Lalu Yadav Family : लालू यादव के परिवार में कोहराम के तीन कारण; तेजस्वी यादव की ताजपोशी खुद हो गई!
Bihar Election Result : बिहार विधानसभा चुनाव का परिणाम आया तो लालू यादव की पार्टी- राजद 25 सीटों पर सिमट गई। तेजस्वी यादव ने लिखवाया था कि 18 को वह शपथ लेंगे। राजभवन में तो नहीं, लेकिन हंगामे के बीच लालू परिवार में उनकी ताजपोशी खुद हो गई।
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बिहार विधानसभा चुनाव का परिणाम आने से एक दिन पहले राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव ने मीडिया से कहा था- "लिख लो, 18 को मैं शपथ लूंगा।" वह तारीख खूब उछली थी। इतनी कि कुछ लोग 18 नवंबर की तैयारी में भी जुट गए थे। लेकिन, एग्जिट पोल के समय एकजुट दिखाया जा रहा परिवार बिहार चुनाव का परिणाम आने के अगले दिन ही टूटा-बिखरा नजर आया। किसी की पुष्टि के बगैर ही परिवार की कई कहानियां चल रहीं, जो रोहिणी आचार्य की बातों से मेल खा रही। लेकिन, एक बात यह साफ हो गई है कि चुनाव परिणाम के बाद बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में तेजस्वी यादव की ताजपोशी भले न हो पायी, परिवार में हंगामे के कारण घर के अंदर वह खुद 'मुखिया' भी बन गए और नौ भाई-बहनों के बीच अकेले 'शेष' रह गए। वजह सिर्फ इस चुनाव परिणाम को देख रहे, तो गलत है। कई 'रसायनों का प्रयोग' चल रहा था, बस विस्फोट का संयोग यह चुनाव परिणाम बना।
पारिवारिक विस्फोट की वजह 1. राजनीतिक वर्चस्व
लालू प्रसाद यादव रिटायर हो चुके हैं, यह उन्होंने अपने दूसरे बेटे तेजस्वी यादव को समकक्ष की शक्ति देते हुए बता दिया था। वह राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष तो फिर से बन गए, लेकिन अब उनकी चल नहीं रही है। अगर चलती तो उनकी बेटियां इस तरह रोती-बिलखती बाहर नहीं निकलतीं। लालू परिवार के अंदर राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई उसी दिन शुरू हो गई थी, जब बड़े बेटे तेज प्रताप यादव पहली महागठबंधन सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बने और छोटे बेटे तेजस्वी यादव उप-मुख्यमंत्री। तेज प्रताप ने इस बात को हंसते-खेलते निकालने की कोशिश की। लेकिन, पहले उन्हें 'अस्थिर' घोषित करने की कोशिश की गई और अंतत: 'आवारा' का टैग लगा बाहर कर दिया गया।
दो ही लड़के हैं और उनमें बड़े तेज प्रताप यादव जब पार्टी के साथ परिवार से निकाल बाहर किए गए तो वह लड़ाई ऐसे ही खत्म हो गई। अब बात बहनों की। सबसे बड़ी मीसा भारती राज्यसभा सांसद थीं। कार्यकाल खत्म होते-होते राजद में तेजस्वी-राज तय था। यह हर कोई समझ रहा था। तभी तो राज्यसभा सांसद रहते उनके पाटलिपुत्र लोकसभा से दोबारा चुनाव लड़ने के फैसले पर सवाल उठ रहा था। मीसा ने 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत भी लिया। पांच साल की राजनीतिक रसूख की गारंटी हो गई। उनके बाद, रोहिणी आचार्य हैं।
रोहिणी सिंगापुर में सपरिवार सकुशल जिंदगी बिता रही थीं, लेकिन पिता लालू प्रसाद को किडनी दान करने के बाद अपने प्रति सहानुभूति की लहर देख टिकट लेने आ गईं। लालू ने सारण का टिकट दिया। हार गईं। फिर विधानसभा चुनाव में भी उतरने की चर्चा थी, लेकिन परिवार में इस बार लालू की शायद नहीं चली। रोहिणी ने पिता की मजबूरी को समझा और टिकट की बात नकार गईं। उसके बाद चंदा हैं, जिनका राजनीति से वास्ता छूट चुका है। उसके बाद रागिनी, हेमा, अनुष्का और राजलक्ष्मी का ससुराल परिवार राजनीति में है। दूसरे राज्यों में यह सब भी रहती हैं, लेकिन अक्सर इन्हें पटना में पाया जाता है। शनिवार को जब रोहिणी के साथ कथित तौर पर चप्पल वाली बात हुई, उस समय रागिनी और राजलक्ष्मी के साथ चंदा भी पटना में थीं। रोहिणी निकलीं तो यह सब भी निकल गईं। और, पहुंची कहां? दिल्ली में बड़ी बहन मीसा भारती के पास। मतलब, भले ही बात में दम नहीं माना जाए; लेकिन राजनीतिक परिवार के अंदर इस वर्चस्व की लड़ाई कहीं न कहीं दिख भी रही।
पारिवारिक विस्फोट की वजह 2. अकूत संपत्ति
2009 के लोकसभा चुनाव में दाखिल अंतिम शपथ पत्र में लालू प्रसाद यादव के पास करीब 3.2 करोड़ रुपए की संपत्ति थी। यह घोषित संपत्ति है। बाकी, चारा घोटाले से लेकर लैंड फॉर जॉब और IRCTC घोटाले तक में और कितनी संपत्ति होगी, इसकी चर्चा अनुमान में ही लगाई जाती रही है। तेज प्रताप यादव ने बिहार चुनाव 2025 में अपनी 91.65 लाख की चल और 1.96 करोड़ अचल संपत्ति का विवरण दिया था। तेजस्वी यादव ने 6.12 करोड़ अपनी अकेले की संपत्ति दिखाई है। दोनों भाई समाजसेवी हैं और विधानसभा सदस्य के रूप में आय या किसी काम को शुरू करने के पहले से यह संपत्ति इनके पास है। मतलब, संपत्तियों का वितरण भी इन दोनों के बीच बराबर नहीं दिख रहा है। बाकी, लालू प्रसाद यादव ने अपने पास में से क्या-किसे दिया या रखा है, यह सब भी अभी अस्पष्ट नहीं है। इसके साथ ही यह भी स्पष्ट होना बाकी है कि वह बेटियों को कुछ देने जा रहे हैं या दिया है। वैसे तो सारी बेटियां संपन्न परिवार में ब्याही गई हैं, लेकिन हक मांगने आ गईं तो घर में और बवाल तय है।
पारिवारिक विस्फोट की वजह 3. बाहरी तत्व
लालू परिवार में विस्फोट की मौजूदा वजह रोहिणी आचार्य के बयान से राजद के राज्यसभा सांसद संजय यादव और उत्तर प्रदेश निवासी रमीज नजर आते हैं। तेजस्वी यादव इन दोनों से घिरे हैं, यह हर जगह दिखता है। तेजस्वी यादव तक पहुंचने के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तक को इसी में से किसी चैनल का सहारा लेना पड़ता है। पटना में मीडियाकर्मियों को शक्ति यादव, संजय यादव, रमीज... आदि के रास्ते ही पहुंचना होता है। जब यही रास्ता परिवार के लिए नजर आने लगा, तभी से हंगामा बढ़ गया। पहले मामा साधु यादव और सुभाषा यादव को बाहरी तत्व कहकर निकाला गया। उसमें तेजस्वी यादव की भूमिका की चर्चा राबड़ी के भाई करते रहे हैं।
जब लोकसभा चुनाव में लालू थोड़ा किनारे और बिहार विधानसभा चुनाव में पूरे किनारे लगा दिए गए तो हंगामा बढ़ गया। बहनों की कुछ नहीं सुनी गई। लोकसभा चुनाव में तेज प्रताप की भी नहीं सुनी गई थी। तेज प्रताप की वैसे 2020 के विधानसभा चुनाव में भी नहीं सुनी गई थी। महुआ की जगह हसनपुर भेज दिया गया था। तेज प्रताप 'जयचंदों' की जो बात करते हैं, वह बाहरी तत्वों को लेकर ही है। यही कारण रोहिणी ने रोते-रोते बताया भी। कहा जा रहा है कि रोहिणी ने संजय यादव की बातों पर तेजस्वी यादव के चलने को हार की वजह बताया था और रमीज के आपराधिक इतिहास की भी चर्चा करते हुए उसे भी हार का कारण बताया था।