Bihar Election 2025: सीट बंटवारे को लेकर सीपीआई और सीपीआई (एम) ने महागठबंधन पर दबाव बढ़ाया, मांगीं 35 सीटें
Bihar Election 2025: सीपीआई (एम) के राज्य सचिव ललन चौधरी ने चेताया कि सीट बंटवारे में किसी भी तरह की और देरी राज्य और महागठबंधन दोनों के लिए खतरनाक होगी। उन्होंने कहा कि हम विश्वसनीय जमीनी कैडर, मजबूत संगठनात्मक क्षमता और वैचारिक रूप से प्रतिबद्ध कार्यकर्ताओं वाली पार्टियां हैं। पढ़ें पूरी खबर
विस्तार
आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में सीपीआई और सीपीआई (एम) ने महागठबंधन के तहत कुल 35 सीटों की मांग की है और विपक्षी गठबंधन से सीट बंटवारे पर जल्द फैसला करने का आग्रह किया है। दोनों वाम दलों ने साथ में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को जल्द से जल्द मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने की भी मांग उठाई है।
सीपीआई ने 24 तो सीपीआई(एम) ने 11 सीटें मांगीं
सीपीआई ने 24 सीटों की मांग की है, जबकि सीपीआई(एम) ने 11 सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है। आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन में कांग्रेस, सीपीआई(एमएल) (लिबरेशन) सहित अन्य दल भी शामिल हैं। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए सीपीआई के राज्य सचिव राम नरेश पांडेय ने कहा कि महागठबंधन की बड़ी पार्टियों को सीपीआई और सीपीआई(एम) के पक्ष में कुछ सीटों का त्याग करना होगा।
उन्होंने यह भी बताया कि सीपीआई और सीपीआई(एम) सभी जिलों में संयुक्त सम्मेलन आयोजित करेंगे ताकि उनके कार्यकर्ता चुनाव आयोग द्वारा जारी अंतिम मतदाता सूची में हुई कटौतियों की प्रामाणिकता की जांच कर सकें। सीपीआई(एम) के राज्य सचिव ललन चौधरी ने चेताया कि सीट बंटवारे में किसी भी तरह की और देरी राज्य और महागठबंधन दोनों के लिए खतरनाक होगी। उन्होंने कहा कि हम विश्वसनीय जमीनी कैडर, मजबूत संगठनात्मक क्षमता और वैचारिक रूप से प्रतिबद्ध कार्यकर्ताओं वाली पार्टियां हैं। पिछले पांच वर्षों में हमने एनडीए सरकार को सत्ता से हटाने के लिए लगातार जमीन पर काम किया है। अगर हमें अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका दिया जाए, तो महागठबंधन को इसका लाभ मिलेगा।
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आगे क्या कहा
चौधरी ने बताया कि 2020 के विधानसभा चुनाव में दोनों दलों का स्ट्राइक रेट प्रभावशाली रहा था। सीपीआई ने जिन 6 सीटों पर चुनाव लड़ा, उनमें से 2 पर जीत दर्ज की थी। वहीं सीपीआई(एम) ने 4 में से 2 सीटें जीती थीं। जिन सीटों पर जीत नहीं मिली, वहां भी हार का अंतर बहुत कम था। दोनों नेताओं ने बताया कि उन्होंने पहले ही सीट बंटवारे पर विचार के लिए समन्वय समिति की बैठक बुलाने का आग्रह किया है। हालांकि, अब तक हमारी मांग पर विचार नहीं किया गया है। हमें सिर्फ महागठबंधन की बड़ी पार्टियों से मौखिक आश्वासन ही मिला है। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टियां गरीब और हाशिए पर रहने वाले वर्गों के आर्थिक सहयोग पर निर्भर रहती हैं। इसलिए हमें जनता तक पहुंचने और उनका समर्थन मजबूत करने के लिए पर्याप्त समय चाहिए।
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