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हथियार और शांति: दुनिया भर में हथियारों की बढ़ती होड़, वैश्विक शांति के लिए गंभीर खतरा

अमर उजाला Published by: लव गौर Updated Wed, 03 Dec 2025 06:57 AM IST
सार
सिपरी की हालिया रिपोर्ट दुनिया भर में हथियारों की बढ़ती होड़ की तरफ इशारा करती है, जो वैश्विक शांति के लिए गंभीर खतरा है। इस प्रतिस्पर्धा से गरीबी, भुखमरी व सामाजिक अस्थिरता जैसे मानवीय संकट बढ़ते हैं। वैश्विक संगठनों के साथ सभी देशों को इस होड़ को हतोत्साहित करना चाहिए।
 
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SIPRI report points to growing arms race across world which poses a serious threat to global peace
दुनिया की हथियार तैयार करने वाली कंपनियों की आय गत वर्ष 5.9% बढ़कर 679 अरब डॉलर पर पहुंची - फोटो : अमर उजाला प्रिंट

विस्तार
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हथियारों की बढ़ती बिक्री संबंधी स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) की रिपोर्ट जहां दुनिया भर में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव एवं विभिन्न देशों के बढ़ते रक्षा बजट की चिंताजनक तस्वीर पेश करती है, वहीं आधुनिक जंग के हथियार बनाने वाली निजी कंपनियों के बढ़ते असर को भी रेखांकित करती है। सिपरी के मुताबिक, दुनिया की 100 सबसे बड़ी हथियार व सैन्य सेवा कंपनियों की कमाई में पिछले वर्ष के मुकाबले 5.9 फीसदी का इजाफा हुआ है, क्योंकि यूक्रेन एवं गाजा में युद्धों तथा वैश्विक व क्षेत्रीय भू-राजनीतिक तनावों की वजह से हथियारों की मांग बढ़ी है।


इन कंपनियों ने 2024 में 679 अरब डॉलर कमाए, जिससे युद्ध के मैदान में कॉरपोरेट रक्षा आपूर्तिकर्ताओं की भूमिका का तो पता चलता ही है, यह भी स्पष्ट होता है कि युद्धों का तेजी से व्यावसायीकरण हो रहा है। इसके अलावा, रिपोर्ट बताती है कि पश्चिम एशिया एक अहम हथियार उत्पादक क्षेत्र के रूप में उभर रहा है, जो वैश्विक सैन्य उत्पादन में विविधता का संकेत है। इन कंपनियों में तीन भारतीय कंपनियां हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स (44वें स्थान पर), भारत इलेक्ट्रॉनिक्स (58वें), मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स (91वें स्थान पर) भी शामिल हैं, जिनका संयुक्त आयुध राजस्व घरेलू मांग की वजह से 8.2 फीसदी बढ़कर 7.5 अरब डॉलर हो गया है।


दुनिया भर में हथियारों की बिक्री तथा उससे होने वाली कमाई और बढ़ने की संभावना है, क्योंकि यूक्रेन और गाजा में लड़ाई जारी है और पूरे पूर्वी एशिया में तनाव बना हुआ है। कंपनियां ड्रोन, एयर डिफेंस सिस्टम और दूसरे उच्च-तकनीकी हथियारों में निवेश बढ़ा सकती हैं। ऐसे में, शांति एवं विकास के लिए प्रार्थना ही की जा सकती है। यह होड़ न केवल मानवता के लिए बड़ा संकट पैदा करती है, बल्कि जलवायु अस्थिरता को भी बढ़ावा देती है। इससे न केवल विभिन्न देशों के बीच असुरक्षा, अविश्वास और तनाव बढ़ेगा, बल्कि परमाणु युद्ध का खतरा भी बढ़ सकता है। यह होड़ वैश्विक स्वास्थ्य, शिक्षा व विकास जैसे जरूरी क्षेत्रों से संसाधनों को छीन लेती है, जिससे गरीबी, भुखमरी और सामाजिक अस्थिरता जैसे मानवीय संकट बढ़ते हैं।

भले ही इससे रक्षा उत्पादक देशों के राजस्व में बढ़ोतरी हो रही हो, लेकिन यह वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भारी बोझ डालने वाली है, जिससे विकास कार्य प्रभावित हो सकते हैं। इसने जहां वैश्विक शांति को नुकसान पहुंचाया है, वहीं संघर्ष और युद्ध के कारण बड़े पैमाने पर लोगों को न केवल विस्थापन का दंश झेलने, बल्कि अकाल और बीमारी का भी सामना करने को मजबूर किया है। लिहाजा वैश्विक संगठनों के साथ-साथ सभी देशों को इस होड़ को हतोत्साहित करने का भरसक प्रयत्न करना चाहिए।
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