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Aurangabad: इंटर में कॉमर्स के 5 टॉपर्स देने वाले कॉलेज का बुरा हाल, महज 3 फैकल्टीज के सहारे ही हो रही पढ़ाई

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, औरंगाबाद Published by: हिमांशु प्रियदर्शी Updated Wed, 22 Mar 2023 07:38 PM IST
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सार

औरंगाबाद के सच्चिदानंद सिन्हा कॉलेज ने बिहार इंटर कॉमर्स एग्जाम 2023 में पूरे पांच स्टेट टॉपर्स दिए हैं। वहीं, राज्य के कोचिंग संस्थान विद्यार्थियों की सफलता का पूरा श्रेय ले रहे हैं तो इसके लिए आश्चर्य करने की जरूरत नहीं है। दरअसल, कॉलेज में वाणिज्य विभाग का हाल बुरा है। यहां महज तीन फैकल्टीज के सहारे कॉमर्स की इंटर और स्नातक की पढ़ाई हो रही है।

Bad condition of Sachchidanand Sinha College of Aurangabad which gave five toppers of commerce in Inter
सच्चिदानंद सिन्हा कॉलेज, औरंगाबाद - फोटो : अमर उजाला
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बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने मंगलवार को इंटर के परिणाम घोषित किए हैं। घोषित नतीजों में औरंगाबाद जिले का जलवा दिखा है। कॉमर्स में औरंगाबाद की सौम्या शर्मा और रजनीश पाठक ने 475-475 यानी 95 प्रतिशत अंक लाकर पूरे बिहार में संयुक्त रूप से पहला स्थान हासिल किया। वहीं, तनुजा सिंह ने 474 अंक लाकर दूसरा स्थान, विधि कुमारी और सोनम कुमारी ने 468-468 अंक लाकर संयुक्त रूप से चौथा स्थान हासिल किया है। इसके साथ ही साइंस स्ट्रीम में दाउदनगर के शुभम चौरसिया ने 472 नंबर लाकर राज्य भर में दूसरा स्थान प्राप्त किया।

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इन विद्यार्थियों ने तो टॉप किया, लेकिन लाख टके का सवाल यह है कि क्या कॉलेज में टॉप कराने लायक टीचर्स हैं। जवाब न में है। अगर राज्य के कोचिंग संस्थान विद्यार्थियों की सफलता का पूरा श्रेय ले रहे हैं तो इसके लिए आश्चर्य करने की जरूरत नहीं है। दरअसल, जिस सच्चिदानंद सिन्हा कॉलेज ने बिहार इंटर कॉमर्स एग्जाम 2023 में पूरे पांच स्टेट टॉपर्स दिए, उसमें वाणिज्य विभाग का हाल बुरा है। यहां महज तीन फैकल्टीज के सहारे कॉमर्स की इंटर और स्नातक की पढ़ाई हो रही है। आश्चर्य की बात यह कि इंटर कॉमर्स में विद्यार्थी टॉप भी कर रहे हैं।
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कोचिंग संस्थानों की पढ़ाई से बने टॉपर्स
बिहार बोर्ड की परीक्षा के सभी टॉपर्स से हुई बातों का लब्बोलुआब यही है कि भले ही उनके टॉप करने से कॉलेज का नाम रोशन हो रहा हो, लेकिन उनके टॉपर बनने के पीछे उनकी कोचिंग की पढ़ाई है। इस बात को टॉपर्स ने खुलकर स्वीकार भी किया है और अपने कोचिंग वाले टीचर्स को सफलता का श्रेय भी दिया है। सभी टॉपर्स शहर के दो अलग-अलग कोचिंग संस्थानों के ही विद्यार्थी हैं। लिहाजा इन कोचिंग संस्थान के संचालक नपे-तुले शब्दों में क्रेडिट भी ले रहे हैं।

कोचिंग संचालक खुलेआम सच्चिदानंद सिन्हा कॉलेज के कॉमर्स विभाग में रिफॉर्म की वकालत कर रहे हैं। एक कोचिंग संचालक धीरज सिंह का कहना है कि सभी पांच इंटर कॉमर्स टॉपर्स शहर के सच्चिदानंद सिंहा कॉलेज के विद्यार्थी रहे हैं। इनमें चार ने उनके कोचिंग से इंटर कॉमर्स की पढ़ाई की है। इन टॉपर्स में ज्वाइंट स्टेट टॉपर-1 सौम्या शर्मा और रजनीश पाठक, स्टेट टॉपर-2 तनुजा सिंह, ज्वाइंट स्टेट टॉपर-4 विधि कुमारी और सोनम कुमारी शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि ये सभी स्टूडेंट्स मेहनती हैं। इन्होंने जमकर परिश्रम कर यह सफलता हासिल की है। उन्होंने और उनकी कोचिंग के अन्य टीचर्स ने भी इन्हें टॉपर लायक बनाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी है। स्टूडेंट्स के टॉप करने का क्रेडिट तो उन्हें छात्र ही दे रहे हैं। साथ ही टीचिंग के क्षेत्र में उनका कोचिंग एक ब्रांड के रूप में स्थापित हो रहा है।

एक अन्य कोचिंग के संचालक और टॉपर्स की फैक्ट्री यानी सिन्हा कॉलेज के कॉमर्स विभाग में ही फैकल्टी अनिल सिंह का कहना है कि कॉलेज के पांच स्टेट टॉपर्स में एक सोनम कुमारी उनके कोचिंग की छात्रा है। सोनम स्टेट टॉपर-4 है। इसके अलावा इंटर कॉमर्स के सभी जिला टॉपर्स भी उन्हीं के कोचिंग के स्टूडेंट्स है। स्ट्रडेंट्स की सफलता का श्रेय वे अकेले अपने कोचिंग को नहीं देते हैं बल्कि उनकी सफलता में कॉलेज के फैकल्टीज की भी मेहनत है।

वे यह बात इस वजह से नहीं कह रहे हैं क्योकि वे भी उस कॉलेज के एक फैकल्टी हैं बल्कि इस वजह से कह रहे हैं कि सीमित संसाधन में भी कम संख्या में रहे फैकल्टीज को उन्होंने बच्चों पर मेहनत करते करीब से देखा है। वे यह भी कहने से परहेज करते हैं कि कॉलेज और कोचिंग का बच्चों की सफलता में कितने-कितने प्रतिशत का योगदान है। वे कहते हैं कि कॉलेज और कोचिंग के परिश्रम को प्रतिशत में आंकना उचित नहीं होगा। हालाकि वे यह भी स्वीकार करते है कि कॉलेज में संसाधनों और रेगुलर टीचर्स का अभाव जरूर है।

प्रभारी प्राचार्य ने भी स्वीकार की कॉमर्स विभाग में टीचर्स की कमी
सच्चिदानंद सिन्हा कॉलेज के नाम पर जिन विद्यार्थियों ने टॉप किया है, वहां संसाधनों और टीचर्स का घोर अभाव है। कॉमर्स विभाग का अपना भवन नहीं है। रेगुलर टीचर्स नहीं हैं। मात्र फैकल्टीज से काम चलाया जा रहा है। इनमें एक अनिल सिंह खुद की कॉमर्स कोचिंग चलाते हैं और टॉपर्स में आधे उनके ही कोचिंग के विद्यार्थी हैं।

कॉलेज में कमियों को प्रभारी प्राचार्य अरविंद सिंह ने भी स्वीकार किया। उन्हें सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन से बेहतरी की उम्मीदें है। वे कॉलेज में कॉमर्स भवन के निर्माण को उपलब्धि भी बताते हैं। साथ ही टॉपर्स को मिली सफलता का क्रेडिट फिफ्टी-फिफ्टी के अनुपात में अपने कॉलेज और कोचिंग संस्थानों को देते हैं।

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