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Car Tips: पुरानी कार खरीदने से पहले ये तीन दस्तावेज देखना न भूलें, वरना सिरदर्द बन जाएगी गाड़ी
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नीतीश कुमार
Updated Wed, 02 Jul 2025 06:55 PM IST
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सार
Second Hand Vehicle Documents: कई लोग बिना जांच पड़ताल किए पुरानी गाड़ी खरीद लेते हैं, जिसके बाद उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए किसी भी सेकेंड हैंड वाहन को खरीदते समय केवल इंजन और परफॉर्मेंस हो ही न देखें, बल्कि यहां बताए गए इन तीन डॉक्यूमेंट्स को भी जरूर चेक करें।

सेकेंड हैंड कार
- फोटो : AI

विस्तार
पुरानी कार खरीदते समय लोग कई बातों का ध्यान रखते हैं। जैसे कार कितना चली है, रजिस्ट्रेशन डेट क्या है और क्या गाड़ी का एक्सीडेंट तो नहीं हुआ। सेकेंड हैंड कार खरीदते समय लोग इंजन से लेकर बूट तक पूरी कार खंगाल डालते हैं, लेकिन कुछ बेहद जरूरी चीजों पर ध्यान नहीं देते जिनका नुकसान उन्हें बाद में उठाना पड़ता है। यहां हम गाड़ी की परफॉर्मेंस या माइलेज को लेकर बात नहीं कर रहे, बल्कि कुछ ऐसी चीजों के बारे में आपको जानकारी दे रहे हैं जो ग्राहक से छुपी रहती है और कार को देखकर वह इसका पता नहीं लगा पाते। तो चलिए जानते हैं।
दरअसल, 3-4 साल पुरानी गाड़ी अगर हमें ठीक-ठाक दाम पर मिल जाए तो हम इसे मुनाफे का सौदा मानते हैं, लेकिन गाड़ी की तीन डॉक्यूमेंट्स पर अक्सर ध्यान नहीं देते। यह बात कार के साथ बाइक और स्कूटर पर भी लागू होती है। एक गलती के वजह से आपको चूना लग सकता है। यहां हम गाड़ी के कुछ जरूरी डॉक्यूमेंट्स के बारे में बात कर रहे हैं जिन्हें पैसे देने से पहले जरूर देख लेना चाहिए।
नंबर प्लेट करें चेक
पुरानी गाड़ी के पास्ट के बारे में अक्सर नए ग्राहक को पता नहीं होता। कई बार क्राइम या अपराध में इस्तेमाल हुई गाड़ी को लोग भोले-भाले ग्राबकों को बेचकर निकल जाते हैं। लेकिन ऐसी गाड़ियां कभी न कभी पुलिस की जांच में पकड़ी जाती हैं। ऐसे में उस गाड़ी को खरीदने वाले को भी कार्रवाई से गुजरना पड़ता है। इसलिए पुरानी गाड़ी खरीदने से पहले उसके नंबर पर आपराधिक मामला चेक करना बेहद जरूरी है। इसके लिए आपको गाड़ी का नंबर क्राइम और क्रिमिनल ट्रैकिंग पोर्टल https://www.digitalpolicecitizenservices.gov.in/centercitizen/login.htm पर डालकर चेक कर सकते हैं। इससे पता चलेगा कि गाड़ी पर कोई कोर्ट केस तो नहीं चल रहा है। अगर इस तरह की सूचना मिले तो आप कार खरीदने से मना कर सकते हैं।
यह भी पढ़ें: पीक आवर्स के दौरान दोगुना किराया वसूल सकेंगे एप बेस्ड कैब एग्रीगेटर, सरकार ने जारी किए दिशा-निर्देश
चालान की जानकारी भी देखें
चालान से जितना दूर रहें उतना ही बेहतर है। गाड़ी चलाते समय थोड़ी सी गलती पर भी भारी-भरकम चालान कट जाता है। कई गाड़ियों पर चालान कट जाता है लेकिन मालिक कई वर्षों तक जुर्माने की राशि नहीं भरते हैं। ऐसे में पुरानी गाड़ी खरीदते समय हमेशा यह देख लें कि उसपर कहीं चालान तो बकाया नहीं है। अगर गाड़ी आपके नाम ट्रांसफर हो गई तो फिर बकाया चालान आपको ही भरना पड़ेगा। गाड़ी के लिए पैसे देने से पहले आप पुरानी गाड़ी के मालिक का चालान क्लीयर करने को कहें। आप परिवहन पोर्टल https://echallan.parivahan.gov.in पर गाड़ी का नंबर दर्ज कर चालान की डिटेल्स देख सकते हैं।
यह भी पढ़ें: क्या है कार का इंजन लॉकिंग फीचर? जानिए कार को चोरी से कैसे बचाती है ये तकनीक
आरसी और एनओसी भी देखें
पुरानी गाड़ी खरीदने से पहले ओनर का आरसी देखना न भूलें। क्योंकि इस पर आपको गाड़ी के बारे में कई तरह की जानकारी मिल सकती है। अगर गाड़ी लोन पर होगी तो उसपर किसी बैंक या लेंडर का नाम लिखा होगा। अगर मालिक कहे कि उसने सभी किस्त भर दी है तो उससे सीधे नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट यानी एनओसी मांग लीजिए। अगर वाहन मालिक एनओसी दे देता है, लेकिन RC पर बैंक का नाम लिखा है, तो उसे भी हटवाने के लिए कहिए। लोन पर निकाली गई गाड़ी पर किस्त चल रही हो और यदि आप उसे खरीद लेते हैं तो फिर गाड़ी की बची हुई किस्त को चुकाने का बोझ आपके ऊपर आ जाएगा। आखिर में सबसे जरूरी बात ये है कि नई या पुरानी गाड़ी खरीदते में कोई जल्दबाजी न करें। गाड़ी की जांच-पड़ताल के बाद पूरी तरह कन्फर्म हो जाने के बाद ही पैसों का भुगतान करें।
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दरअसल, 3-4 साल पुरानी गाड़ी अगर हमें ठीक-ठाक दाम पर मिल जाए तो हम इसे मुनाफे का सौदा मानते हैं, लेकिन गाड़ी की तीन डॉक्यूमेंट्स पर अक्सर ध्यान नहीं देते। यह बात कार के साथ बाइक और स्कूटर पर भी लागू होती है। एक गलती के वजह से आपको चूना लग सकता है। यहां हम गाड़ी के कुछ जरूरी डॉक्यूमेंट्स के बारे में बात कर रहे हैं जिन्हें पैसे देने से पहले जरूर देख लेना चाहिए।
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नंबर प्लेट करें चेक
पुरानी गाड़ी के पास्ट के बारे में अक्सर नए ग्राहक को पता नहीं होता। कई बार क्राइम या अपराध में इस्तेमाल हुई गाड़ी को लोग भोले-भाले ग्राबकों को बेचकर निकल जाते हैं। लेकिन ऐसी गाड़ियां कभी न कभी पुलिस की जांच में पकड़ी जाती हैं। ऐसे में उस गाड़ी को खरीदने वाले को भी कार्रवाई से गुजरना पड़ता है। इसलिए पुरानी गाड़ी खरीदने से पहले उसके नंबर पर आपराधिक मामला चेक करना बेहद जरूरी है। इसके लिए आपको गाड़ी का नंबर क्राइम और क्रिमिनल ट्रैकिंग पोर्टल https://www.digitalpolicecitizenservices.gov.in/centercitizen/login.htm पर डालकर चेक कर सकते हैं। इससे पता चलेगा कि गाड़ी पर कोई कोर्ट केस तो नहीं चल रहा है। अगर इस तरह की सूचना मिले तो आप कार खरीदने से मना कर सकते हैं।
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चालान की जानकारी भी देखें
चालान से जितना दूर रहें उतना ही बेहतर है। गाड़ी चलाते समय थोड़ी सी गलती पर भी भारी-भरकम चालान कट जाता है। कई गाड़ियों पर चालान कट जाता है लेकिन मालिक कई वर्षों तक जुर्माने की राशि नहीं भरते हैं। ऐसे में पुरानी गाड़ी खरीदते समय हमेशा यह देख लें कि उसपर कहीं चालान तो बकाया नहीं है। अगर गाड़ी आपके नाम ट्रांसफर हो गई तो फिर बकाया चालान आपको ही भरना पड़ेगा। गाड़ी के लिए पैसे देने से पहले आप पुरानी गाड़ी के मालिक का चालान क्लीयर करने को कहें। आप परिवहन पोर्टल https://echallan.parivahan.gov.in पर गाड़ी का नंबर दर्ज कर चालान की डिटेल्स देख सकते हैं।
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आरसी और एनओसी भी देखें
पुरानी गाड़ी खरीदने से पहले ओनर का आरसी देखना न भूलें। क्योंकि इस पर आपको गाड़ी के बारे में कई तरह की जानकारी मिल सकती है। अगर गाड़ी लोन पर होगी तो उसपर किसी बैंक या लेंडर का नाम लिखा होगा। अगर मालिक कहे कि उसने सभी किस्त भर दी है तो उससे सीधे नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट यानी एनओसी मांग लीजिए। अगर वाहन मालिक एनओसी दे देता है, लेकिन RC पर बैंक का नाम लिखा है, तो उसे भी हटवाने के लिए कहिए। लोन पर निकाली गई गाड़ी पर किस्त चल रही हो और यदि आप उसे खरीद लेते हैं तो फिर गाड़ी की बची हुई किस्त को चुकाने का बोझ आपके ऊपर आ जाएगा। आखिर में सबसे जरूरी बात ये है कि नई या पुरानी गाड़ी खरीदते में कोई जल्दबाजी न करें। गाड़ी की जांच-पड़ताल के बाद पूरी तरह कन्फर्म हो जाने के बाद ही पैसों का भुगतान करें।