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Ranji Trophy: चंद्रकांत पंडित ने बदली मध्य प्रदेश की तकदीर, समझें घरेलू क्रिकेट के 'द्रोणाचार्य' ने कैसे बनाया चैंपियन
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सार
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चंद्रकांत पंडित
- फोटो :
अमर उजाला
विस्तार
मध्य प्रदेश की रणजी टीम ने बेंगलुरु में इतिहास रच दिया। उसने 2021-22 के फाइनल में 41 बार के चैंपियन मुंबई को हराकर पहली बार खिताब अपने नाम किया। अपेक्षाकृत कमजोर माने जाने वाली मध्य प्रदेश की टीम ने मुंबई को हराने से पहले पंजाब और बंगाल जैसी मजबूत टीम को हराकर उलटफेर कर दिया। 1998-99 रणजी के फाइनल में पहुंचने वाली टीम को 23 साल तक इस दिन का इंतजार करना पड़ा। उसके सपने को घरेलू क्रिकेट के द्रोणाचार्य कहे जाने वाले चंद्रकांत पंडित ने हकीकत में बदला।यही चंद्रकांत पंडित 23 साल पहले फाइनल में मध्य प्रदेश के कप्तान थे। उस समय नतीजे उनके पक्ष में नहीं रहे थे। इन 23 सालों में चंद्रकांत पंडित ने मुंबई को तीन और विदर्भ को दो बार बतौर कोच चैंपियन बनाया। उन्हें दो साल पहले मध्य प्रदेश ने मुख्य कोच बनाया। शुरुआत में नतीजे उनके पक्ष में नहीं रहे थे। इस पर उनकी जमकर आलोचना हुई थी, लेकिन चंद्रकांत पंडित ने अपने तरीकों को नहीं बदला।

जीत के बाद चंद्रकांत पंडित को खिलाड़ियों ने उठा लिया।
- फोटो :
BCCI
हेडमास्टर की तरह करते हैं व्यवहार
चंद्रकांत पंडित ने स्कूल के हेडमास्टर की तरह टीम के साथ व्यवहार किया। उन्हें सख्त कोच के रूप में जाना जाता है। इसी सख्ती का फायदा मध्य प्रदेश की टीम को मिला। छह साल से क्वार्टरफाइनल में नहीं पहुंचने वाली टीम फाइनल में पहुंची और चैंपियन भी बन गई। चंद्रकांत पंडित को कैसे मध्य प्रदेश के साथ जोड़ा गया और इस जीत की कहानी कैसे रची गई, इस बारे में हमने मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष अभिलाष खांडेकर से बात की।
चंद्रकांत पंडित को एमपीसीए में लाने की कहानी
अभिलाष खांडेकर ने कहा, ''हमने दो साल पहले चंद्रकांत पंडित को अपनी टीम के साथ जोड़ा था। उस समय हमारी बहुत आलोचना हुई थी। हमने नई चयन समिति भी बनाई। उन्हें पूरी छूट दी। टीम से भाई-भतीजावाद का खत्म करने के लिए कहा गया। कोई कितना भी बड़ा खिलाड़ी हो, बिना बेहतर प्रदर्शन के उसे टीम में नहीं लेना था।''
एमपीसीए के अध्यक्ष ने आगे कहा, ''चंद्रकांत पंडित घरेलू क्रिकेट के बेहतरीन कोच रहे हैं। मध्य प्रदेश की कप्तानी भी कर चुके थे। वह जानते थे कि टीम को क्या चाहिए। उन्होंने नए खिलाड़ियों को मौका दिया। ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ी तैयार किए गए ताकि किसी के जाने से असर न पड़े। आवेश खान और वेंकटेश अय्यर जैसे स्टार खिलाड़ी ज्यादातर मौकों पर टीम के साथ नहीं थे। रजत पाटीदार हाल के दिनों में स्टार बने। ऐसे में चंद्रकांत पंडित ने शानदार काम किया।''
चंद्रकांत पंडित ने स्कूल के हेडमास्टर की तरह टीम के साथ व्यवहार किया। उन्हें सख्त कोच के रूप में जाना जाता है। इसी सख्ती का फायदा मध्य प्रदेश की टीम को मिला। छह साल से क्वार्टरफाइनल में नहीं पहुंचने वाली टीम फाइनल में पहुंची और चैंपियन भी बन गई। चंद्रकांत पंडित को कैसे मध्य प्रदेश के साथ जोड़ा गया और इस जीत की कहानी कैसे रची गई, इस बारे में हमने मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष अभिलाष खांडेकर से बात की।
चंद्रकांत पंडित को एमपीसीए में लाने की कहानी
अभिलाष खांडेकर ने कहा, ''हमने दो साल पहले चंद्रकांत पंडित को अपनी टीम के साथ जोड़ा था। उस समय हमारी बहुत आलोचना हुई थी। हमने नई चयन समिति भी बनाई। उन्हें पूरी छूट दी। टीम से भाई-भतीजावाद का खत्म करने के लिए कहा गया। कोई कितना भी बड़ा खिलाड़ी हो, बिना बेहतर प्रदर्शन के उसे टीम में नहीं लेना था।''
एमपीसीए के अध्यक्ष ने आगे कहा, ''चंद्रकांत पंडित घरेलू क्रिकेट के बेहतरीन कोच रहे हैं। मध्य प्रदेश की कप्तानी भी कर चुके थे। वह जानते थे कि टीम को क्या चाहिए। उन्होंने नए खिलाड़ियों को मौका दिया। ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ी तैयार किए गए ताकि किसी के जाने से असर न पड़े। आवेश खान और वेंकटेश अय्यर जैसे स्टार खिलाड़ी ज्यादातर मौकों पर टीम के साथ नहीं थे। रजत पाटीदार हाल के दिनों में स्टार बने। ऐसे में चंद्रकांत पंडित ने शानदार काम किया।''

जीत के बाद चंद्रकांत पंडित भावुक हो गए।
- फोटो :
BCCI
'युवाओं को बनाते हैं स्टार'
मध्य प्रदेश क्रिकेट को करीब से जानने वाले खेल समीक्षक राजीव रिसोड़कर ने चंद्रकांत पंडित के बारे में कहा, ''उनकी कोचिंग का तरीका अलग है। वह अन्य कोच की तरह नहीं सोचते हैं। चंद्रकांत सिर्फ स्टार खिलाड़ियों पर निर्भर नहीं रहते हैं, बल्कि युवाओं को स्टार बनाते हैं। जब कोई ग्राउंड पर नहीं होता था तब चंद्रकांत पंडित वहां बैठकर अपनी योजना बनाते थे। ट्रेनिंग पिच से लेकर मैदान तक पर नजर रखते हैं।''
उन्होंने आगे कहा, ''यश दुबे मध्यक्रम का बल्लेबाज था। उसे ओपनिंग में मौका दिया। अक्षत रघुवंशी पर विश्वास जताया। आदित्य श्रीवास्तव को कप्तानी सौंपी और उसे आगे बढ़ाया। गौरव यादव की गेंदबाजी खराब हो रही थी, लेकिन उसे मौका दिया। वह आज बेहतरीन गेंदबाजी कर रहा है। यह आसान नहीं होता है। जो टीम लगातार फेल हो रही हो उसे फाइनल तक पहुंचा देना मुश्किल काम होता है। चंद्रकांत पंडित ने कर दिखाया।''
मध्य प्रदेश क्रिकेट को करीब से जानने वाले खेल समीक्षक राजीव रिसोड़कर ने चंद्रकांत पंडित के बारे में कहा, ''उनकी कोचिंग का तरीका अलग है। वह अन्य कोच की तरह नहीं सोचते हैं। चंद्रकांत सिर्फ स्टार खिलाड़ियों पर निर्भर नहीं रहते हैं, बल्कि युवाओं को स्टार बनाते हैं। जब कोई ग्राउंड पर नहीं होता था तब चंद्रकांत पंडित वहां बैठकर अपनी योजना बनाते थे। ट्रेनिंग पिच से लेकर मैदान तक पर नजर रखते हैं।''
उन्होंने आगे कहा, ''यश दुबे मध्यक्रम का बल्लेबाज था। उसे ओपनिंग में मौका दिया। अक्षत रघुवंशी पर विश्वास जताया। आदित्य श्रीवास्तव को कप्तानी सौंपी और उसे आगे बढ़ाया। गौरव यादव की गेंदबाजी खराब हो रही थी, लेकिन उसे मौका दिया। वह आज बेहतरीन गेंदबाजी कर रहा है। यह आसान नहीं होता है। जो टीम लगातार फेल हो रही हो उसे फाइनल तक पहुंचा देना मुश्किल काम होता है। चंद्रकांत पंडित ने कर दिखाया।''

जीत के बाद मध्य प्रदेश की टीम
- फोटो :
BCCI
चंद्रकांत पंडित ने क्या कहा?
अपनी जीत पर चंद्रकांत पंडित ने कहा, ''23 साल पहले जो मैंने छोड़ा था उसकी शानदार यादें हैं। मेरे लिए यह एक आशीर्वाद की तरह है कि मैं यहां आया। ट्रॉफी जीतना शानदार और भावनात्मक है। मैं कप्तान के रूप में चूक गया था। मेरे पास और भी प्रस्वाव थे, लेकिन मैंने मध्य प्रदेश को चुना। कभी-कभी प्रतिभा होती है लेकिन आपको संस्कृति को विकसित करने की जरूरत होती है। यह खेल की मांग भी होती है और मैं उसे विकसित करना चाहता हूं।
उन्होंने आगे कहा, ''आदित्य एक बेहतरीन कप्तान रहे हैं, हम जिन योजनाओं और रणनीतियों की चर्चा करते हैं, उन्हें मैदान पर लागू करने से वह डरते नहीं थे। कप्तान टीम को 50 प्रतिशत बार जीत दिलाते हैं और रन न बनने पर भी उन्होंने शानदार काम किया। मैं यह ट्रॉफी मध्य प्रदेश को सौंपता हूं। मैं सभी शुभचिंतकों और मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन को धन्यवाद देना चाहता हूं।''
अपनी जीत पर चंद्रकांत पंडित ने कहा, ''23 साल पहले जो मैंने छोड़ा था उसकी शानदार यादें हैं। मेरे लिए यह एक आशीर्वाद की तरह है कि मैं यहां आया। ट्रॉफी जीतना शानदार और भावनात्मक है। मैं कप्तान के रूप में चूक गया था। मेरे पास और भी प्रस्वाव थे, लेकिन मैंने मध्य प्रदेश को चुना। कभी-कभी प्रतिभा होती है लेकिन आपको संस्कृति को विकसित करने की जरूरत होती है। यह खेल की मांग भी होती है और मैं उसे विकसित करना चाहता हूं।
उन्होंने आगे कहा, ''आदित्य एक बेहतरीन कप्तान रहे हैं, हम जिन योजनाओं और रणनीतियों की चर्चा करते हैं, उन्हें मैदान पर लागू करने से वह डरते नहीं थे। कप्तान टीम को 50 प्रतिशत बार जीत दिलाते हैं और रन न बनने पर भी उन्होंने शानदार काम किया। मैं यह ट्रॉफी मध्य प्रदेश को सौंपता हूं। मैं सभी शुभचिंतकों और मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन को धन्यवाद देना चाहता हूं।''