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अलविदा धर्मेन्द्र: फिल्मी और असल जिंदगी का जिंदादिल किरदार
सार
- मशहूर अभिनेता धर्मेंद्र अब नहीं रहे। हैंडसम हीरो और 'ही मैन' के तौर पर मशहूर धर्मेंद्र ने पांच दशकों तक बॉलीवुड पर राज किया।
- 'शोले' के 'वीरू' जैसे किरदारों के बावजूद उन्हें कभी युगांतरकारी अभिनेता नहीं माना गया, जिसका मलाल उन्हें हमेशा रहा।
- पंजाब से आए धर्मेंद्र ने अपनी देसी सादगी और जिंदादिली से तीन दशकों तक दर्शकों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ी।
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बॉलिबुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र का निधन
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
Dharmendra Passed Away: हर दिल अजीज मशहूर अभिनेता धर्मेन्द्र के इस फानी दुनिया से कूच कर जाने की खबर इस बार गलत साबित नहीं हुई। 15 दिन पहले भी ऐसी ही खबर उड़ी थी, लेकिन तब उनके परिवार ने पुष्टि नहीं की थी। धर्मेन्द्र को मिला वह जीवनदान अल्प साबित हुआ और सोमवार को इस ‘वीरू’ ने अपने चाहने वालों को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।
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उनका असली नाम धर्मेन्द्र केवल कृष्ण दियोल था। लेकिन फिल्मों में धर्मेन्द्र या धर्मेंदर के रूप में मशहूर हुए। साठ से लेकर नब्बे के दशक फिल्मी दुनिया में धर्मेन्द्र की मौजूदगी हैंडसम हीरो से लेकर प्राजी तक के किरदारों में रही। कभी वो अन्याय के खिलाफ लड़ते दिखे तो कभी हीरोइन को पटाते दिखे। धर्मेन्द्र की लोकप्रियता का फायदा राजनीतिक पार्टियों ने भी उठाया। वो एक बार सांसद का चुनाव भी जीते। सत्तर का दशक बाॅलीवुड में धर्मेन्द्र के कॅरियर का सबसे चमकदार समय था।
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वैसे यह कुछ नाइंसाफी ही है कि सत्यकाॅम और जैसी फिल्मों में संजीदा अभिनय से लेकर चुपके चुपके तक बेहतरीन काॅमेडी करने वाले धर्मेन्द्र को अभिनय की किताब में कभी सुर्खियां नहीं मिल सकीं। मुमकिन है कि उनका शरीर सौंदर्य और मोहक मुस्कान उनकी एक्टिंग पर सदा हावी रही हो। करीब पांच दशकों तक फिल्मों में काम करने के बाद भी जाने माने फिल्म अभिनेता धर्मेन्द्र के नाम बॉलीवुड का वैसा कोई युग भले न लिखा गया हो, जैसा कि के.एल. सहगल, दिलीप कुमार, अमिताभ बच्चन या शाहरुख खान आदि के नाम रहा है, लेकिन युग का नामकरण किसी के नाम पर भी क्यों न रहा हो, लेकिन तीन दशकों तक एक समांतर, प्रभावी और लोकप्रिय मौजूदगी धर्मेंद्र की हमेशा रही है।
धर्मेन्द्र को महान अभिनेताओं में भले न गिना गया हो, लेकिन वो हरफनमौला एक्टर थे। कुछ किरदार जैसे कि ‘अनुपमा’ का अशोक, बंदिनी का डॉक्टर, सत्यकाॅम का नौजवान सत्यप्रिय और शोले का वीरू, ये चंद नाम हैं, जिनके लिए धर्मेंद्र को हमेशा याद रखा जाएगा। अभिनेता और अभिनय के इन स्थापित मानकों से हटकर धर्मेंन्द्र जो बात सबसे अलग साबित करती है, वो उनका हिंदी फिल्मों का सबसे ‘हैंडसम हीरो’ होना और एक आर्य पुरुष की तरह ‘ही मैन’ दिखना। करीब चार दशकों तक महिलाएं धर्मेंद्र इस ‘खूबसूरत मर्दानगी’ की दीवानी थीं। लेकिन धर्मेन्द्र को मिली यह नैसर्गिक विरासत उनके दूसरे गुणों को कई बार हाशिए पर सरका देती है।
धर्मेन्द्र को इस बात का मलाल हमेशा रहा कि ‘हैंडसम हीरो’ होने के बावजूद उन्हें कभी युगांतरकारी अभिनेता नहीं माना गया। अच्छा काम करने के बाद भी उन्हें एक्टिंग के अवार्ड नहीं मिले। हालांकि भारत सरकार ने उन्हें अभिनय के क्षेत्र में योगदान के लिए पद्म भूषण से नवाजा था। बावजूद इसके ‘ही मैन’ धर्मेन्द्र को एक जिंदादिल और जिंदगी के अंतिम क्षण तक उसे एंजॉय करने की तमन्ना रखने वाले हीरो के रूप में याद किया जाएगा।
बॉलीवुड के नौ दशकों के इतिहास में करीब आठ दशकों तक कोई न कोई अभिनेता अपने युग प्रतिनिधि चेहरा बनकर उभरता रहा है और एक अरसे तक सूरज की तरह दमकने के बाद वह अपने वजूद को बचाने में लग जाता रहा है। फिर कोई नया चेहरा उसकी जगह ले लेता है। हालांकि बीते एक दशक में बॉलीवुड में अपने युग का बहुमान्य प्रतिनिधि चेहरा कौन है, तय करना मुश्किल है। लेकिन एक दशक पहले तक इसकी पहचान करना आसान था। क्योंकि हर नया हीरो अपने वक्त की सोच, जज्बे और संघर्ष को अभिव्यक्त करने का माध्यम होता है।
इस मायने में धर्मेन्द्र का, जो पंजाब के एक मध्यमवर्गीय परिवार से आए थे, बॉलीवुड में देश में नेहरू युग के अंतिम वर्षों में उदय उस पीढ़ी के सपनों का प्रस्फुटन था, जो आजादी के समय बहुत छोटी थी और नए भारत में उसके कुछ रोमांटिक सपने थे। वह बेहतर अवसरों और सुखी जिंदगी की तलाश में संघर्षरत थी। उन सपनों में धर्मेन्द्र जैसा सुंदर और मजबूत शरीर वाला हैंडसम, जिंदादिल और नेकी के रास्ते आगे बढ़ने वाला हीरो शामिल था। आजादी के बाद पारंपरिक बेड़ियों को तोड़कर आगे बढ़ने वाली लड़कियों के लिए तो धर्मेन्द्र ‘सपनो के राजकुमार’ जैसा ही था।
यही कारण है कि बेहद संवेदनशील और मार्मिक अभिनय करने वाली अभिनेत्री मीना कुमारी से लेकर ‘ड्रीमगर्ल’ हेमा मालिनी तक धर्मेन्द्र के मर्दाने और हसीन अंदाज पर फिदा थीं। उस जमाने में बहुत से लोग तो टाॅकीज में सिर्फ धर्मेन्द्र को देखने के लिए जाते थे। यह वो दौर था, जब धर्मेन्द्र की तुलना पर्सनालिटी के लिहाज से हॉलीवुड अभिनेता जेम्स डीन और पाॅल न्यूमैन से की जाती थी, हालांकि खुद धर्मेन्द्र उनके बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते थे।
कई हिट फिल्में, अलग अलग किरदार, हीरो से लेकर कैरेक्टर रोल तक धर्मेन्द्र की अदाकारी ने कई रंग बिखेरे, लेकिन उनका देसीपन सदा कायम रहा। गांव का एक पंजाबी जट्ट उनके भीतर हमेशा जिंदा रहा। उम्र के आखिरी दौर में वो सोशल मीडिया पर भी सक्रिय रहे और अपने फैन्स के साथ अपनी पुरानी तस्वीरें और विचार साझा करते रहे।
इस सदी में देवानंद, दिलीप कुमार, मनोज कुमार के बाद धर्मेन्द्र के रूप में बीती सदी के एक और अभिनय सितारे का अवसान है। ये वो नाम हैं, जिन्होंने रजत पट के साथ-साथ लोगों के दिलों पर भी लंबे समय तक राज किया। अब तकनीक और सोशल मीडिया के दौर में उस वक्त फिल्मों और फिल्मी हीरो को लेकर लोगों में छाई रहने वाली दीवानगी का नई पीढ़ी का शायद अंदाजा भी नहीं होगा। वक्त चाहे कितना ही बदल जाए, लेकिन धर्मेन्द्र को फिल्मों के साथ साथ जिंदगी की रील में भी एक ठेठ देसी, जिंदादिल अभिनेता और नायाब इंसान के रूप में हमेशा याद किया जाएगा।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है। अपने विचार हमें blog@auw.co.in पर भेज सकते हैं। लेख के साथ संक्षिप्त परिचय और फोटो भी संलग्न करें।