Satta Ka Sangram: कल पूर्णिया पहुंचेगा चुनावी रथ, दो दो सीटों पर BJP-JDU और AIMIM का कब्जा; एक कांग्रेस के नाम
Bihar Vidhan Sabha Chunav 2025: बिहार में आगामी 6 और 11 नवंबर को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होना है। प्रदेश के चुनावी माहौल का जायजा लेने और राजनीतिक दलों के नेताओं से उनके वोट मांगने के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए अमर उजाला का चुनावी रथ 'सत्ता का संग्राम' शुक्रवार को पूर्णिया पहुंचेगा। यहां जनता के मुद्दे जानने के बाद नेताओं के जवाब को तोला जाएगा।
विस्तार
कल 31 अक्तूबर 2025 दिन शुक्रवार की सुबह आठ बजे ‘चाय पर चर्चा’ आपके शहर पूर्णिया में होगी। अमर उजाला पर कार्यक्रम लाइव टेलीकास्ट होंगे। उसके बाद दोपहर 12 बजे युवाओं से चर्चा की जाएगी। फिर शाम 4 बजे से कार्यक्रम में सभी पार्टी के नेता/प्रत्याशियों, उनके प्रतिनिधि/समर्थकों और आम लोगों से सवाल-जवाब किए जाएंगे। ऐसे में आइये जानते हैं पूर्णिया का इतिहास।
पूर्णिया की राजनीति
पूर्णिया जिला बिहार के सीमांचल क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह इलाका भौगोलिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से अत्यंत विशिष्ट है। नेपाल, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश की निकटता के कारण यहां की सामाजिक बनावट विविधतापूर्ण रही है, जिसका असर स्थानीय राजनीति पर भी स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
पूर्णिया की राजनीति की एक अनूठी विशेषता यह है कि यहां वंशवादी राजनीति का प्रभाव अपेक्षाकृत कम रहा है। हालांकि कई नेता लगातार लंबे समय तक विधायक रहे हैं, जैसे कमल देव नारायण सिन्हा और राजकिशोर केशरी, लेकिन उनकी अगली पीढ़ी ने राजनीति में सक्रिय भूमिका नहीं निभाई। कई विधानसभा क्षेत्रों में एक ही नेता द्वारा लगातार जीत दर्ज करने की परंपरा रही है। उदाहरण के तौर पर, धमदाहा से पूर्व मंत्री लेसी सिंह चार बार विधायक रह चुकी हैं, बनमनखी से कृष्ण कुमार ऋषि ने भी चार बार जीत दर्ज की है, जबकि रूपौली से बीमा भारती ने भी कई बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया है।
पूर्णिया विधानसभा सीट का एक दुखद राजनीतिक इतिहास भी रहा है। यहां राजनीतिक हिंसा ने समय-समय पर बड़ी भूमिका निभाई है। 1980 से 1995 तक सीपीएम के दबंग विधायक रहे अजीत सरकार की 1998 में हत्या कर दी गई थी। इसके अलावा बीजेपी विधायक राजकिशोर केशरी की 2011 में हत्या ने भी इस क्षेत्र की राजनीति को गहराई से प्रभावित किया। इन घटनाओं ने पूर्णिया की सियासत में अविश्वास और संघर्ष की एक स्थायी छाया छोड़ दी है।
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सदर सीट पर बीजेपी का कब्जा
पूर्णिया की राजनीति मुख्यत जातिगत समीकरणों, मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण और कोसी–सीमांचल क्षेत्र के क्षेत्रीय मुद्दों के इर्द-गिर्द घूमती है। पूर्णिया सदर विधानसभा सीट पर लंबे समय से बीजेपी का कब्जा रहा है, जो यहां उसकी मजबूत जमीनी पकड़ को दर्शाता है। वर्तमान में विजय कुमार खेमका लगातार दूसरी बार यहां से विधायक हैं। जेडीयू की भी इस क्षेत्र में मजबूत पकड़ रही है, विशेषकर एनडीए गठबंधन की राजनीति में। जेडीयू के संतोष कुमार कुशवाहा पूर्णिया लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, वहीं लेसी सिंह (धमदाहा) पार्टी का प्रमुख चेहरा बनी हुई हैं।

महागठबंधन के घटक दल यहां प्रमुख विपक्षी भूमिका निभाते रहे हैं। हाल ही में राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की पूर्णिया लोकसभा सीट से जीत ने कांग्रेस और महागठबंधन के प्रभाव को कुछ हद तक पुनर्जीवित किया है। पप्पू यादव पूर्णिया की राजनीति में एक कद्दावर और चर्चित चेहरा हैं, जिन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल कर अपने व्यक्तिगत प्रभाव का परिचय दिया है।
सीमांचल के मुस्लिम बहुल इलाकों जैसे अमौर और बायसी में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने कुछ सीटें जीतकर एक नया राजनीतिक समीकरण बनाया है। इससे पारंपरिक दलों की चुनावी गणित में महत्वपूर्ण बदलाव आया है। वहीं, सीपीआई (एम) जैसी वामपंथी पार्टियों का अतीत में अच्छा प्रभाव रहा है, खासकर अजीत सरकार के दौर में, लेकिन अब उनका प्रभाव काफी घट चुका है।
क्या है यहां के मुद्दे
पूर्णिया की प्रमुख समस्याओं में से एक है परमान जैसी नदियों के कारण हर साल आने वाली बाढ़ और मिट्टी का कटाव। जूट और केले की खेती के बावजूद यहां औद्योगिक विकास न के बराबर है, जिसके चलते युवाओं का बड़े पैमाने पर पलायन होता है। यही मुद्दा अक्सर चुनावों में प्रमुख रूप से उभरता है। साथ ही, भूमिहीन और वंचित समुदायों के सवाल यहां की राजनीति से गहराई से जुड़े हुए हैं।
2020 के नतीजे
| विधानसभा | जीते हुए प्रत्याशी | पार्टी |
|---|---|---|
| आमौर | अख्तरुल ईमान | एआईएमआईएम |
| बायसी | सैयद रुकुनउद्दीन अहमद | एआईएमआईएम |
| कसबा | मो. आफाक आलम | कांग्रेस |
| बनमनखी | कृष्णा कुमार ऋषि | भाजपा |
| रुपौली | बीमा भारती | जदयू |
| धमदहा | लेसी सिंह | जदयू |
| पूर्णिया | विजय कुमार खेमका | भाजपा |
कहां-कहां होगा कार्यक्रम
सुबह आठ बजे: पंचमुखी मंदिर परिसर (केहाट थाना क्षेत्र)
दोपहर 12 बजे- कल्याण छात्रावास परिसर, (प्रभात कॉलोनी)
शाम 4 बजे- प्राथमिक अस्पताल परिसर, (रुपौली)
विशेष कवरेज को आप यहां देख सकेंगे
amarujala.com, अमर उजाला के यूट्यूब चैनल और फेसबुक चैनल पर आप 'सत्ता का संग्राम' से जुड़े कार्यक्रम लाइव देख सकेंगे। 'सता का संग्राम' से जुड़ा व्यापक जमीनी कवरेज आप अमर उजाला अखबार में भी पढ़ सकेंगे।