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Bihar: विधायक प्रकाशवीर को बड़ा झटका, कोर्ट ने छह महीने की सजा बरकरार रखी, सात दिन में आत्मसमर्पण का आदेश
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नवादा
Published by: आशुतोष प्रताप सिंह
Updated Thu, 16 Oct 2025 12:12 PM IST
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सार
नवादा जिले के रजौली विधानसभा से विधायक प्रकाशवीर को तृतीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने छह महीने की साधारण कारावास और 1,000 रुपये जुर्माने की सजा बरकरार रखी है।

रजौली विधानसभा से विधायक प्रकाशवीर
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
नवादा जिले के रजौली विधानसभा क्षेत्र से वर्तमान विधायक प्रकाशवीर को बड़ा झटका देते हुए तृतीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह एमपी-एमएलए स्पेशल सेशन कोर्ट के न्यायाधीश सुभाषचंद्र शर्मा ने उनकी सजा को बरकरार रखा है। न्यायालय ने 29 जुलाई 2022 को निचली अदालत द्वारा सुनाई गई छह माह की साधारण कारावास और एक हजार रुपये के अर्थदंड की सजा को सही ठहराया है।
अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि प्रकाशवीर सात दिनों के भीतर एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट सह प्रथम अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में आत्मसमर्पण करें। यह फैसला क्रिमिनल अपील संख्या 16/22 पर सुनाया गया है, जिसमें विधायक ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी।
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यह मामला रजौली थाना कांड संख्या 111/2005 से संबंधित है, जिसमें आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप है। अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक अजीत कुमार ने पक्ष रखा था। 29 जुलाई 2022 को एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने इस मामले में विधायक को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई थी।
कोर्ट के इस फैसले के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। चुनावी माहौल के बीच इस निर्णय से विधायक प्रकाशवीर की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। आने वाले दिनों में इसका असर उनके राजनीतिक भविष्य पर भी पड़ सकता है। अब सबकी नजर इस बात पर टिकी है कि विधायक सात दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करते हैं या इसके खिलाफ ऊपरी अदालत का दरवाजा खटखटाते हैं। फिलहाल यह फैसला उनके लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।

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अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि प्रकाशवीर सात दिनों के भीतर एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट सह प्रथम अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में आत्मसमर्पण करें। यह फैसला क्रिमिनल अपील संख्या 16/22 पर सुनाया गया है, जिसमें विधायक ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी।
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कोर्ट के इस फैसले के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। चुनावी माहौल के बीच इस निर्णय से विधायक प्रकाशवीर की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। आने वाले दिनों में इसका असर उनके राजनीतिक भविष्य पर भी पड़ सकता है। अब सबकी नजर इस बात पर टिकी है कि विधायक सात दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करते हैं या इसके खिलाफ ऊपरी अदालत का दरवाजा खटखटाते हैं। फिलहाल यह फैसला उनके लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।