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Bihar News: बगहा की दर्दनाक घटना में न्याय, आरोपी को मिली उम्रकैद की सजा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला,पश्चिम चंपारण
Published by: आशुतोष प्रताप सिंह
Updated Thu, 27 Nov 2025 11:04 AM IST
सार
पश्चिम चंपारण के धनहा थाना क्षेत्र में बीते वर्ष हुई दर्दनाक हत्या मामले में विशेष एससी/एसटी अदालत, बेतिया ने आरोपी हरिद्वार चौधरी को आजीवन कारावास और 21 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई।
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(प्रतीकात्मक फोटो)
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
पश्चिम चंपारण जिले के बगहा पुलिस जिला अंतर्गत धनहा थाना क्षेत्र में बीते वर्ष हुई एक दर्दनाक वारदात में आखिरकार न्याय की जीत हुई है। विशेष एससी/एसटी अदालत, बेतिया ने बुधवार को आरोपी हरिद्वार चौधरी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने उस पर 21 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया। यह फैसला पीड़ित परिवार की लंबे समय से चली आ रही न्याय की प्रतीक्षा का अंत लेकर आया।
अदालत में यह साबित हो गया कि जिस पीड़ित की दर्दनाक मौत ने पूरे गांव को हिला दिया था, उसके साथ हुई क्रूरता पूर्व नियोजित थी। न्यायालय ने पाया कि आरोपी और उसके साथियों ने पीड़ित को घेरकर बेरहमी से पीटा, जिससे उसकी मौत हो गई। यह हमला किसी आवेश में नहीं, बल्कि सोची-समझी साजिश का हिस्सा था। इसके अलावा, पीड़ित को उसकी जाति के आधार पर अपमानित और धमकाया गया, जिससे उसकी तकलीफ और भय और बढ़ गया।
अदालत में यह भी स्पष्ट हुआ कि पूरी घटना एक संगठित समूह द्वारा अंजाम दी गई थी और इसमें हरिद्वार चौधरी की केंद्रीय भूमिका साबित हुई। यह मामला न केवल अपराध की क्रूरता को दर्शाता है, बल्कि उस सामाजिक पीड़ा को भी उजागर करता है जिससे पीड़ित परिवार महीनों तक गुजरता रहा। जांच के दौरान कई कठिन परिस्थितियाँ सामने आईं। कई बार गवाह पीछे हटने लगे, परिवार हताश था, लेकिन बगहा पुलिस ने हार नहीं मानी। पुलिस ने हर साक्ष्य को सावधानी से जुटाया, हर बयान को मजबूती से दर्ज किया और अदालत में पूरे दम के साथ प्रस्तुत किया। पुलिस की यही दृढ़ता इस फैसले तक पहुंचने में निर्णायक रही।
ये भी पढ़ें: Barmer News: मतदाता सूची के साथ हो रहा रिश्तों का शुद्धिकरण, फिर खुल रहे जंग लगे ताले, बरसों बाद घर लौटे लोग
विशेष लोक अभियोजक विजय बहादुर सिंह ने एक-एक साक्ष्य को अदालत में इस तरह रखा कि पूरी घटना की सच्चाई साफ हो गई। उनकी प्रभावशाली दलीलों ने अदालत को यह मानने पर मजबूर किया कि पीड़ित को न्याय मिलना ही चाहिए। फैसले के बाद पीड़ित परिवार की आंखें नम थीं, लेकिन चेहरे पर संतोष था। वर्षों के संघर्ष के बाद उन्हें लगा कि अब उनके प्रिय की आत्मा को शांति मिलेगी। पुलिस ने कहा कि यह फैसला समाज को यह संदेश देता है कि अत्याचार कितना भी गहरा क्यों न हो, कानून उससे कहीं अधिक मजबूत है।
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अदालत में यह साबित हो गया कि जिस पीड़ित की दर्दनाक मौत ने पूरे गांव को हिला दिया था, उसके साथ हुई क्रूरता पूर्व नियोजित थी। न्यायालय ने पाया कि आरोपी और उसके साथियों ने पीड़ित को घेरकर बेरहमी से पीटा, जिससे उसकी मौत हो गई। यह हमला किसी आवेश में नहीं, बल्कि सोची-समझी साजिश का हिस्सा था। इसके अलावा, पीड़ित को उसकी जाति के आधार पर अपमानित और धमकाया गया, जिससे उसकी तकलीफ और भय और बढ़ गया।
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अदालत में यह भी स्पष्ट हुआ कि पूरी घटना एक संगठित समूह द्वारा अंजाम दी गई थी और इसमें हरिद्वार चौधरी की केंद्रीय भूमिका साबित हुई। यह मामला न केवल अपराध की क्रूरता को दर्शाता है, बल्कि उस सामाजिक पीड़ा को भी उजागर करता है जिससे पीड़ित परिवार महीनों तक गुजरता रहा। जांच के दौरान कई कठिन परिस्थितियाँ सामने आईं। कई बार गवाह पीछे हटने लगे, परिवार हताश था, लेकिन बगहा पुलिस ने हार नहीं मानी। पुलिस ने हर साक्ष्य को सावधानी से जुटाया, हर बयान को मजबूती से दर्ज किया और अदालत में पूरे दम के साथ प्रस्तुत किया। पुलिस की यही दृढ़ता इस फैसले तक पहुंचने में निर्णायक रही।
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विशेष लोक अभियोजक विजय बहादुर सिंह ने एक-एक साक्ष्य को अदालत में इस तरह रखा कि पूरी घटना की सच्चाई साफ हो गई। उनकी प्रभावशाली दलीलों ने अदालत को यह मानने पर मजबूर किया कि पीड़ित को न्याय मिलना ही चाहिए। फैसले के बाद पीड़ित परिवार की आंखें नम थीं, लेकिन चेहरे पर संतोष था। वर्षों के संघर्ष के बाद उन्हें लगा कि अब उनके प्रिय की आत्मा को शांति मिलेगी। पुलिस ने कहा कि यह फैसला समाज को यह संदेश देता है कि अत्याचार कितना भी गहरा क्यों न हो, कानून उससे कहीं अधिक मजबूत है।