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Bihar News: सीतामढ़ी का कुख्यात अपराधी रंजन पाठक एनकाउंटर में ढेर, 25,000 रुपए का था इनाम

न्यूज डेस्क, अमर उजाला,सीतामढ़ी Published by: आशुतोष प्रताप सिंह Updated Thu, 23 Oct 2025 08:48 AM IST
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सार

दिल्ली के रोहिणी इलाके में 22-23 अक्टूबर की दरमियानी रात हुए एनकाउंटर में सीतामढ़ी के कुख्यात अपराधी रंजन पाठक, बिमलेश महतो, मनीष पाठक और दिल्ली के अमन ठाकुर मारे गए।

Sitamarhi's notorious criminal Ranjan Pathak killed in Delhi encounter, major success for Bihar Police
सीतामढ़ी का कुख्यात अपराधी रंजन पाठक एनकाउंटर में ढेर - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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दिल्ली के रोहिणी इलाके में 22 और 23 अक्टूबर की दरमियानी रात एक बड़ा एनकाउंटर हुआ, जिसमें सीतामढ़ी के कुख्यात अपराधी रंजन पाठक समेत चार बदमाश ढेर हो गए। यह मुठभेड़ दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच और बिहार पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में हुई। मारे गए अपराधियों में सीतामढ़ी के रंजन पाठक, बिमलेश महतो उर्फ बिमलेश साहनी, मनीष पाठक और दिल्ली के करावल नगर निवासी अमन ठाकुर शामिल थे।
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जानकारी के अनुसार, एनकाउंटर रात करीब 2:20 बजे बहादुर शाह मार्ग से लेकर पंसाली चौक तक चला। दोनों ओर से भारी गोलीबारी हुई। मुठभेड़ में घायल बदमाशों को तुरंत बीएसए अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। मृतक रंजन पाठक (25) सीतामढ़ी जिले के सुरसंड थाना क्षेत्र के मलाही गांव का रहने वाला था। वह पिछले कई महीनों से बिहार पुलिस के लिए सिरदर्द बना हुआ था। रंजन ने अपने गिरोह का नाम “सिग्मा एंड कंपनी” रखा था। उसके गिरोह ने सीतामढ़ी जिले में ब्रह्मर्षि सेना के जिलाध्यक्ष गणेश शर्मा, मदन कुशवाहा और आदित्य सिंह की हत्या सहित कई बड़ी वारदातों को अंजाम दिया था।
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पुलिस सूत्रों के मुताबिक, रंजन पाठक पर ₹25,000 का इनाम घोषित था और उसके खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज थे। हाल ही में बिहार पुलिस को उसका एक ऑडियो मिला था, जिसमें वह बिहार विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश में आतंक फैलाने की साजिश रच रहा था।
रंजन पाठक ने खुद को "भ्रष्ट पुलिस और अन्यायपूर्ण सिस्टम" के खिलाफ लड़ने वाला बताया था और कहा था कि उसने हथियार किसी जाति या धर्म के खिलाफ नहीं उठाए हैं।


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गौरतलब है कि रंजन ने एक बार खुद मीडिया को “बायोडाटा” भेजकर अपनी आपराधिक गतिविधियों की जानकारी दी थी। उसकी “सिग्मा एंड कंपनी” गैंग सीतामढ़ी में तेजी से सक्रिय हो गई थी और पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन चुकी थी। कई एनकाउंटर और छापेमारी के बाद आखिरकार दिल्ली में इस गिरोह का अंत हो गया। फिलहाल पुलिस इस गैंग से जुड़े अन्य फरार सदस्यों की तलाश में जुटी हुई है।

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