Bihar Election 2025 : इस नई मांग के बाद तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाला गठबंधन टिकेगा? सीट और पद के लिए मची रार
Bihar Election Update : बिहार विधानसभा चुनाव के लिए विपक्षी गठबंधन में सीटों का बंटवारा मुसीबत बनता जा रहा। सीट और कुर्सी की रार ऐसी मची है कि गठबंधन की मजबूती पर ही सवाल उठने लगा है।
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इंडिया गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर खींचतान जारी है। कांग्रेस के 70, वीआईपी के 50 सीटों के डिमांड के बाद अब वामदल ने अपनी तीनों पार्टियों को मिलाकर 75 सीटों की डिमांड कर दी है। पिछले विधानसभा चुनाव (2020) में 29 सीटों पर चुनाव लड़कर सबसे बेहतर स्ट्राइक रेट लाने वाले वाम दल ने सीटों की सूची तेजस्वी यादव को सौंप भी दी है। सूत्रों की मानें तो भाकपा माले 40, सीपीआई 24, सीपीआई (एम) 11 सीटों के साथ इस बार चुनावी मैदान में उतरना चाह रही है। इंडिया गठबंधन में सीट बंटवारे के मुद्दे पर क्या चल रहा? किस पार्टी का क्या कहना है? एक्सपर्ट का क्या मानना है? आइए जानते हैं...
जानिए, वामदल वालों का क्या कहना है
भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने स्पष्ट कहा कि हमलोगों का प्रदर्शन पिछली बार काफी अच्छा रहा था। पहली प्राथमिकता अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की है। गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर बातचीत चल रही है। इसके बाद सारी बातें साफ हो पाएगा। फिलहाल हमलोग 40 सीटों की तैयारी कर रहे हैं। वहीं सीपीआई की ओर से कहा गया है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में महज छह सीटें हमलोगों को मिली थी। यह सम्मानजनक नहीं था। बिहार के सभी जिलों में हमारा संगठन है। इसलिए इस बार हमलोग 24 सीटों की मांग कर रहे। वहीं पिछले चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) छह सीटों पर चुनाड़ लड़ी थी। इसमें से दो सीटों पर जीत मिली थी। भाकपा माले ने 19 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। इसमें से 12 सीटों पर जीत मिली थी। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी चार सीटों पर चुनाव लड़ी थी। इसमें दो सीटों पर जीत मिली थी।
कांग्रेस का तेवर इस बार अलग
इधर, कांग्रेस 70 विधानसभा सीटों की मांग पर अड़ा है। कांग्रेस की प्रदेश चुनाव समिति ने तो 70 सीटों पर उम्मीदवारों की लिस्ट केंद्रीय चुनाव समिति को सौंप दी है। हालांकि कांग्रेस के तेवर इस बार अलग हैं। बिहार कांग्रेस के प्रभारी कृष्णा अल्लावरू पहले ही कह चुके हैं कि सीटों के बंटवारे में अच्छी और बुरी सीटों के बीच का संतुलन होना ही चाहिए। ऐसा नहीं हो कि कांग्रेस के खाते में केवल वही सीट आए जो सामाजिक समीकरण के हिसाब से इंडिया गठबंधन के पक्ष में नहीं जाता हो। वहीं 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। इसमें से 19 पर ही जीत मिली थी।
मुकेश सहनी मांग रहे हैं डिप्टी सीएम का पद
विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी खुद को चुनाव में जीत पर डिप्टी सीएम के रूप में देखना चाहते हैं। उन्होंने कम से कम 50 सीट और डिप्टी सीएम का पद मांगा है। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि मुकेश सहनी को 15 से 20 सीटें मिल सकती हैं। हालांकि, इस पर भी इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों को आपत्ति होगी। क्योंकि वीआईपी ने 11 सीटों पर चुनाव लड़ा था और सिर्फ चार सीट पर ही जीत मिली थी।
'वामदल की मांग जायज पर कांग्रेस-वीआईपी की नहीं'
वरिष्ठ पत्रकार लव कुमार मिश्रा का कहना है कि वामदल का प्रदर्शन पिछले चुनाव में सबसे अधिक रहा था। इसलिए इस बार उनकी मांग जायज है। संभावना है कि वामदल को इस बार 2020 के विधानसभा चुनाव से (29) से ज्यादा सीटों मिल जाएग। कांग्रेस का पिछली बार प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था। 2020 में 70 सीटों पर चुनाव लड़ने बाद उनके खाते में महज 19 सीटें ही आई थी। इसलिए संभावना है कि 50 से ज्यादा सीट कांग्रेस को नहीं मिले। वहीं मुकेश सहनी की पार्टी कई जिलों में अभी खड़ी भी नहीं हो पाई है। इसलिए 50 सीटों की मांग जायज नहीं है। डिप्टी सीएम का पद तेजस्वी उन्हें नहीं देंगे। क्योंकि, हर लिहाज से बिहार में कांग्रेस और माले वीआईपी से बड़ी पार्टी है। अब देखना होगा कि बिहार में आठ दलों के गठबंधन वाले इंडिया के समन्वय समिति के अध्यक्ष तेजस्वी यादव किस पार्टी के खाते में कितनी सीटें देते हैं। अपने दल के नेताओं के साथ सहयोगी दलों को खुश रखना उनके लिए बड़ी चुनौती बन गई है।