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संयम रुख के साथ अपना महत्वाकांक्षी इन्फ्रास्ट्रक्चर पैकेज कैसे पारित करवाएंगे बाइडन?

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वाशिंगटन Published by: Harendra Chaudhary Updated Thu, 01 Apr 2021 03:06 PM IST
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सार

डेमोक्रेटिक पार्टी के पास अमेरिकी कांग्रेस के दोनों सदनों में साधारण बहुमत है। लेकिन फिलिबस्टर नियम लागू होने के बाद किसी अहम बिल के पास होने के लिए 100 सदस्यीय सदन में 60 वोट अनिवार्य हो जाते हैं, जो डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए मुश्किल हैं...

US President Joe Biden announced to spend two trillion dollars from the treasury for infrastructure package instead of three trillion
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन - फोटो : PTI (फाइल फोटो)

विस्तार
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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने बहुचर्चित इन्फ्रास्ट्रक्चर पैकेज घोषित करते वक्त संयम का रुख अपना लिया। पहले ये चर्चा थी कि वे तीन ट्रिलियन डॉलर का पैकेज घोषित करेंगे। लेकिन बुधवार को उन्होंने राजकोष से दो ट्रिलियन डॉलर खर्च करने का ही एलान किया। जानकारों के मुताबिक इसके पीछे कारण बाइडन का ये भय है कि ज्यादा बड़े पैकेज को रोकने के लिए रिपब्लिकन पार्टी जी जान लगा दी। साथ ही कुछ कंजरवेटिव डेमोक्रेटिक सीनेटर भी पार्टी का साथ छोड़ सकते हैं। इसके बावजूद घोषित पैकेज को खासा महत्वाकांक्षी समझा जा रहा है।

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डेमोक्रेटिक पार्टी के पास अमेरिकी कांग्रेस (संसद) के दोनों सदनों में साधारण बहुमत है। लेकिन सीनेट की एक प्रक्रिया के तहत कोई सदस्य फिलिबस्टर नियम लागू करवा सकता है। ऐसा होने पर किसी अहम बिल के पास होने के लिए 100 सदस्यीय सदन में 60 वोट अनिवार्य हो जाते हैं। डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए इतने वोट जुटा पाना लगभग नामुमकिन है। जानकारों के मुताबिक यह लगभग तय है कि बाइडन के ताजा पैकेज पर रिपब्लिकन पार्टी फिलिबस्टर नियम को लागू करवाने की पूरी कोशिश करेगी।
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दूसरी तरफ सीनेट में डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता चक शुमर ने सीनेट की एक अन्य प्रक्रिया को लागू करवाने का इरादा जताया है, जिसे रिकॉन्सिलिएशन कहा जाता है। सीनेट की बजट समिति के अध्यक्ष सोशलिस्ट नेता बर्नी सैंडर्स भी इस प्रक्रिया को लागू करने की वकालत कर रहे हैं। लेकिन इस मामले में फैसला सीनेट का सचिवालय करता है।

पिछले महीने उसने उस प्रस्ताव को रिकॉन्सिलिएशन नियम के तहत लाने से इनकार कर दिया था, जिसके जरिए अमेरिका में न्यूनतम मजदूरी को बढ़ा कर 15 डॉलर करने की बात थी।  इसलिए जहां विश्लेषक जो बाइडन के ताजा पैकेज को देश के लिए जरूरी मान रहे हैं, वहीं उन्हें फिलहाल इस पर शक है कि इस पैकेज को सचमुच संसदीय मजदूरी मिल पाएगी।    

बाइडन ने अपने ताजा पैकेज का मकसद देश को स्वच्छ ऊर्जा अर्थव्यवस्था की तरफ ले जाना बताया है। उन्होंने जिस बड़ी रकम को इस मकसद से खर्च करने का एलान किया है, उसके जरिए देश में सड़क, पुल और सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को पुख्ता करने की योजना है। खास बात यह है कि इस पैकेज में इन्फ्रास्ट्रक्चर की परंपरागत परिभाषा को भी बदलने की कोशिश की है।

बाइडन के इन्फ्रास्ट्रक्चर पैकेज में बुजुर्गो को दीर्घकालिक मेडिकल सहायता देना, किसी समुदाय को अलग-थलग करने के लिए क्षेत्र निर्धारण पर रोक, सामुदायिक हिंसा पर रोक के उपायों में निवेश, आदि जैसी योजनाएं शामिल हैं। औपचारिक तौर पर बाइडन प्रशासन ने इस पैकेज को अमेरिकन जॉब्स प्लान नाम दिया है। बाइडन ने इसका एलान पेनसिल्वेनिया राज्य के शहर पिट्सबर्ग में एक यूनियन ट्रेनिंग सेंटर जाकर किया।

इस मौके पर बाइडन ने कहा- ‘ये समय अर्थव्यवस्था और निम्न और मध्य स्तरों से निर्मित करने का है। अच्छी तनख्वाह वाली अधिक यूनियन से जुड़ी नौकरियां पैदा हो पाएं, आज इसकी जरूरत है।’ उन्होंने ये अहम टिप्पणी की- ‘वॉल स्ट्रीट देश का निर्माण नहीं करता। आप मध्य वर्ग के लोग देश का निर्माण करते हैं और ट्रेड यूनियनें मध्य वर्ग का निर्माण करती हैं।’

बाइडन के पैकेज में सड़क, पुल, बंदरगाह और रेल ढांचा खड़ा करने पर 621 अरब डॉलर, मैनुफैक्चरिंग को बढ़ावा देने पर 300 अरब डॉलर, किफायती मकान बनाने पर 213 अरब डॉलर, अनुसंधान और विकास और बिजली ढांचे के आधुनिकीकरण पर 380 अरब डॉलर खर्च करने की बात शामिल है। साथ ही इस पैकेज के तहत देश में तीव्र गति का इंटरनेट ब्रॉडबैंड बिछाया जाएगा। गृह और समुदाय आधारित स्वास्थ्य और वृद्ध देखभाल योजनाओं पर 400 अरब डॉलर खर्च किए जाएंगे।

विश्लेषकों का कहना है कि इस पैकेज के जरिए जो बाइडन वित्तीय किफायत और राजकोषीय अनुशासन की नीतियों से और दूर गए हैं। ये बात डेमोक्रेटिक पार्टी की परंपरागत सोच से अलग है। लेकिन मौजूदा चुनौतियों और डेमोक्रेटिक पार्टी के भीतर प्रोग्रेसिव खेमे की बढ़ी ताकत के कारण बाइडन को ये कदम उठाना पड़ा है।

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