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Bihar: अररिया रजिस्ट्री ऑफिस में जमीन रिकॉर्ड घोटाले का खुलासा, भूमि माफिया–कर्मचारियों की मिलीभगत उजागर
न्यूज डेस्क, अमर उजाला,अररिया
Published by: पूर्णिया ब्यूरो
Updated Sun, 21 Dec 2025 08:53 PM IST
सार
अररिया जिले के रजिस्ट्री कार्यालय में सरकारी जमीन रिकॉर्ड के साथ बड़े पैमाने पर छेड़छाड़ का गंभीर मामला सामने आया है। प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ है कि भूमि माफिया और कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से वर्षों से जमीन से जुड़े अभिलेखों में हेराफेरी की जा रही थी।
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अररिया रजिस्ट्री कार्यालय
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
अररिया जिले के रजिस्ट्री कार्यालय में सरकारी अभिलेखों के साथ बड़े पैमाने पर छेड़छाड़ का गंभीर मामला सामने आया है। इस खुलासे के बाद प्रशासनिक व्यवस्था पर कई सवाल खड़े हो गए हैं। प्रारंभिक जांच में संकेत मिले हैं कि भूमि माफिया और कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से वर्षों से जमीन से जुड़े रिकॉर्ड में हेराफेरी की जा रही थी।
जांच में सामने आया है कि फर्जीवाड़े का केंद्र रजिस्ट्री कार्यालय का रिकॉर्ड रूम रहा है, जहां रखे मूल दस्तावेजों को निशाना बनाया गया। आरोप है कि संबंधित अभिलेखों के पन्ने फाड़ दिए गए या गायब कर दिए गए और उनकी जगह फर्जी दस्तावेज तैयार कर रजिस्टर में चिपका दिए गए। इन्हीं कागजातों के आधार पर जमीन की रजिस्ट्री कराई जाती रही।
रिकॉर्ड रूम की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी गंभीर सवाल उठने लगे हैं। जांच के दौरान यह पाया गया कि रिकॉर्ड रूम में प्रवेश के लिए कोई सख्त नियंत्रण प्रणाली नहीं थी। कार्यालय परिसर में बाहरी लोगों की आवाजाही सामान्य थी, जिससे असामाजिक तत्वों को अभिलेखों तक आसानी से पहुंच मिलती रही। जांच एजेंसियों का मानना है कि यही लापरवाही इस पूरे फर्जीवाड़े की बड़ी वजह बनी।
जांच से जुड़े सूत्रों के अनुसार यह काम किसी एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि एक संगठित गिरोह का हो सकता है। बताया जा रहा है कि भूमि माफिया कार्यालय के आसपास सक्रिय रहते थे और आवश्यकता पड़ने पर कर्मचारियों की मदद से दस्तावेजों में बदलाव कराए जाते थे। इससे यह आशंका और गहरी हो गई है कि पूरा मामला सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया।
प्रारंभिक जांच में यह भी आशंका जताई जा रही है कि यह गोरखधंधा केवल अररिया जिले तक सीमित नहीं है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार अन्य जिलों से भी रिकॉर्ड में गड़बड़ी की शिकायतें सामने आती रही हैं, जिससे राज्यव्यापी नेटवर्क होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। आशंका जताई जा रही है कि यह खेल पूरे बिहार में फैला हो सकता है।
हालांकि, प्राथमिकी दर्ज होने के बावजूद अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। पुलिस का कहना है कि जांच साक्ष्यों के आधार पर आगे बढ़ाई जा रही है। वहीं, स्थानीय लोगों का आरोप है कि कार्रवाई में हो रही देरी से दोषियों को सबूत मिटाने का मौका मिल सकता है। अररिया रजिस्ट्री कार्यालय से जुड़ा यह मामला केवल एक दफ्तर तक सीमित नहीं दिखता, बल्कि यह भूमि प्रबंधन व्यवस्था की गंभीर खामियों को उजागर करता है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि जांच निष्पक्ष और गहराई से होती है या फिर यह मामला भी पूर्व के कई मामलों की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा।
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जांच में सामने आया है कि फर्जीवाड़े का केंद्र रजिस्ट्री कार्यालय का रिकॉर्ड रूम रहा है, जहां रखे मूल दस्तावेजों को निशाना बनाया गया। आरोप है कि संबंधित अभिलेखों के पन्ने फाड़ दिए गए या गायब कर दिए गए और उनकी जगह फर्जी दस्तावेज तैयार कर रजिस्टर में चिपका दिए गए। इन्हीं कागजातों के आधार पर जमीन की रजिस्ट्री कराई जाती रही।
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रिकॉर्ड रूम की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी गंभीर सवाल उठने लगे हैं। जांच के दौरान यह पाया गया कि रिकॉर्ड रूम में प्रवेश के लिए कोई सख्त नियंत्रण प्रणाली नहीं थी। कार्यालय परिसर में बाहरी लोगों की आवाजाही सामान्य थी, जिससे असामाजिक तत्वों को अभिलेखों तक आसानी से पहुंच मिलती रही। जांच एजेंसियों का मानना है कि यही लापरवाही इस पूरे फर्जीवाड़े की बड़ी वजह बनी।
जांच से जुड़े सूत्रों के अनुसार यह काम किसी एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि एक संगठित गिरोह का हो सकता है। बताया जा रहा है कि भूमि माफिया कार्यालय के आसपास सक्रिय रहते थे और आवश्यकता पड़ने पर कर्मचारियों की मदद से दस्तावेजों में बदलाव कराए जाते थे। इससे यह आशंका और गहरी हो गई है कि पूरा मामला सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया।
यह खबर भी पढ़ें-Bihar News: पटना के 10 प्रखंडों को छोड़ सभी PHC के चिकित्सा पदाधिकारियों के वेतन पर रोक, जानिए पूरा मामला
इस मामले में जिला अवर निबंधक कार्यालय की ओर से नगर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है, जिसमें दो कर्मचारियों सहित कुल दस लोगों को नामजद किया गया है। जांच एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि किन-किन मामलों में रिकॉर्ड से छेड़छाड़ की गई और इसके जरिए कितनी जमीन की अवैध रजिस्ट्री कराई गई।
प्रारंभिक जांच में यह भी आशंका जताई जा रही है कि यह गोरखधंधा केवल अररिया जिले तक सीमित नहीं है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार अन्य जिलों से भी रिकॉर्ड में गड़बड़ी की शिकायतें सामने आती रही हैं, जिससे राज्यव्यापी नेटवर्क होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। आशंका जताई जा रही है कि यह खेल पूरे बिहार में फैला हो सकता है।
हालांकि, प्राथमिकी दर्ज होने के बावजूद अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। पुलिस का कहना है कि जांच साक्ष्यों के आधार पर आगे बढ़ाई जा रही है। वहीं, स्थानीय लोगों का आरोप है कि कार्रवाई में हो रही देरी से दोषियों को सबूत मिटाने का मौका मिल सकता है। अररिया रजिस्ट्री कार्यालय से जुड़ा यह मामला केवल एक दफ्तर तक सीमित नहीं दिखता, बल्कि यह भूमि प्रबंधन व्यवस्था की गंभीर खामियों को उजागर करता है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि जांच निष्पक्ष और गहराई से होती है या फिर यह मामला भी पूर्व के कई मामलों की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा।