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कोरोना का कहर: प्रॉपइक्विटी ने जारी की रिपोर्ट, अप्रैल-जून तिमाही में 58 फीसदी कम हुई घरों की बिक्री
पीटीआई, नई दिल्ली
Published by: डिंपल अलावाधी
Updated Sat, 31 Jul 2021 04:54 PM IST
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सार
डाटा एनालिटिक कंपनी प्रॉपइक्विटी की रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल-जून 2021 तिमाही में देश के सात बड़े शहरों में घरों की बिक्री में 58 फीसदी गिरावट दर्ज की गई है।

प्रॉपर्टी
- फोटो : pixabay

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विस्तार
कोरोना वायरस महमारी से न सिर्फ लोगों की सेहत, बल्कि अर्थव्यवस्था भी बिगड़ी है। एविएशन से लेकर रियल एस्टेट क्षेत्र तक, सभी सेक्टर्स पर इसका बुरा प्रभाव पड़ा है। देश में महामारी की दूसरी लहर से रियल एस्टेट क्षेत्र को झटका लगा है। अप्रैल-जून 2021 तिमाही में देश के सात बड़े शहरों में घरों की बिक्री में 58 फीसदी की कमी आई है।
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45,208 इकाई रही रिहायशी संपत्तियों की बिक्री
डाटा एनालिटिक कंपनी प्रॉपइक्विटी द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 की दूसरी लहर की वजह से अप्रैल-जून तिमाही के दौरान रिहायशी संपत्तियों की बिक्री 45,208 इकाई थी। जबकि इससे पिछली तिमाही यानी जनवरी से मार्च 2021 के दौरान रिहायशी संपत्तियों की बिक्री का आंकड़ा 1,08,420 इकाई था।
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कोरोना वायरस की दूसरी लहर का बुरा असर
इस संदर्भ में डाटा एनालिटिक कंपनी ने एक बयान जारी किया। कंपनी ने कहा कि देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर का बुरा असर साफ दिखाई दिया और जून तिमाही में बिक्री में 58 फीसदी की भारी गिरावट आई।' इस दौरान भारत के प्रमुख शहरों में लॉकडाउन भी लगाया गया था। इसके चलते घरों की बिक्री प्रभावित हुई। आवासीय पंजीकरण निलंबित कर दिए गए और होम लोन का वितरण भी धीमा था।
प्रमुख शहरों में इतनी आई गिरावट
2021 की दूसरी तिमाही में बंगलूरू, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई महानगर क्षेत्र, दिल्ली-एनसीआर और पुणे में 2021 की पहली तिमाही के मुकाबले घरों की बिक्री में क्रमश: 55 फीसदी, 59 फीसदी, 49 फीसदी, 57 फीसदी, 63 फीसदी, 43 फीसदी और 62 फीसदी की गिरावट आई।
2030 तक एक हजार अरब डॉलर पर पहुंच सकता है संपत्ति बाजार
इससे पहले आवास एवं शहरी मामलों के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने कहा था कि भारतीय अचल संपत्ति बाजार के वर्ष 2030 तक 1,000 अरब डॉलर पर पहुंचने की उम्मीद है। उन्होंने यहां भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा अचल संपत्ति क्षेत्र पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि पिछले सात वर्षों में बढ़ती मांग और रेरा जैसे विभिन्न सुधारों से यह क्षेत्र इस मुकाम पर पहुंच सकता है।