भारी निवेश की आवश्यकता होती है और यह धारकों को बिना किसी सऊदी स्पॉन्सर के संपत्ति खरीदने और व्यापार करने की आजादी देता है।
बता दें कि वर्तमान में, जो सऊदी नागरिक या निवासी शराब पीना चाहते हैं वे अक्सर पड़ोसी देश बहरीन की यात्रा करते हैं। जहां यह मुस्लिमों और गैर-मुस्लिमों दोनों के लिए कानूनी रूप से उपलब्ध है। छुट्टियों के दौरान बहरीन में सऊदी अरब और खाड़ी देशों के पर्यटकों की भारी भीड़ उमड़ती है, जबकि कुछ लोग दुबई जाना पसंद करते हैं। वहीं, देश के भीतर कुछ लोग तस्करी कर लाई गई महंगी शराब या जोखिम भरी 'होममेड' शराब का सहारा लेते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकती है। इसके विपरीत, सऊदी युवाओं के बीच अब 'अल्कोहल-फ्री' पेय पदार्थों का चलन बढ़ा है, जिसे वे अक्सर सोशल मीडिया पर फोटो खिंचवाने और पार्टी के माहौल का आनंद लेने के लिए इस्तेमाल करते हैं।
ये भी पढ़ें: Pakistan: उत्तरी वजीरिस्तान में सुरक्षा कैंप पर आतंकी हमला, जवाबी कार्रवाई में सभी पांच हमलावर ढेर
क्यों लगा था प्रतिबंध?
सऊदी अरब में शराब पर प्रतिबंध का इतिहास काफी पुराना है। मामले में देश के संस्थापक राजा अब्दुलअजीज ने 1951 में एक घटना के बाद शराब की बिक्री पर रोक लगा दी थी। उस समय उनके बेटे, प्रिंस मिशारी ने नशे की हालत में जेद्दा में तैनात ब्रिटिश उप-वाणिज्य दूत सिरिल ओसमैन को शॉटगन से मार दिया था। तब से देश में शराब को लेकर बेहद सख्त कानून लागू हैं।
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1950 के दशक में लगा था शराब पर प्रतिबंध
यह दुकान जनवरी 2024 में गैर-मुस्लिम राजनयिकों के लिए खोली गई थी। नए नियमों के तहत, गैर-मुस्लिम विदेशी जिनके पास प्रीमियम रेजिडेंसी है, वे शराब खरीद सकते हैं। यह रेजिडेंसी परमिट विशेष कौशल वाले विदेशियों, निवेशकों और उद्यमियों को दिया जाता है। इस्लाम के सबसे पवित्र स्थलों का घर सऊदी अरब, 1950 के दशक की शुरुआत से ही शराब पर प्रतिबंध लगाए हुए है। इस दुकान को शराब की नियंत्रित बिक्री का सावधानीपूर्वक परीक्षण करने के एक तरीके के रूप में देखा जा रहा है।
सऊदी अरब के वास्तविक शासक, क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, और उनके पिता, किंग सलमान ने साम्राज्य में एक उदारीकरण नीति अपनाई है, जिसका लक्ष्य देश में पर्यटन को आकर्षित करना, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देना और कच्चे तेल पर आर्थिक निर्भरता को कम करना है। इस्लामी शरिया कानून का पालन करने वाले इस देश में सिनेमाघर खोले गए हैं, महिलाओं को वाहन चलाने की अनुमति दी गई है और बड़े संगीत समारोहों की मेजबानी की है। हालांकि राजनीतिक भाषण और असहमति व्यक्त करना अभी भी सख्त अपराध है, जिसके लिए मृत्युदंड भी दिया जा सकता है।
दुकान में ये चीजें वर्जित
यह दुकान आज भी आम जनता के लिए प्रतिबंधित है। बिना किसी नाम या बोर्ड वाली यह दुकान ड्यूटी-फ्री स्टोर जैसी लगती है, जिसका मालिकाना हक आधिकारिक तौर पर गोपनीय रखा गया है। यहां सुरक्षा के बेहद कड़े इंतजाम किए गए हैं। हर आगंतुक की पात्रता की जांच की जाती है और प्रवेश से पहले उनकी गहन तलाशी ली जाती है। स्टोर के भीतर मोबाइल फोन और कैमरे पूरी तरह वर्जित हैं, और सुरक्षाकर्मी स्मार्ट चश्मों तक की जांच कर रहे हैं ताकि अंदर की कोई भी तस्वीर बाहर न जा सके।
लोगों ने क्या कहा?
एसोसिएटेड प्रेस से बात करते हुए कुछ ग्राहकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि स्टोर में कीमतें काफी अधिक हैं। जहां विदेशी राजनयिकों को इन खरीदारी पर टैक्स से छूट दी गई है, वहीं प्रीमियम रेजिडेंसी धारकों को पूरा भुगतान करना पड़ रहा है। ग्राहकों के अनुसार स्टोर में शराब का स्टॉक तो पर्याप्त है, लेकिन बीयर और वाइन के विकल्प फिलहाल सीमित हैं। गौरतलब है कि प्रीमियम रेजिडेंसी परमिट सऊदी अरब की उस योजना का हिस्सा है, जिसके तहत दुनिया भर के विशेषज्ञों और निवेशकों को आकर्षित किया जा रहा है। इसके लिए उच्च आय या भारी निवेश की आवश्यकता होती है और यह धारकों को बिना किसी सऊदी स्पॉन्सर के संपत्ति खरीदने और व्यापार करने की आजादी देता है।
बता दें कि वर्तमान में, जो सऊदी नागरिक या निवासी शराब पीना चाहते हैं वे अक्सर पड़ोसी देश बहरीन की यात्रा करते हैं। जहां यह मुस्लिमों और गैर-मुस्लिमों दोनों के लिए कानूनी रूप से उपलब्ध है। छुट्टियों के दौरान बहरीन में सऊदी अरब और खाड़ी देशों के पर्यटकों की भारी भीड़ उमड़ती है, जबकि कुछ लोग दुबई जाना पसंद करते हैं। वहीं, देश के भीतर कुछ लोग तस्करी कर लाई गई महंगी शराब या जोखिम भरी 'होममेड' शराब का सहारा लेते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकती है। इसके विपरीत, सऊदी युवाओं के बीच अब 'अल्कोहल-फ्री' पेय पदार्थों का चलन बढ़ा है, जिसे वे अक्सर सोशल मीडिया पर फोटो खिंचवाने और पार्टी के माहौल का आनंद लेने के लिए इस्तेमाल करते हैं।
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क्यों लगा था प्रतिबंध?
सऊदी अरब में शराब पर प्रतिबंध का इतिहास काफी पुराना है। मामले में देश के संस्थापक राजा अब्दुलअजीज ने 1951 में एक घटना के बाद शराब की बिक्री पर रोक लगा दी थी। उस समय उनके बेटे, प्रिंस मिशारी ने नशे की हालत में जेद्दा में तैनात ब्रिटिश उप-वाणिज्य दूत सिरिल ओसमैन को शॉटगन से मार दिया था। तब से देश में शराब को लेकर बेहद सख्त कानून लागू हैं।
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