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US: 33 साल बाद परमाणु हथियारों के परीक्षण को तैयार अमेरिका, ट्रंप बोले- रूस-चीन कर लेंगे बराबरी, इसलिए जरूरी
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वॉशिंगटन
Published by: पवन पांडेय
Updated Thu, 30 Oct 2025 08:31 AM IST
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सार
Nuclear Weapon Testing: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा हैं कि अमेरिका करीब 30 साल बाद अपने परमाणु हथियारों का परीक्षण दोबारा शुरू कर सकता है। उन्होंने कहा कि यह कदम रूस और चीन के बराबरी के आधार पर उठाया जाएगा। ट्रंप ने यह घोषणा उस समय की, जब वे दक्षिण कोरिया के बुसान शहर में चीनी राष्ट्रपति से मिलने वाले थे।
डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिकी राष्ट्रपति
- फोटो : ANI
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विस्तार
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को घोषणा की कि उन्होंने देश के डिपार्टमेंट ऑफ वॉर (पहले इसे डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस के नाम से जाना था) को परमाणु हथियारों के परीक्षण शुरू करने का आदेश दिया है। ट्रंप का यह फैसला रूस और अन्य देशों की तरफ से हाल में किए गए परमाणु परीक्षणों के बाद आया है।
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'पहले कार्यकाल में पूरी तरह अपडेट किए थे हथियार'
ट्रुथ सोशल पर पोस्ट करते हुए ट्रंप ने कहा कि उनके पहले राष्ट्रपति कार्यकाल में अमेरिका के सभी परमाणु हथियारों का पूरा अपडेट और नवीनीकरण किया गया था। उन्होंने लिखा, 'संयुक्त राज्य अमेरिका के पास किसी भी देश से अधिक परमाणु हथियार हैं। यह उपलब्धि मेरे पहले कार्यकाल में हासिल की गई थी।' हालांकि ट्रंप ने कहा कि उन्हें इन हथियारों की भारी विनाशकारी शक्ति के कारण परीक्षण करने से घृणा है, लेकिन उन्होंने दावा किया कि मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा।
'रूस दूसरे और चीन तीसरे स्थान पर'
डोनाल्ड ट्रंप ने आगे कहा कि रूस परमाणु शक्ति के मामले में दूसरा सबसे बड़ा देश है, जबकि चीन अभी काफी पीछे है। उन्होंने लिखा, 'रूस दूसरा है, और चीन दूर तीसरे स्थान पर है, लेकिन अगले पांच वर्षों में वह बराबरी पर आ जाएगा।' ट्रंप के अनुसार, जब अन्य देश अपने परमाणु कार्यक्रमों का परीक्षण कर रहे हैं, तो अमेरिका को भी बराबरी के आधार पर अपने हथियारों का परीक्षण शुरू करना चाहिए। इसी कारण उन्होंने डिपार्टमेंट ऑफ वॉर को तुरंत प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है।
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30 साल बाद बड़ा बदलाव संभव
राष्ट्रपति ट्रंप का यह बयान वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ा सकता है, क्योंकि अमेरिका ने 1992 के बाद से कोई परमाणु परीक्षण नहीं किया है। अमेरिका कॉम्प्रिहेंसिव न्यूक्लियर-टेस्ट-बैन ट्रीटी का हिस्सा है, जो सभी परमाणु विस्फोटक परीक्षणों पर रोक लगाता है, हालांकि इस संधि को अमेरिका ने औपचारिक रूप से कभी मंजूर नहीं किया। वहीं रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 2023 में एक कानून पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत रूस ने सीटीबीटी संधि से अपनी मंजूरी वापस ले ली थी, ताकि वह अमेरिका के समान स्थिति में रह सके।
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'पहले कार्यकाल में पूरी तरह अपडेट किए थे हथियार'
ट्रुथ सोशल पर पोस्ट करते हुए ट्रंप ने कहा कि उनके पहले राष्ट्रपति कार्यकाल में अमेरिका के सभी परमाणु हथियारों का पूरा अपडेट और नवीनीकरण किया गया था। उन्होंने लिखा, 'संयुक्त राज्य अमेरिका के पास किसी भी देश से अधिक परमाणु हथियार हैं। यह उपलब्धि मेरे पहले कार्यकाल में हासिल की गई थी।' हालांकि ट्रंप ने कहा कि उन्हें इन हथियारों की भारी विनाशकारी शक्ति के कारण परीक्षण करने से घृणा है, लेकिन उन्होंने दावा किया कि मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा।
'रूस दूसरे और चीन तीसरे स्थान पर'
डोनाल्ड ट्रंप ने आगे कहा कि रूस परमाणु शक्ति के मामले में दूसरा सबसे बड़ा देश है, जबकि चीन अभी काफी पीछे है। उन्होंने लिखा, 'रूस दूसरा है, और चीन दूर तीसरे स्थान पर है, लेकिन अगले पांच वर्षों में वह बराबरी पर आ जाएगा।' ट्रंप के अनुसार, जब अन्य देश अपने परमाणु कार्यक्रमों का परीक्षण कर रहे हैं, तो अमेरिका को भी बराबरी के आधार पर अपने हथियारों का परीक्षण शुरू करना चाहिए। इसी कारण उन्होंने डिपार्टमेंट ऑफ वॉर को तुरंत प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है।
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30 साल बाद बड़ा बदलाव संभव
राष्ट्रपति ट्रंप का यह बयान वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ा सकता है, क्योंकि अमेरिका ने 1992 के बाद से कोई परमाणु परीक्षण नहीं किया है। अमेरिका कॉम्प्रिहेंसिव न्यूक्लियर-टेस्ट-बैन ट्रीटी का हिस्सा है, जो सभी परमाणु विस्फोटक परीक्षणों पर रोक लगाता है, हालांकि इस संधि को अमेरिका ने औपचारिक रूप से कभी मंजूर नहीं किया। वहीं रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 2023 में एक कानून पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत रूस ने सीटीबीटी संधि से अपनी मंजूरी वापस ले ली थी, ताकि वह अमेरिका के समान स्थिति में रह सके।