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Lalu Yadav Family : रोहिणी आचार्य खुलकर उतरीं मैदान में; तस्वीर-वीडियो से तेजस्वी यादव को दिखाया आइना?

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना Published by: आदित्य आनंद Updated Fri, 19 Sep 2025 05:03 PM IST
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सार

Bihar News : तेज प्रताप यादव तब अकेले पड़ गए थे। पार्टी-परिवार से बाहर करने का आदेश लालू प्रसाद यादव का था। लेकिन, अपने सबसे खास संजय यादव के कारण ऐसा लगता है कि तेजस्वी यादव अब रोहिणी आचार्य के निशाने पर हैं।

lalu yadav family political crisis over rajya sabha mp sanjay yadav tejashwi yadav relationship
लालू यादव के साथ उनकी बेटी रोहिणी आचार्य। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के परिवार में कुछ तो बड़ा हंगामेदार चल रहा है। सवाल उठ रहा है कि क्या बिहार विधानसभा चुनाव इसके पीछे की बड़ी वजह है? लोकसभा चुनाव हारकर गईं रोहिणी आचार्य कुछ असहज हैं। गुरुवार को उन्होंने दूसरे के सोशल मीडिया पोस्ट को शेयर करते हुए तेजस्वी यादव के साये बने राज्यसभा सांसद संजय यादव को निशाने पर लिया था। आज, शुक्रवार को रोहिणी ने अपने पिता लालू प्रसाद यादव को जीवनदान देने वाला फोटो-वीडियो शेयर करते हुए लिखा है- "जो जान हथेली पर रखते हुए बड़ी से बड़ी कुर्बानी देने का जज्बा रखते हैं, बेखौफी-बेबाकी-खुद्दारी तो उनके लहू में बहती है.."

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अब रोहिणी की यह तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। रोहिणी के समर्थकों ने लिखा कि बिहार एक बेटी की यह कुर्बानी कभी नहीं भूलेगा। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के लिए आपने जो किया उसे भूला नहीं जा सकता। दूसरे समर्थक ने लिखा कि अपनी किडनी अपने पिता को देकर आपने उन्हें जीवनदान दिया।
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तेज प्रताप के बाद रोहिणी के निशाने पर तेजस्वी के 'विश्वासी'; संजय यादव के लिए क्या लिखा!

जानिए, रोहिणी ने किस पर साधा था निशाना

बता दें कि पिछले दो दिनों से रोहिणी आचार्य फिर से सुर्खियों में हैं। कारण है उनका सोशल मीडिया पोस्ट। उन्होंने एक दिन पहले 18 सितंबर को सोशल मीडिया पर अपनी भड़ास निकाली थी। उन्होंने अपने भाई तेजस्वी यादव के करीबी सांसद संजय यादव को निशाना साधते हुए लिखा था कि लालू-तेजस्वी की जगह लेने की कोशिश करने वालों को देखना पसंद नहीं करती हैं। रोहिणी आचार्य ने जो शेयर किया है, उसमें लिखा है कि- "फ्रंट सीट सदैव शीर्ष के नेता - नेतृत्वकर्त्ता के लिए चिन्हित होती है और उनकी अनुपस्थिति में भी किसी को उस सीट पर नहीं बैठना चाहिए .. वैसे अगर "कोई" अपने आप को शीर्ष नेतृत्व से भी ऊपर समझ रहा है, तो अलग बात है।


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