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CG: किसी नाबालिग लड़की को 'आई लव यू' बोलना यौन उत्पीड़न नहीं, हाईकोर्ट ने पॉक्सो एक्ट के तहत खारिज की अपील

अमर उजाला नेटवर्क, बिलासपुर Published by: श्याम जी. Updated Fri, 25 Jul 2025 10:05 PM IST
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सार

ट्रायल कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में युवक को बरी कर दिया, जिसे राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि सिर्फ आई लव यू कहने से यह नहीं माना जा सकता कि युवक की मंशा यौन थी।

Bilaspur High Court comment Saying 'I love you' to minor girl is not harassment
बिलासपुर हाईकोर्ट - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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बिलासपुर हाईकोर्ट ने पॉक्सो एक्ट के एक मामले में अहम फैसला सुनाया है। सिंगल बेंच ने कहा कि किसी नाबालिग लड़की को सिर्फ आई लव यू बोल देने से यौन उत्पीड़न का मामला नहीं बनता। ऐसे में इसे यौन उत्पीड़ना मानना उचित नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि जब तक उसमें यौन मंशा न हो इसे यौन उत्पीड़न नहीं माना जा सकता। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस संजय एस अग्रवाल की एकलपीठ ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए राज्य सरकार की अपील खारिज कर दी है।

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यह मामला 14 अक्तूबर 2019 का है, जब 15 वर्षीय छात्रा के छुट्टी के दौरान स्कूल से घर को लौटते वक्त एक युवक ने उसे देखकर आई लव यू कहते हुए प्रेम का प्रस्ताव रखा। छात्रा ने शिकायत में आरोप लगाया कि युवक उसे पहले से ही परेशान कर रहा था। छात्रा की शिकायत पर शिक्षकों ने उसे डांटा फटकारा और इस तरह की हरकत ना करने की चेतावनी भी दी थी।
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छात्रा की शिकायत पर पुलिस ने युवक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता आईपीसी की धारा 354D (पीछा करना), 509 (लज्जा भंग), पॉक्सो एक्ट की धारा 8 (यौन उत्पीड़न की सजा) और एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(2) (वीए) के तहत मामला दर्ज किया था। ट्रायल कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में युवक को बरी कर दिया, जिसे राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि सिर्फ आई लव यू कहने से यह नहीं माना जा सकता कि युवक की मंशा यौन थी।

कोर्ट ने माना कि अभियोजन द्वारा प्रस्तुत गवाहियों में ऐसा कुछ नहीं है, जिससे यह साबित हो कि आरोपी ने यौन इच्छा से प्रेरित होकर यह बात कही थी। हाईकोर्ट ने मामले से संबंधित तमाम तथ्यों पर गौर करते हुए राज्य की अपील खारिज कर ट्रायल कोर्ट द्वारा आरोपी को बरी करने का निर्णय बरकरार रखा है।

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